चार साल से फंसा यूनानी मेडिकल कॉलेज की जमीन का लैंड यूज
-100 बेड के मेडिकल कॉलेज के लिए पहली किस्त 29 करोड़ की जारी
-लैंड यूज के लिए बीडीए बोर्ड ने शासन को प्रस्ताव भेजा बरेली : यूनानी मेडिकल कॉलेज का प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के तहत हजियापुर में निर्माण होना है। सपा सरकार के प्रोजेक्ट को योगी शासन में भले ही तेजी मिली, लेकिन चार साल से लैंड यूज के फेर में फंसे इस प्रोजेक्ट की पहली ईट नहीं रखी जा सकी है। बड़ी आबादी को मिलने वाले चिकित्सीय फायदे के बीच बरेली विकास प्राधिकरण बोर्ड ने शासन को लैंड यूज बदलने का प्रस्ताव भेजा। अब शासन से जवाब आने का इंतजार किया जा रहा है। 129.5 करोड़ का है प्रोजेक्टबरेली में राजकीय यूनानी मेडिकल कॉलेज बनाने की कोशिश पिछली सपा सरकार के समय से हो रही है। करीब तीन साल पहले नगर निगम ने हजियापुर में 27 हजार वर्ग मीटर जमीन यूनानी मेडिकल कालेज के नाम ट्रांसफर की थी। सरकार बदलने के बाद परियोजना की रफ्तार शिथिल ही रही। अगस्त 2019 में पीएमजेवीके की जिला स्तरीय समिति ने यूनानी मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव को अपनी संस्तुति के साथ लखनऊ भेज दिया। इसके बाद यूनानी मेडिकल कालेज परियोजना पर मुख्य सचिव अनूप चंद्र पांडेय की अध्यक्षता वाली कमेटी ने 129.5 करोड़ के यूनानी मेडिकल कालेज प्रोजेक्ट पर मुहर लगाकर केंद्र सरकार को भेज दिया। केंद्र में यूनानी मेडिकल कॉलेज की बि¨ल्डग बनाने को 129.5 करोड़ का फंड स्वीकृत किया है। पहली किस्त के 29 करोड़ रुपये भी जारी हो गए। लेकिन पूरा मामला लैंड यूज पर आकर अटक गया।
शासन के संकेत का इंतजार हजियापुर में जिस जमीन पर मेडिकल कॉलेज तैयार होना है। उसकी जमीन आवासीय है। इंस्टीट्यूशनल में लैंड यूज बदलाव के लिए शासन की अनुमति की आवश्यकता है। बीडीए बोर्ड ने प्रस्ताव भेजा, लेकिन कई सवाल खड़े हुए। अब जवाब के साथ फाइल को दोबारा स्वीकृति के लिए भेजा जा चुका है। हैदराबाद की कंपनी को गया है निर्माण का टेंडर अल्पसंख्यक इलाकों में विकास कार्य कराने के लिए प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत हजियापुर में मेडिकल कॉलेज स्वीकृत हुआ था। यहां 100 बेड के अस्पताल में भर्ती करने की सुविधा भी होगी। एक साल पहले जमीन की पैमाइश करवाने के बाद जमीन भी हस्तांतरित हो चुकी है। निर्माण कार्य का टेंडर हैदराबाद की एक कंपनी को जारी हुआ है।लैंड यूज बदलने के लिए हमने पत्राचार किया था। कुछ सवाल पूछे गए। हमने जवाब शासन को भेजे हैं। उम्मीद है इंस्टीट्यूशन लैंड यूज बदलने के लिए जल्दी अनुमति आ जाएगी। इसके बाद ही निर्माण शुरू हो सकेंगे।
- जगमोहन सिंह, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी