बरेली में हुई पर्वतीय संस्कृति के रंगों की वर्षा
- उत्तरायणी मेले में परिवार संग पहुंचे लोगों ने जमकर की शॉपिंग
- देवभूमि के संस्कृति के दिखे रंग, सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने बांधा समां BAREILLY: सिटी में एक बार फिर पर्वतीय संस्कृति के रंग बिखरे। हर बार की तरह उत्तरायणी मेले कर रंगयात्रा से शुभारंभ हुआ। रंगयात्रा अंबेडकर पार्क कोतवाली से शुरू होकर पटेल चौक, चौकी चौराहा होते हुए बरेली क्लब ग्राउंड पहुंची। इस मौके पर चीफ गेस्ट केंद्रीय मंत्री स्वतंत्र प्रभार संतोष गंगवार ने मेले का विधिवत इनॉग्रेशन किया। इस दौरान उत्तराखंड की संस्कृति को आगे बढ़ाने वालों को सम्मानित ि1कया गया। पहाड़ की बिखरी छटारंगयात्रा के साथ उत्तरायणी मेले का रंगारंग आगाज हुआ। रंगयात्रा की शुरुआत गोलू देवता के आशीर्वाद से तिलक लगाकर हुई। रंगयात्रा की अगुवाई करती मां नंदादेवी के पीछे छोलिया की टीम ने जोश भरा तो, रंगयात्रा के अंतिम छोर तक नजर आया। शोका समाज ने भी अपने डांस से सबको अट्रैक्ट किया। ट्रेडिशनल ड्रेस पिछौड़े में सजी गर्ल्स ने पूरे शहर में कुमांऊंनी संस्कृति की झलक बिखेरी। इस दौरान झांकियों ने सभी का मन मोहा।
कल्चरल इवेंट्स का छाया खुमारउत्तरायणी मेले के स्टेज पर सुबह से शाम तक पर्वतीय कल्चर और ट्रेडिशनल के रंग बिखरे। छोलिया प्रस्तुति में अल्मोड़ा की जैनंदा लोक कला समिति के चंदन सिंह बोरा, जय पूर्णागिरी उत्थान समिति खटीमा से राजेंद्र सिंह मेहता, संगम सांस्कृतिक कला समिति देहरादून से हेमन्त बडोला के नेतृत्व में टीमों ने परफार्मेस दी। इसके अलाव रणसिंघा, मशकबीन और दमाऊ पर भी लोगों में कलाकारों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुति दी। वहीं, विभिन्न लोक सांस्कृतिक की टीम ने अपनी परफार्मेस से सबका दिल जीत लिया। इसके अलावा पहाड़ी सिंगर्स ने भी अपने सुरों का जादू बिखेरा।
स्टॉल्स पर उमड़ी भीड़ मेले में करीब क्ब्0 से अधिक स्टॉल्स लगे हैं। बरेलियंस के लिए कपड़े, ज्वैलरी और घर की डेकोरेशन का सारा सामान मौजूद है। वहीं, खाने के विभिन्न आइटम्स की भी भरमार है। यहां कुमाऊं का आचार, सिंगौड़ी, बाल मिठाई, गढ़वाल की दाल और मसालों के स्टॉल सजे हैं। इसके अलावा मेले में जयपुर के चूरन, कोलकाता का काथा वर्क, देहरादून की खादी, चमकौर की सूखी डंाग, रूद्रपुर के मसाले खास हैं। साथ ही उत्तराखंड कुटीर उद्योग के स्टॉल भी लगाए गए हैं। स्टॉल्स पर लोगों की खूब भीड़ रही और खूब जमकर खरीदारी हुई।