मार्क्स जैसी 'हाई' है टॉपर्स की सोच
सिर्फ खुद की ग्रोथ से सरोकार नहीं, समाज के लिए कुछ करने की नीयत भी
आईएएस, इंजीनियर और टीचर बनने की चाह से बेहतर बदलाव की चुनी राहBAREILLY: उनकी उम्र से उनकी सोच का सहज अंदाजा लगाना जरा मुश्किल लगेगा। कच्ची उम्र से कुछ अलग और बेहतर करने की उम्मीदें जो अक्सर बेमानी समझी जाती रही हैं, लेकिन युवा हो रही यह पीढ़ी इस पुरातनपंथी सोच से न सिर्फ बेपरवाह है बल्कि इसे जल्द से जल्द बदल देने पर जैसे आमादा भी है। यूपी बोर्ड इंटरमीडिएट रिजल्ट में अपने हुनर का दम दिखाने वाले यंगस्टर्स अपने करियर और ग्रोथ तक ही सीमित नहीं है। उन्हें चाहिए बदलाव समाज की बेहतरी के लिए। अच्छे दिन आने वाले हैं की उम्मीद से सिर्फ इन्हें संतोष नहीं, इन्हें तो खुद को इस काबिल बनाना है, जिससे दूसरों के दिन भी बेहतर बना सकें। इंजीनियर, डॉक्टर, आईएएस और टीचर जैसे परंपरागत करियर की चाह तो इन्होंने भी चुनी है लेकिन इसी चाह से समाज के लिए कुछ ठोस करने की राह भी तैयार करना इनका मकसद है। तभी तो अभी से कहने में इन्हें हिचक नहीं कि अच्छे दिन हम लाएंगे।
Women security पर करेंगे कामयूथ ब्रिगेड समाज में सबसे पहले महिलाओं की सुरक्षा पर ठोस कदम उठाए जाने की जरूरत महसूस करती है। स्टूडेंट्स ने बताया कि देश में विमेन सिक्योरिटी की हालत बेहद गंभीर है। इस पर सिर्फ गर्ल्स ही नहीं ब्वॉयज स्टूडेंट्स भी आवाज बुलंद करते नजर आए। यंग बिग्रेड सिविल सर्विसेज में आकर अपने वर्क प्लेस पर ही ऐसे उपाय करना चाहती हैं, जिससे महिलाओं के लिए फ्रेंडली और सेफ माहौल बनें। साथ ही महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों पर नकेल कसी जा सकें।
सुधारेंगे बीमार education system देश में आज भी एजुकेशन सिस्टम की हालत बीमार है। सरकारी स्कूल्स में ज्यादातर टीचर्स मोटी सेलरी लेकर भी पढ़ाना नहीं चाहते। कई बच्चे तो शुरुआती पढ़ाई के बाद स्कूल्स जाने से रह जाते हैं और ज्यादातर नौकरी की चिंता में क्ख्वीं तक भी नहीं पढ़ पाते। इस युवा जेनरेशन में कई स्कूल टीचर से लेकर यूनिवर्सिटी में लेक्चरर बनने का सपना संजोए हैं, जिससे इस सिस्टम में आकर खामियों को ठीक करें। वहीं कई दोस्तों के साथ ग्रुप बनाकर गरीब-जरूरतमंद बच्चों को फ्री में पढ़ाने की व्यवस्था करेंगे और पूरा खर्च आपस में बांट यह मिशन चालू रखेंगे। खोलेंगे नौकरी के दरवाजेक्ख्वीं पास आउट इन यंगस्टर्स में ज्यादातर का ख्वाब बीटेक कर इंजीनियरिंग की विधा में माहिर होना है। युवा पीढ़ी जानती है कि देश में पढ़े लिखे हुनरमंदों के लिए नौकरी नहीं है। महंगी एजुकेशन के बाद भी बेरोजगारी के खतरे सिर पर मंडराते हैं। यह युवा सिर्फ बीटेक नहीं बल्कि बेहतर इंजीनियरिंग कर शुरुआती सालों में नौकरी करने को तरजीह दे रहे हैं। इसके बाद अपना खुद का व्यवसाय खोलना इनका मकसद है, ताकि अपने साथ औरों के लिए भी रोजगार के दरवाजे खोल जा सकें।