असुरक्षित गर्भपात देश में मातृ मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण
बरेली(ब्यूरो)। अनवांटेड प्रेगनेंसी से बचने के लिए कई अस्थायी व स्थायी साधनों के मौजूद होने के बाद भी अनसेफ अबॉर्सन की स्थिति बनना मातृ स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष यानि यूएनएफपीए की स्टेट ऑफ द वल्र्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2022 के अनुसार, असुरक्षित गर्भपात भारत में मातृ मृत्यु दर का तीसरा प्रमुख कारण है। असुरक्षित गर्भपात से संबंधित कारणों से हर दिन करीब आठ महिलाओं की मौत हो जाती है। अवेयरनेस है जरूरी
असुरक्षित गर्भपात से होने वाली कुल मौतों में 97 प्रतिशत मौत विकासशील देशों में होती हैं। विकसित देशों में जहां एक लाख पर 30 महिलाओं की मृत्यु होती है। वहीं विकासशील देशों में 220 महिलाओं की जान चली जाती है। विकासशील देशों में करीब 70 लाख महिलाएं हर साल असुरक्षित गर्भपात के कारण अस्पतालों में भर्ती होती हैं।
क्या है नियम
जिला महिला अस्पताल की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ। शैव्या का कहना है असुरक्षित गर्भपात से होने वाली मातृ दर को कम करने एवं गर्भपात सेवाओं को बेहतर बनाने के उद्देश्य से देश मेंं एमटीपी एक्ट लागू किया गया। यह सुरक्षित गर्भपात सेवा के लिए दिशा-निर्देश प्रदान करता है। जिससे असुरक्षित गर्भपात को कम किया जा सके, पहले भारत में विशेष परिस्थितियों में 20 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराना वैध था। लेकिन, अब 24 सप्ताह तक के गर्भ का गर्भपात कराना वैध है।
डॉ। शैव्या ने बताया कि 20 वर्ष से कम आयु में गर्भधारण करना किशोरावस्था में गर्भ धारण (टीन एज प्रेग्नेंसी) कहलाता है। राष्ट्रीय परिवार एवं स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (2019-21) के अनुसार 15 से 19 वर्ष की लगभग तीन प्रतिशत महिलायें सर्वे के समय या तो गर्भवती थीं या मां बन चुकी थीं। टीन एज प्रेगनेंसी के कारणों में एक कारण तो कम आयु में विवाह है। लेकिन, कभी-कभी नासमझी के परिणाम स्वरूप यह हो सकता है। ऐसे में किशोरियां असुरक्षित गर्भपात को प्राथमिकता देती हैं। जिसमें वह निजी अस्पतालों या अप्रशिक्षित चिकित्सकों के द्वारा यह प्रक्रिया करवाती हैं।
रहती है गोपनीयता
प्रदेश में कंम्प्रेहेंसिव एबॉर्शन केयर की सुविधा उपलब्ध की जा रही है, जहां जरुरत पडऩे पर सुरक्षित गर्भपात करवाया जा सकता है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्य केंद्रों पर एडोल्सेन्ट फ्रेंडली क्लीनिक संचालित हैं। वहां पर काउंसलर इस समस्या का समाधान करते हैं, सभी बातें गोपनीय रखी जाती हैं।
गर्भपात के हालात
यदि गर्भ को रखने से महिला के जीवन को खतरा है या उसके कारण महिला के शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य को गहरी चोट पहुंच सकती है। अगर पैदा होने वाले बच्चे को शारीरिक या मानसिक असमानताएं होने की संभावना हैं। अनचाहा गर्भ होने पर और गर्भनिरोधक विधि की असफलता के कारण गर्भपात कराया जा सकता हैं।
केवल स्त्री रोग विशेषज्ञ या प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर ही गर्भपात सेवाएं दे सकते हैं। सरकार द्वारा स्थापित या संचलित अस्पताल, स्वास्थ्य केंद्र और मान्यता प्राप्त निजी नर्सिंग होम या अस्पताल में गर्भपात के लिए सहमति यदि महिला 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की हो और मानसिक रूप से स्थिर हो। तो वह सहमति फॉर्म पर केवल महिला की सहमति से गर्भपात किया जा सकता है। पति या परिवार की सहमति की जरूरत नहीं होती है। नाबालिग होने (18 वर्ष से कम आयु) होने की दशा में या मानसिक रूप से बीमार होने पर संरक्षक की सहमति की आवश्यकता होती है। आशा, एएनएम, लोकल हेल्थ विजिटर (एलएचवी), स्टाफ नर्स, दाइयों को या अन्य किसी अप्रशिक्षित व्यक्ति को गर्भपात करने की अनुमति नहीं होती है। हालांकि गर्भपात के बाद इनसे देखभाल के लिए सलाह ली जा सकती है।