पीएचडी के लिए आरयू ने गठित की आरडीसी
BAREILLY: आखिरकार भ् वर्ष के बाद आरयू में शुरू होने जा रही पीएचडी एडमिशन के लिए आरयू एक स्टेप और आगे निकल गया है। ऑर्डिनेंस फाइनल होने के बाद अब आरयू ने सभी सब्जेक्ट की रिसर्च डेवलपमेंट कमेटी आरीडीसी गठित कर दी है। आरडीसी ही स्टूडेंट्स की पीएचडी के टाइटल को अप्रूव करती है। कोर्स वर्क कंप्लीट करने के बाद टाइटल को फाइनली अप्रूव किया जाता है। आरयू ने डिफरेंट सब्जेक्ट्स के कोर्स वर्क को भी तैयार करने का दावा किया है। अभी वह उसे फाइनल टच देने में लगा हुआ है। यूजीसी रेगुलेशन ख्009 के तहत कम से कम म् महीने का कोर्स वर्क करना जरूरी है। इसके बाद उसके एग्जाम को भी क्लियर करना कंपलसरी है। नहीं तो स्टूडेंट को पीएचडी में एलिजिबल नहीं किया जाएगा।
सीटों का ब्यौरा जुटा रहा आरयूआरडीसी गठित करने के बाद आरयू अब तेजी से सीटों का ब्यौरा जुटाने में लग गया है। इसके लिए उसने सभी विभागों से जल्द से जल्द सीटों की संख्या मांगी है। जिससे आरडीसी के समक्ष सही सिचुएशन को रखा जा सके। यूजीसी के नए रेगुलेशन के तहत असिस्टेंट प्रोफेसर ब्, एसोसिएट प्रोफेसर म् और प्रोफेसर 8 स्टूडेंट्स का ही गाइड बन सकता है। यदि किसी गाइड के पास पहले से ही कोई स्टूडेंट पीएचडी कर रहा है तो उसके खाते से उतनी सीट कम कर दी जाएगी। सब्जेक्ट वाइज जैसे ही सीटों का ब्यौरा मिल जाएगा पीएचडी की फाइनली प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
कोई नए आवेदन नहीं पीएचडी के लिए कंबाइंड इंट्रेंस टेस्ट ख्0क्ख् में कंडक्ट की गई थी। रिजल्ट डिक्लेयर करने के बाद आरयू पर पीएचडी शुरू करने का काफी दबाव बना। लेकिन ऑर्डिनेंस ना होने के चलते वह प्रोसीजर स्टार्ट नहीं कर पाया। लेकिन स्टूडेंट्स के दबाव को देखते हुए बिना ऑर्डिनेंस के ख्0क्ख् में ही स्टूडेंट्स से आवेदन मंगा लिए। करीब भ्,000 स्टूडेंट्स ने पीएचडी के लिए आवेदन किए हैं। अब ऑर्डिनेंस फाइनल हो चुका है, आरयू ने साफ किया है कि कोई नया आवेदन नहीं मंगाया जाएगा। पुराने आवेदनों को ही शॉर्टलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीट्स फाइनल होने के बाद उन्हें आरडीसी के समक्ष उपस्थित होने के लिए कॉल किया जाएगा। लेकिन ऑर्डिनेंस नहीं किया सार्वजनिकऑर्डिनेंस फाइनल होने के बाद भी स्टूडेंट्स के लिए यह अबूझ पहली बनी हुई है। आरयू ने अभी तक ऑर्डिनेंस को सार्वजनिक नहीं किया है। आरयू के वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है। जिसके चलते स्टूडेंट्स को यह मालूम नहीं चल पा रहा है कि किन नियमों के तहत पीएचडी कराई जाएगी। प्रोसीजर को लेकर स्टूडेट्स अभी तक गफलत में हैं।