नए कानून की जननी बनेगा आरयू
- लॉ के स्टूडेंट्स को दी जा रही है एक्ट बनाने की ट्रेनिंग
- एक्ट में संशोधन के लिए सुझावों को भेजा जाएगा गवर्नमेंट को BAREILLY: आरयू का लॉ डिपार्टमेंट पूरी तरह से कायाकल्प होने की राह पर चल पड़ा है। नए सेशन से जहां कई नए लेटेस्ट प्रोफेशनल कोर्सेज ओपन होने वाले हैं, वहीं यहां से नए कानून भी मूर्तरूप लेंगे। आरयू में लॉ के स्टूडेंट्स इन दिनों एक्ट कैसे बनते हैं की ट्रेनिंग ले रहे हैं। कोई भी नया एक्ट बनाने व संशोधन करने के लिए इनके सुझावों पर गौर किया जाएगा। यह पूरी कवायद इसलिए की जा रही है ताकि स्टूडेंट्स जान सकें जिन किताबों से वे कानून की पढ़ाई कर रहे हैं आखिरकार उनकी उत्पति कैसे हुई और क्यों महसूस की गई। साथ ही मौजूदा समय में यह कानून कितना रिलेवेंट हैं। इनमें संशोधन की किस कदर तक गुंजाइश है। संशोधन की है जरूरतकोई भी नया एक्ट बनाने व उनमें संशोधन का अधिकार पार्लियामेंट का है। कई बार हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के कुछ अलग व नए डिसिजंस को भी कानून के दायरे में मान लिया जाता है। एक्ट में कम ही संशोधन देखने को मिले हैं। अधिकांश एक्ट ऐसे हैं जिनमें वर्षो से संशोधन नहीं हुआ है और मौजूदा समय में व्यवहारिक रूप से कहीं भी नहीं ठहरते। इन्हीं सभी दिक्कतों को भांपते हुए आरयू के लॉ डिपार्टमेंट ने नए एक्ट बनाने की जिम्मेदारी को समझा है। पुराने एक्ट में किस कदर संशोधन की जरूरत है इसकी रिलेवेंसी को समझते हुए सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट को इसके लिए सुझाव भेजने की भी ठानी है।
स्टूडेंट्स को दी जा रही है ट्रेनिंग आरयू में अभी सिर्फ एलएलएम का ही कोर्स कंडक्ट किया जाता है। नेक्स्ट सेशन से कई यूजी व डिप्लोमा कोर्सेज ओपन हो जाएंगे। फिलहाल एलएलएम कोर्स के स्टूडेंट्स को नए एक्ट को बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। लॉ के हेड डॉ.अमित सिंह ने बताया कि फर्स्ट सेमेस्टर के स्टूडेंट्स से ट्रेनिंग की शुरुआत भी हो चुकी है। ट्रेनिंग में स्टूडेंट्स को बताया जाता है कि सेक्शन क्या होते हैं, उनको गढ़ने के लिए किन-किन परिस्थितियों को ध्यान में रखना होता है, उनका फॉर्मेशन कैसे होता है, उन्होंने इन बेसिक्स की इंफॉर्मेशन देने के बाद स्टूडेंट्स से मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए नए एक्ट बनाने के लिए सुझाव लिए जाते हैं। इसमें फैकल्टी भी मदद करती है। जिन्हें सेंट्रल और स्टेट गवर्नमेंट को भेजना होता है। भ् एक्ट भेजे जा चुके हैंअभी हाल ही में आरयू के डिपार्टमेंट की तरफ से सेंट्रल गवर्नमेंट को अलग-अलग मुद्दों पर भ् नए एक्ट के लिए सुझाव भेजे गए थे। जिसमें पैदल चलने वालों और रैगिंग के लिए भी एक्ट शामिल थे। इन पर पार्लियामेंट में बहस भी हुई। वहीं रैगिंग के लिए गठित राघवन कमेटी में तो बाकायदा आरयू के सुझावों को सम्मिलित भी कर लिया गया। रैगिंग के रोकथाम के लिए देश के सभी यूनिवर्सिटीज व कॉलेजेज को जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं उनमें आरयू के सुझाव भी शामिल किए गए हैं।
इन एक्ट पर चल रहा कामआरयू के स्टूडेंट्स और फैकल्टी फिलहाल कुछ नए संशोधनों पर भी काम रहे हैं। डॉ। अमित सिंह ने बताया कि तंबाकू सेवन का जो मौजदा एक्ट है उसमें सड़क और पार्को में तंबाकू सेवन व सिगरेट के पीने की परमीशन है, जो गलत है। सड़क पर और पार्को में बच्चे व महिलाओं की भी मौजूदगी होती है। ऐसी स्थिति में उनकी सेहत पर गहरा असर पड़ता है। इसके अलावा महिलाओं का अश्लील चित्रण अधिनियम क्98म् में संशोधन कराए जाने पर भी काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि महिलाओं की डिग्निटी को लेकर खूब चर्चाएं होती हैं। लेकिन जो एक्ट है वह काफी पुराना है। कार्रवाई के लिए सक्षम नहीं है। एडवारटाइजिंग में महिलाओं को एक सामान के रूप में दिखाया जाता है। उनके इस इस्तेमाल पर रोक लगनी चाहिए। संशोधन को लेकर सशक्त प्रारूप तैयार करने के बाद इसे केंद्र सरकार को भेज दिया जाएगा।