यूनिसेफ करेगा शहर को कुपोषण मुक्त
- यूनिसेफ ने भेजा कुपोषण की नब्ज टटोलने के लिए कोऑर्डिनेटर
- प्रदेश में पहली बार बरेली मंडल में यूनिसेफ कर्मचारी की तैनाती - कुपोषण दूर करने के लिए बजट की व्यवस्था भी करेगा यूनिसेफ BAREILLY:रुहेलखंड में बढ़ते कुपोषण लेवल को काबू को करने में जिला प्रशासन समेत प्रदेश सरकार ने भी हाथ खड़े कर दिए हैं। बेकाबू होते जा रहे कुपोषण पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार और यूनिसेफ ने मिलकर काम करना शुरू कर दिया है। ऐसे में प्रदेश में पहली बार बरेली जिले में यूनिसेफ कोऑर्डिनेटर अनीता गौतम की तैनाती की गई है, जो कुपोषण की नब्ज टटोलने के साथ ही जरूरी बजट की भी अलग से व्यवस्था करने की संस्तुति करेंगी। गौरतलब है कि मंडल में 1.70 लाख बच्चे कुपोषित हैं। वहीं, हाल ही में किए गए सर्वे के विभिन्न योजनाओं के बावजूद दो माह में 8 हजार बच्चों में कुपोषण की पुष्टि हुई है।
यह है आंकडाविभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2013-14 में कुपोषण को मंडल से मिटाने के लिए 11 हजार 8 सौ आंगनबाड़ी केंद्रों पर लगभग 30 करोड़ रुपए खर्च हुए, लेकिन कुपोषण के केसेज कम होने की बजाय बढ़ते गए। फिलहाल मार्च में किए गए तिमाही सर्वे में बरेली मंडल में लगभग 37 हजार बच्चे अल्प वजन के कुपोषित पाए गए। वहीं, चौंकाने वाले आंकड़ें भी सामने आए, जिसमें केवल बरेली में ही अल्प वजन के कुपोषित बच्चों की संख्या 15 हजार और अति कुपोषित बच्चों की संख्या भी लगभग 6 हजार पाई गई है। कुपोषण को मिटाने के लिए केंद्र सरकार ने हॉट कुक योजना, बाल पुष्टाहार कार्यक्रम संचालित कर रही है, जिसका कुपोषण पर कोई असर नहीं हो रहा।
कई बार खुली पोल विभाग ने कुपोषण कम न होने के कई वजहें सरकार को गिनाई, लेकिन जब प्रदेश शासन के अधिकारियों ने दौरा किया तो मामला विभागीय अधिकारियों के नक्कारेपन का सामने आया। पिछले दिनों विशेष सचिव राजीव रौतेला और मिनिस्ट्री ऑफ रुरल डेवलपमेंट की चीफ एडवाइजर सुधा पी। राव ने दौरा कर रिपोर्ट शासन को भेजी थी, जिसमें अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू कराने में हीलाहवाली के सुबूत पाए गए। रिपोर्ट को संज्ञान में लेते हुए केंद्र सरकार ने यूनिसेफ के साथ मिलकर मिशन कुपोषण तैयार कर आखिरकार मंडे को रीजनल टेक्निकल कोऑर्डिनेटर अनिता गौतम की तैनाती की। गोद से भी नहीं मिली राहतकुपोषण की पीड़ा को अधिकारियों की गोद भी राहत नहीं दे सकी थी। अधिकारियों को पोषण मिशन को प्राथमिक स्तर पर गांवों में लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन रिपोर्ट के मुताबिक करीब 50 गांवों में अधिकारियों ने दौरा ही नहीं किया। जिस वजह से मिशन पोषण लागू ही नहीं हो सका। तो दूसरी ओर गंभीर कुपोषित बच्चों को तंदुरुस्त बनाने के लिए जिला अस्पताल, रुहेलखंड मेडिकल कालेज व एसआरएमएस में पोषण पुनर्वास केंद्र खोले गए, लेकिन अधिकारियों की अलर्टनेस में कमी से पुनर्वास केंद्र में बच्चों का टोटा होने से रुहेलखंड मेडिकल कालेज के पुनर्वास केंद्र पर ताला लग गया और जिला चिकित्सालय में केवल 7 बच्चे भर्ती हैं।
यूनिसेफ का रहेगा जोर कोऑर्डिनेटर अनीता गौतम ने बताया कि उनको मंडल में कुपोषित बच्चों के पेरेंट्स को कुपोषण के प्रति जागरूक करने, कारणों का पता लगाकर उसे रोकने के संभावित योजनाओं को लागू कराने, पोषण मिशन आ रही प्रॉब्लम्स व संभावित बजट तैयार करने, राज्य पोषण मिशन की मॉनीट¨रग करने, रेड लाइन की बजाय बच्चों को ग्रीन लाइन पर लाने के कार्य कराने का जिम्मेदारी है। जिसकी रिपोर्ट प्रत्येक माह यूनिसेफ को भेजी जाएगी।