अफसोस, बरेली में लॉन टेनिस का फ्यूचर डार्क
बरेली (ब्यूरो)। एक तरफ तो सरकार खेलो इंडिया जैसी मुहिम चला रही है, वहीं दूसरी ओर कई स्पोर्टस धीरे-धीरे गायब ही होते जा रहे हैं। बरेली एक ऐसा शहर है, जो अपनी वर्सटेलिटी के लिए फेमस है। इसके बावजूद यहां पर लॉन टेनिस जैसा रॉयल खेल यहां दम तोड़ता नजर आ रहा है। स्थिति यह है कि कई लोगों को तो यह भी पता नहीं है कि लॉन टेनिस जैसा भी कोई खेल होता है। इसे लोग सिर्फ एक ही नाम से जानते है, वह स्पोर्ट जो सानिया मिर्जा खेलती है। इस बारे में दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम बरेली के स्पोर्ट स्टेडियम्स का दौरा किया तो हैरान कर देने वाली बात सामने आई।
सोच ने खत्म किया खेल
सोच-सोच का फर्क है, कोई स्पोट्र्स को जीवन समझ लेता है तो कोई टाइम वेस्ट। इस सोच की वजह से ही सिटी में लॉन टेनिस का भविष्य गुम होता नजर आ रहा है। कुछ ही स्कूल्स में लॉन टेनिस को महत्ता दी जाती है। गांधी उद्यान में कई लोगों से जब लॉन टेनिस के बारे में पूछा तो गिने-चुने कुछ लोग ही इसके विषय में बता पाए। वहीं कुछ लोगों का कहना था कि इसका नाम सुना-सुना लग रहा है, इससे अधिक कुछ नहीं जानते। स्पोर्ट कोचेज से बात करने पर पता चला कि सिर्फ कुछ प्रतिशत बच्चे ही इसे डेडिकेटिड होकर खेल रहे है। इस स्पोर्ट को यहां पर वह पहचान नहीं मिल पा रही है, जो मिलनी चाहिए।
प्लेयर्स और अदर लोगों के लिए लॉन टेनिस खेलने की कई जगह हैं, पर उसे लोग सही से युटिलाइज नहीं कर पा रहे हैं। सिटी में कई जगह कोर्ट हैं, जहां लोगों को ट्रेन किया जा रहा है। इनमें एलन क्लब, मेगा ड्रीम, इंटरनेशनल सिटी, पद्मावत एकेडमी, अलमा मातेर, कैंट स्टेडियम, स्पोट्र्स स्टेडियम प्रमुख हैं। कहां आ रही परेशानी
प्लेयर्स को लॉन टेनिस में वह स्कोप नहीं दिख रहा है, जो अदर ग्रुप स्पोट्र्स में दिख रहा है। यह खेल पॉश और कॉस्टली होने की वजह से लोग कम खेलते हैं और इसे कम प्रमोट करते हैं। लॉन टेनिस को स्पॉन्सर करने के लिए भी बहुत कम ही लोग रुचि दिखाते हैं। इस स्पोर्ट की कॉस्टिंग अधिक होने की वजह से भी लोग इसमें आने से कतराते हैं।
क्या है खास बात
इंटरनेशनल टेनिस फेडरेशन कोच अशु पाल ने बताया कि प्लेयर्स को ट्रेन करने के लिए के लिए सात कोच को अप्वाइंट किया गया है। इसके अलावा विदआउट स्पॉन्सरशिप स्टेट और डिस्ट्रिक्ट लेवल के कई तरह के मैच खिलाए जा रहे है। वहीं जो प्लेयर अच्छा खेलता है, उसे आगे प्रमोट भी किया जाता हैं। उन्होंने बताया कि भविष्य को देखते हुए कुछ नए रिसोर्सेस की भी तलाश की जा रही है।
कोच अंशु पाल के अनुसार यह स्पोर्ट सिर्फ टाइमपास बन कर रह गया है। इसे कुछ ही लोग सीरियस होकर खेलते है। वह कहते हैं कि उनकी अकेडमी में हर रोज 300 से 400 लोग आते है। इनमें से चंद ही हैं, जो इसे गंभीरता से लेते हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यहां के स्कूल, कॉलेजेज का माहौल है, जो लॉन टेनिस जैसे स्पोर्टस को प्रोमोट नहीं करता है। स्टूडेंट्स को सिर्फ गिने-चुने स्पोर्टस के बारे में ही पता है। वह यह भी बताते हैं कि इसके अलावा न ही कोई इसे स्पॉन्सर करने को तैयार है, न ही सरकार कोई मदद कर रही है। बरेली में कई ऐसे इंटरनेशनल खिलाड़ी पनप रहे हैं पर अभावों की कमी की वजह से सब बिखर रहा है। कई अच्छे प्लेयर्स ने तो इसे अभावों वजह से छोड ही दिया है।
कोच की बात
स्पोर्ट्स स्टेडियम में दो बैच में क्लासेज चलती हैं। सुबह के बैच में सिर्फ उन लोगों को बुलाया जाता है, जो इसे सिर्फ फन की तरह खेलते हैं। शाम के बैच में वे प्लेयर्स हैं, जिन्हें इसमें रुचि है। स्टेडियम में 35 बच्चे हैं, जिनमें सिर्फ 15 ही आ रहे हैं। कई पढ़ाई और क्लास की वजह से नहीं आ पाते हैं। यह खेल रॉयल और पॉश होने की वजह से कम लोग इसे प्रीफर करते हैं।
मीना पाण्डेय, कोच
सौरभ, कोच मै यहां लंबे समय से प्लेयर्स को ट्रेनिंग दे रहा हूं। हमारे पास हर उम्र के प्लेयर्स खेलने आते हैं। कई लोग तो इसमें भविष्य न देखते हुए इसे छोड़ देते हैैं। बरेली में लोग इसे पिछड़ा हुआ गेम समझते है।
गौरव, कोच
मैं छह साल से लॉन टेनिस खेल रहा हूं। यह मेरा ड्रीम है, जिसके लिए मैं खेल रहा हूं। मेरे घर वाले इसके लिए बहुत सपोर्टिव हैं। इस गेम को लेकर अगर मौका मिलेगा तो देश का नाम भी रोशन करेंगे।
भाविक
इशांतअग्रवाल मैने स्टेट और डिस्ट्रिक्ट दोनों टूर्नामेंट्स में खेला हुआ है। कई बार ऐसा लगता है कि कोई इस गेम के बारे में कुछ जानता ही नहीं है। कई बार लोग ऐसा भी पूछ लेते हैं कि यह कौन सा गेम है।
इशिता मैंने स्टेट लेवल तक के कई मैच खेले है। अगर मौका मिलेगा तो आगे तक भी खेलेंगे। मैने लॉन टेनिस खेलना 2017 से शुरू किया था। कई लोगों को यह पता ही नहीं कि यह कौन का गेम है।
श्रीहान भाटीयानी