आरयू कैंपस नहीं है सेफ और सिक्योर
- सेफ्टी और सिक्योरिटी के कई मानकों पर फेल है आरयू
- यूजीसी ने नए सिरे से गाइडलाइंस जारी कंपलसरी फॉलो करने के दिए निर्देश BAREILLY: यूनिवर्सिटी कैंपस में स्टूडेंट्स की सिक्योरिटी को लेकर जितना यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन गंभीर है, उससे कहीं ज्यादा आरयू ने लापरवाही का रवैया अपना रखा है। यूजीसी की सिक्योरिटी और सेफ्टी के मानकों पर आरयू बिल्कुल भी खरा नहीं उतर रहा है। कैंपस में पढ़ रहे और रहने वाले स्टूडेंट्स की सिक्योरिटी और सेफ्टी के लिए यूजीसी ने नए सिरे से गाइडलाइंस जारी की हैं। कुछ एक-दो नियमों को छोड़ दिया जाए तो बाकी गाइडलाइंस को आरयू बिल्कुल भी फॉलो नहीं कर रहा है। यूजीसी ने सभी यूनिवर्सिटीज को यह गाइडलाइंस जारी कर उसे स्ट्रिक्टली इंप्लीमेंट करने के निर्देश जारी किए हैं। टू बिल्ड सेफ सिक्योर एंड लर्निग क्लाइमेटयूजीसी का मानना है कि हायर एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस में क्वालिटी एजुकेशन और रिसर्च के लिए सेफ, सिक्योर और आपसी सामंजस्य का लर्निग क्लाइमेट डेवलप करना बेहद जरूरी होता है। ऐसे में एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के मैनेजमेंट के लिए यह जरूरी हो जाता है कि मैन मेड व नैचुरल एक्सिडेंट्स, अटैक्स और थ्रेट्स के प्रति बचाव के लिए वे स्टूडेंट्स में न केवल भरोसा जगाएं बल्कि इन्श्योर भी करें। इसी मंशा को मूर्तरूप देने के लिए यूजीसी ने सेफ्टी ऑफ स्टूडेंट्स को लेकर गाइडलाइंस जारी की हैं। यूजीसी के सेक्रेट्री प्रो। डॉ। जसपाल एस संधु ने सभी यूनिवर्सिटी को लेटर जारी कर इसे फॉलो करने के निर्देश दिए हैं।
सीसीटीवी कैमरे और मेटल डिटेक्टर्स की जद में हों कैंपस यूजीसी का यह आदेश कैंपस और संबद्ध हॉस्टल्स परिसर के लिए है। इसके तहत हर प्रमुख प्वाइंट्स जहां स्टूडेंट़्स की आवाजाही ज्यादा होती है वहां पर सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही इंट्री प्वाइंट्स पर मेटल डिटेक्टर्स भी लगाने को कहा गया है। ताकि आने-जाने वाले संदिग्ध और बाहरी लोगों के बैग्स पर निगाह रखी जा सके। यही नहीं स्टूडेंट्स, टीचर्स और बाकी स्टाफ के अटेंडेंस के लिए बायोमैट्रिक सिस्टम लगाने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि उनकी आवाजाही की प्रॉपर इनफॉर्मेशन रखी जा सके। इमरजेंसी नोटिफिकेशन का सिस्टम जरूरीयूजीसी ने ऐसे इमरजेंसी नोटिफिकेशन का सिस्टम लागू करने का निर्देश दिया है, जो स्टूडेंट्स और बाकी स्टाफ के लिए उसे आपरेट करने में बिल्कुल भी परेशानी न हो। इस सिस्टम के तहत ईमेल, इंमरजेंसी नम्बर या फिर मैसेजिंग की ऐसी व्यवस्था डेवलप की जाती है जिसके माध्यम से यदि कोई इमरजेंसी हालात पैदा हुए तो इसकी इंफॉर्मेशन दी जा सके। इसके लिए एप की भी मदद ली जा सकती है।
कैंपस में हो पुलिस स्टेशन यूजीसी ने कैंपस में पुलिस की रेगुलर व्यवस्था होने पर बल दिया है। इसके लिए एक स्टेशन स्थापित करने पर जोर दिया है। यही नहीं कैंपस में हर फायर सेफ्टी सिस्टम की व्यवस्था होनी चाहिए। फायर सेफ्टी अलार्म तो बेहद जरूरी है। मेडिकल फैसिलिटीज और एम्बुलेंस मस्ट है। सेल्फ डिफेंस और काउंसलिंग की क्लास यूजीसी ने समय-समय पर टीचर्स और स्टूडेंट्स की काउंसलिंग कराने की जरूरत को महसूस किया है। यही नहीं स्कूल की तरह हायर एजुकेशन में भी पैरेंट्स व टीचर्स की मीटिंग कराने पर जोर दिया है। यही नहीं स्टूडेंट्स को सेल्फ डिफेंस के गुर सिखाने पर भी बल दिया गया है। इसके लिए जरूरत पड़े तो एनजीओ की भी हेल्प लेने के भी निर्देश दिए हैं। आरयू सभी इंपोर्टेट मानकों पर फेलयूजीसी ने सिक्योरिटी और सेफ्टी को लेकर जितने भी गाइडलाइंस जारी किए हैं आरयू इन सभी को लागू करने में फ्लॉप साबित हो रहा है। कैंपस में कहीं पर भी सिक्योरिटी सिस्टम नहीं है, मेटल डिटेक्टर्स और बायोमैट्रिक सिस्टम तो दूर की बात है। यही वजह है कि आए दिन स्टूडेंट्स के हंगामे होते रहते हैं। यदि कोई इमरजेंसी हो तो उसके लिए तुरंत हेल्प मांगने का भी कोई साधन नहीं है। मेडिकल डिस्पेंसरी तो है लेकिन डॉक्टर्स नहीं, एंबुलेंस की सुविधा की काफी समय से मांग की जा रही है। सेल्फ डिफेंस की क्लास लागू करने की भी कोई व्यवस्था नहीं है। न ही कैंपस में ऐसा कोई अलार्मिग सिस्टम है, जिसके माध्यम से किसी भी इमरजेंसी के मौके पर अलर्ट किया जा सके। प्रोवीसी प्रो। वीपी सिंह कहते हैं कि हर डिपार्टमेंट के हेड व टीचर्स प्रॉक्टोरियल बोर्ड में होते हैं। किसी भी स्टूडेंट को प्रॉब्लम हो तो उन्हें कॉल कर सकते हैं। वहीं हॉस्टल में भी कोई भी स्टूडेंट वॉर्डन को कभी भी कॉल कर सकता है।