टूटती बंदिशों के बीच चर्चा में चुनाव
कंपलसरी है सिक्योरिटी मनीबरेली कॉलेज ने कैंडीडेट्स के लिए सिक्योरिटी मनी को जमा कराना कंपलसरी कर दिया है। बिना इसके किसी भी कैंडीडेट का नॉमिनेशन स्वीकार नहीं किया जाएगा और उसका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा। कॉलेज के अधिकारियों की मानें तो यह प्रथा पहले से ही चली आ रही है जो इस ईयर के इलेक्शन में भी निभाई जा रही है। पहले भी 1,000 रुपए तक सिक्योरिटी मनी जमा कराई गई है।आरयू ने सिक्योरिटी मनी को किया नोआरयू ने बरेली कॉलेज के उलट कैंडीडेट्स से किसी भी प्रकार की सिक्योरिटी मनी जमा नहीं करा रहा है। वह सिर्फ स्टूडेंट्स यूनियन की मेंबरशिप के नाम पर महज 50 रुपए ही जमा करा रहा है। आरयू के इस कदम की सभी स्टूडेंट्स लीडर्स सराहना कर रहे हैं।बात पची नहीं
बीसीबी का यह कदम इलेक्शन लडऩे वाले कैंडीडेट्स को पच नहीं रहा है। उनमें विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। कैंडीडेट्स इसे किसी भी रूप में छात्रहित में नहीं मानते हैं। उनका तर्क है कि स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन पूरी तरह से स्टूडेंट्स के लिए होता है। जहां केवल स्टूडेंट्स के मुद्दों की बात होती है। धन और बाहुबल का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता है। ऐसे में कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन को स्टूडेंट्स पर रुपयों का दबाव नहीं बनाना चाहिए। कुछ स्टूडेंट्स लीडर्स तो इसे वापस लेने के लिए बकायदा ज्ञापन सौंप कर मांग करने की रणनीति भी बना चुके हैं।कॉलेज अपने रुख पर अड़ाविरोध के स्वर के बावजूद कॉलेज अपने रुख पर अड़ा हुआ है। इसके पीछे भी उनका अपना अलग तर्क है। उनका मानना है कि इस कदम से कैंडीडेंट्स नॉमिनेशन भरने से पहले सौ बार सोचेंगे। हर कोई इलेक्शन लडऩे की नहीं सोचेगा।इलेक्शन लडऩे के लिए स्टूडेंट्स से सिक्योरिटी मनी लेना गलत है। हम कॉलेज के इस कदम का विरोध करते हैं। छात्रहित में यह कतई भी सही नहीं है। उनपर एक्स्ट्रा धन का बोझ लादा जा रहा है। हम इसके रोलबैक की मांग करेंगे। इलेक्शन के खर्चे को कम करने की बजाय यह बढ़ाने वाला कदम है। कॉलेज को चाहिए कि स्टूडेंट्स इलेक्शन के लिए कम से कम खर्च किए जाएं।-सुमित गुर्जर, एबीवीपीमैं कॉलेज के इस कदम का स्वागत करता हूं। मेरे समझ से कॉलेज का यह स्टेप सही है और इससे कैंडीडेट्स इलेक्शन से पहले ही छंट जाएंगे। हर कोई इलेक्शन में खड़ा नहीं होगा और जो सही मुद्दों के लिए ही इलेक्शन लड़ेगा वही कैंडीडेट्स दावेदारी ठोकेगा।- जवाहर लाल, एबीवीपी
कॉलेज का यह कदम छात्र विरोधी है। एक तरफ कॉलेज लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की दुहाई देते हुए इलेक्शन में खर्चे कम से कम करने की बात कह रहा है। तो दूसरी तरफ सिक्योरिटी मनी कंपलसरी कर स्टूडेंट्स पर एक्स्ट्रा बोझ डाल रहा है। मैं उनके इस कदम का विरोध करता हूं। हर स्टूडेंट्स को इलेक्शन लडऩे का हक है।-हृदेश यादव, सछासकॉलेज को आरयू से कुछ सीखना चाहिए। यह इलेक्शन स्टूडेंट्स के लिए होता है और एक्स्ट्रा खर्च का बोझ नहीं डालना चाहिए। हम विरोध करते हैं और कॉलेज खुलने पर वापस लेने की मांग करेंगे। लिंगदोह ने पहले ही खर्चे कम करने के डायरेक्शंस दिए हैं। कॉलेज नियम तोड़ रहा है।-रजत मिश्रा, अम्बेडकर छात्र सभाहम पहले भी सिक्योरिटी मनी लेते आए हैं। इलेक्शन में कई सारे डमी कैंडीडेट्स खड़े हो जाते हैं जिनका कोई जनाधार नहीं होता। इस कदम से ऐसे कैंडीडेट्स पहले ही छंट जाते हैं। जो सही मायने में स्टूडेंट्स का वोट पाएगा वो ही इलेक्शन के लिए खड़ा होगा। ऐसे में टोटल वोटिंग परसेंटेज से 10 परसेंट वोट पाने वाले कैंडीडेट्स की सिक्योरिटी मनी वापस कर दी जाएगी।- डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल बीसीबी
आरयू और बीसीबी में स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए केवल नौ दिन बचे हैं। ऐसे में वोटर्स ने भी अपने भावी कैंडीडेट्स को तमाम कसौटियां पर कसना शुरू कर दिया है। आई नेक्स्ट ने कुछ स्टूडेंट्स से बात की तो उन्होंने शेयर किए अपने एजेंडे।बेहतर स्टडीज होगा मुद्दा, तभी मिलेगा सपोर्टयूनिवर्सिटी में लाइब्रेरी रिच न होने से स्टडीज में बहुत प्रॉब्लम्स आती हैं। यूनियन इलेक्शन के प्रत्याशियों में जो कोई भी लाइब्रेरी को अपने मेन एजेंडे में शामिल करेगा, मेरा वोट उसी को जाएगा। यूनिवर्सिटी की प्रियॉरिटी एकेडमिक्स होनी चाहिए। प्रत्याशियों क ो चाहिए कि स्टडीज को ही अपनी प्रमुखता बनाई जाए। अगर यूनिवर्सिटी में क्लास रेगुलर हों और लाइब्रेरी की बेहतर सुविधा मिलती रहे तो मुझे यूनिवर्सिटी में कोई प्रॉब्लम नजर नहीं आती है। जो प्रत्याशी पढ़ाई को बेहतर करने की बात करेगा,मैं अपना सपोर्ट उसको ही दूंगी।-नीरज, बीटेक स्टूडेंट, आरयूवोट चाहिए तो प्लेसमेंट सेल को बनाएं मुद्दा
यूनिवर्सिटी में प्लेसमेंट सेल को ब्रॉड स्केल पर डेवलप किया जाना चाहिए। यहां तो फैकल्टीज ही अपने लेवल पर कंपनीज को इन्वाइट कर लेती है। चूंकि पढ़ाई के बाद प्लेसमेंट सबसे ज्यादा जरूरी है तो यूनियन इलेक्शन के लिए यही सबसे बड़ा मुद्दा होना चाहिए। जो भी कैंडीडेट प्लेसमेंट सेल को मजबूत करने और उसे सक्रिय रखने के मुद्दे को अपने इलेक्शन एजेंडा में शामिल कर लेगा, मेरा वोट उसे ही जाएगा। इसके लिए जरूरी है वह पहले से ही अपने एजेंडे को क्लियर कर दें।-देवेंद्र, मैनेजमेंट स्टूडेंट, आरयूजीत के लिए जीसीआर ही हो एजेंडाकॉलेज कैंपस में गल्र्स के लिए जीसीआर क ो पूरी तरह से रेनोवेट कराया जाना चाहिए। गल्र्स कॉमन रूम (जीसीआर) में अलग से स्पोट्र्स फैसिलिटी, रीडिंग रूम जैसी सुविधाएं दी जानी चाहिए। जो भी कैंडीडेट इलेक्शन में अपनी कैंपेनिंग में जीसीआर को फ ोकस करेगा। मेरा वोट तो उसे ही मिलेगा। इतना ही नहीं, जीसीआर में तो टॉयलेट, ड्रिंकिंग वाटर जैसी फैसिलिटीज भी अवेलेबल नहीं हैं। ऐसे में जीसीआर इलेक्शन के लिए एक बड़ा मुद्दा है, एट लीस्ट मेरा वोट तो इस मुद्दे पर ही डिपेंड करेगा। -नीति चित्रांशी, बीएससी स्टूडेंट, बीसीबीलाइब्रेरी को हाईटेक करवाएं तो वोट पक्का कॉलेज कैंपस में बनी लाइब्रेरी का रीडिंग रूम बड़ा होना चाहिए। लाइब्रेरी ऑनलाइन हो और स्टूडेंट्स को रीजनेबल रेट्स पर इंटरनेट फैसिलिटीज भी अवेलेबल होनी चाहिए। इससे स्टूडेंट्स क ो कॉलेज टाइम के दौरान सायबर कैफे तक नहीं जाना होगा। कॉलेज में स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शंस के कैंडीडेट्स में से जिसने भी लाइब्रेरी को हाइटेक करने और उसकी फैसिलिटीज को स्टूडेंट्स तक पहुंचाने को अपना मुद्दा बनाया और स्टडी का इनवायनमेंट क्रिएट करने की बात करेगा मैं और मेरे साथी उसकी जीत में पूरा योगदान देंगे।-ज्ञानप्रकाश, बीए स्टूडेंट, बीसीबीकोड ऑफ कंडक्ट को हवा में उड़ाते हुए आरयू और बीसीबी छात्र संघ के संभावित दावेदारों ने कैंपस के साथ ही सिटी को भी पोस्टर्स से पाट दिया है। एक तरफ जहां डंके की चोट पर ये छात्र नेता कोड ऑफ कंडक्ट को ठेंगा दिखा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर कड़ी कार्रवाई करने का दावा कर जिम्मेदार पल्ला झाड़ लेते हैं।कैंपस प्रॉपर्टी को कर रहे हैं डैमेजइलेक्शन कंडक्ट करने की जिम्मेदारी संभाल रहे टीचर्स और अधिकारियों की लाख कोशिशों के बावजूद स्टूडेंट्स लीडर्स आचार संहिता की धज्जियां उड़ा रहे हैं। यही नहीं नेता कैंपस की प्रॉपर्टी को भी डैमेज कर रहे हैं। आरयू और बीसीबी दोनों ही कैंपस की यही स्थिति है। फैकल्टी से लेकर हर वह जगह जहां पर स्टूडेंट्स जुटते हैं वहां स्टीकर्स और पोस्टर्स के जरिए स्टूडेंट्स लीडर्स मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। लाइब्रेरी, गल्र्स कॉमन रूम यहां तक की नोटिस बोर्ड तक को नहीं बख्शा जा रहा है। आलम यह कि फीस और फॉर्म जमा करने के काउंटर्स भी कैंपेनिंग मैटेरियल्स से भरे हैं।कैंपस की वॉल फेवरेट प्लेसदोनों कैंपस के वॉल स्टूडेंट्स लीडर्स के निशाने पर हैं। इन दिनों कैंपेनिंग के लिए यह उनका फेवरेट प्लेस बन गया है। आरयू में कैंपस के कई डिपार्टमेंट्स के बाउंड्रीवॉल पर स्टूडेंट्स लीडर्स ने वॉल राइटिंग की है। वहीं बीसीबी के दोनों एंट्रेंस गेट के वॉल पर पोस्टर्स चस्पा किए गए हैं।पब्लिक प्लेसेज पर मनमानीस्टूडेंट्स लीडर्स पब्लिक प्लेसेज पर भी मनमानी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। जबकि लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों में साफ डायरेक्शंस हैं कि कैंपस के साथ-साथ बाहर के एरियाज में भी कोड ऑफ कंडक्ट को सख्ती से पालन कराया जाए। लेकिन सिटी के गांधी उद्यान, चौकी चौराहा, अयूब खां चौराहा समेत प्रमुख प्लेसेज पर हर तरफ नेताओं के पोस्टर्स और बैनर्स ही दिख रहे हैं। मामला नॉलेज में है। हम एक्शन भी ले रहे हैं। इस सिलसिले में कंपलेन भी आती हैं। जिनके पोस्टर्स और स्टिकर्स लगे हैं उनको नोटिस जारी किया जाता है। हटाने के लिए 24 घंटे की मोहलत दी जाती है। हाल ही में स्टूडेंट्स लीडर्स को नोटिस जारी किए गए और उन्होंने खुद ही वहां से अपने पोस्टर्स और स्टिकर्स हटाए। आचार संहिता के उल्लंघन की इंफॉरमेशन आते ही नोटिस जारी कर रहे हैं।-प्रो। नीलिमा गुप्ता, चुनाव अधिकारी, आरयूसभी एक्टिविटीज पर नजर रखी जा रही है। सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। वीडियोग्राफी भी करवाई जा रही है। कैंपस को क्लीन रखने की पूरी कोशिश की जा रही है। स्टूडेंट्स लीडर्स को हिदायत दी जा रही है कि वे कैंपस में बैनर और पोस्टर्स न लगाएंं। हमारी टीम ऐसा करने से मना कर रही है। बैनर हटाए भी गए हैं। नोटिस के बावजूद भी नहीं माने तो सख्त एक्शन लिया जाएगा।- डॉ। आरपी सिंह, प्रिंसिपल बीसीबीइस मामले पर सबसे पहले यूनिवर्सिटी या कॉलेज प्रशासन ये सुनिश्चित करें कि लिंगदोह समिति की रिक्मंडेशन का पालन हो रहा है या नहीं। अगर कॉलेज प्रशासन हमसे इस मामले में हेल्प चाहेगा तो नगर निगम हर तरह की मदद करने को तैयार है। हालांकि सिटी में जहां-जहां पोस्टर बैनर लगाए गए है उन्हें फौरन हटाया जाएगा। -उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त चुनावी माहौल में आई नेक्स्ट ने छात्र राजनीति के पुराने धुरंधरों को खोज कर जानने की कोशिश की, उनके सफर के बारें में। राजनीति छोड़ वकालत में जुटेमहेश गंगवार ने बीसीबी का महामंत्री बनने के बाद से खुद को पॉलिटिक्स से जोड़े रखा। फिर चाहें वह बार एसोसिएशन का ज्वॉइंट सेक्रेट्री बनना हो या फिर मेन स्ट्रीम पॉलिटिक्स में पैर जमाने की कोशिश हो। महेश ने बीसीबी से बीए, एलएलबी करने के बाद एडवोकेट के तौर पर प्रैक्टिस करना शुरू कर दिया, उसके बाद चुनाव के समय उन्होंने बीसीबी में एमए पॉलिटिकल साइंस में एडमिशन लिया। इसके बाद भी वह वकालत में ही जमे रहे। 2005 में वह बार एसोसिएशन के ज्वॉइंट सेक्रेट्री रहे। ईयर 2011-12 में अस्सिटेंड डिस्ट्रिक्ट गवर्नमेंट काउंसिल (एडीजीसी) पद पर रहते हुए विधानसभा चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाई। फिलहाल वह अपना ध्यान वकालत पर ही केंद्रित कर रहे हैं। महामंत्री का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने कॉलेज में नए लैब अप्रेटस, क्लास में व्हाइट बोर्ड लगवाने की पहल का दावा किया है। फिलहाल वह बार एसोसिएशन में ही सक्रिय हैं। महेश गंगवार महामंत्री2003-04, बीसीबीपॉलिटिक्स छोड़ कंपनी में करियर आरयू में स्टूडेंट यूनियन के पहले महामंत्री ने पॉलिटिक्स में कदम तो रखा पर बाद में उन्होंने सर्विस करने पर ही कं संट्रेट किया। बीटेक के स्टूडेंट सुनील सिंह ने जब आरयू के महामंत्री पद के लिए दावेदारी पेश की तो स्टूडेंट्स ने उन्हें हाथों-हाथ लिया। इस सत्र का महामंत्री पद उनकी झोली में गिरा। चुनाव के समय वह बीटेक सेकेंड ईयर के स्टूडेंट थे। उन्होंने कॉलेज स्टूडेंट्स को मिलने वाली तमाम फैसिलिटीज के लिए मांग उठाई। जब तक कैंपस में रहे, तब तक स्टूडेंट्स क ो लीड किया। पर बीटेक कंप्लीट होते ही उन्होंने एपीएम टर्मिनल्स में जॉब ज्वॉइन की। इसके बाद उन्होंने मल्टी नेशनल कंपनी में जॉब करनी शुरू की। इन दिनों कैंपस की हलचल दूर मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब कर रहे हैं।सुनील कु मार सिंहमहामंत्री2003-04, आरयू