यूपी इलेक्शन 2017 इलेक्शन का किन्नर करेंगे बहिष्कार, आरक्षण की मांग
- किन्नरों ने कहा मतदान के बाद जीते हुए जनप्रतिनिधि करते हैं उपेक्षा
- आरक्षण मिलने के बाद वह समाज की मुख्यधारा में हो सकते हैं शामिल - किन्नरों ने कहा मतदान के बाद जीते हुए जनप्रतिनिधि करते हैं उपेक्षा - आरक्षण मिलने के बाद वह समाज की मुख्यधारा में हो सकते हैं शामिल BAREILLY: BAREILLY: समाज की मुख्यधारा से जुड़ने को प्रयासरत किन्नरों ने इस बार के विधानसभा चुनावों में वोटिंग के बहिष्कार का फैसला किया है। किन्नरों ने सरकार पर खुद को सामाज से अलग-थलग करने का आरोप लगाया है। साथ ही, परिवेश में शामिल होने के लिए उन्होंने सीट आरक्षण की मांग की है। ताकि, उन्हें भी पार्टी का टिकट मिले और वह चुनाव जीतकर समाज की बेहतरी समेत किन्नरों को मुख्यधारा में शामिल कराने में मददगार साबित हो सकें। वहीं आरक्षण न मिलने पर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने की बात किन्नर समाज कह रहा है।पार्टी से नहीं मिला था टिकट
वर्ष ख्007 में शहर सीट से सरोज किन्नर ने इलेक्शन में पर्चा भरा था। किन्नर होने की वजह से किसी बड़ी पार्टी से उन्हें टिकट नहीं मिला तो निर्दलीय ही चुनाव में ताल ठोक दी। प्रचार-प्रसार भी काफी किया। पर कोई बड़ा 'सपोर्ट' न होने से चुनाव हार गई। सरोज किन्नर ने बताया कि एक वोट का इलेक्शन में काफी महत्व होता है। ऐसे में किन्नर भी अपने मत का प्रयोग करते हैं। राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार इलेक्शन जीत जाते हैं, पर किन्नर समाज के लिए कोई अहम कदम नहीं उठाते बल्कि उन्हें नीचा दिखाते हैं।
आरक्षण दायरे में हैं किन्नर कन्या विकास सुरक्षा समिति के प्रबंधक किन्नर राजू शमीम ने बताया कि किन्नर हर स्थिति में आरक्षण के काबिल हैं। अल्पसंख्यक, अति पिछड़े और अनुसूचित हर वर्ग में किन्नर शामिल किए जा सकते हैं, पर सरकार इस ओर ध्यान नहीं देती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष ख्0क्फ् में किन्नरों के लिए फार्म व किसी भी आवेदन के लिए ट्रांसजेंडर कॉलम बनाने के आदेश दिए थे। उससे किन्नरों को मुख्यधारा में शामिल नहीं किया जा सका। किन्नर समाज की मुख्यधारा से उपेक्षित हैं। आरक्षण नहीं मिला तो किन्नर चुनाव का बहिष्कार करेंगे। इसके लिए हाईकोर्ट में रिट फाइल की जाएगी। सरोज, अध्यक्ष, किन्नर समाज