Bareilly: कोहरे की मार झेल रहे रेलवे ने अब यह फैसला लिया है कि लगातार ज्यादा वक्त से लेट चलने वाली ट्रेंन को रद्द कर दिया जाएगा. कोहरे की मार से आम आदमी के साथ रेलवे भी बेचैन है. क्योंकि कोहरे की वजह से ट्रेंस लगातार लेट हो रही हैं. ट्रेन लेट होने का सबसे बड़ा नुकसान है कि अगले राउण्ड में ट्रेन समय से नहीं निकल पाती हैं. आगे का शेड्यूल भी गड़बड़ हो जाता है. हालांकि रेलवे के इस फैसले से पैसेंजर्स काफी नाखुश हैं.


रेलवे प्रशासन ने ट्रेंस के संचालन में आ रही इस प्रॉब्लम को देखते हुए फैसला किया है कि ट्रेन काफी ज्यादा लेट होती है तो उसे रद्द कर दिया जाए। रेल प्रशासन का मानना है कि इससे दो फायदे होंगे एक तो पैसेंजर को लेट ट्रेंस से मुक्ति मिलेगी, दूसरे ट्रेन अगले दिन टाइम से चलेगी लेकिन रेल प्रशासन के इस फैसले को जनता ने सिरे से नकार दिया है। उनका मानना है कि उन्हें इससे बहुत दिक्कत होगी।सुस्त चल रही हैं trains
कोहरे की वजह से सेफ्टी मैनेजमेंट को देखते हुए रेलवे ने ट्रेन की रफ्तार कम करने के आदेश दिए हैं। आमतौर पर 100 किमी प्रतिघंटे से ज्यादा स्पीड से चलने वाली ट्रेंस कोहरे में 60 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाई जा रही हैं। लिहाजा ट्रेंस लेट हो रही हैं लेकिन ट्रेन लेट होने का सबसे बड़ा नुकसान है कि पैसेंजर टाइम से मुकाम तक नहीं पहुंच रहे हैं। इसके अलावा ट्रेन अपने होम स्टेशन से टाइम पर नहीं निकल पा रही है। इसके पीछे मुख्य वजह यह है कि जर्नी से लौटकर आई ट्रेंस पहले वॉशिंग लाइन जाती है। वॉशिंग लाइन में ट्रेन को कम       से कम आठ घंटे लग जाते हैं और इसके  बाद ट्रेन प्लेटफॉर्म पर आती है। नतीजतन पहले से लेट चल रही ट्रेन और ज्यादा लेट हो जाती है।

ट्रेन स्लो चलेगी तो लेट होना तो लाजमी सी बात है। ऐसी कंडीशन में भला किस-किस ट्रेन को रद्द किया जाएगा। फाइनल परेशानी तो पब्लिक को ही होनी है। रेलवे तो अपनी सुविधा के लिए बस डिसीजन ले लेता है लेकिन पैसेंजर्स के बारे में सोचने की उन्हें क्या जरूरत है?-विकास, स्टूडेंट ट्रेन को रद्द कर देना किसी प्रॉब्लम का सॉल्यूशन नहीं है। कोहरा समस्या है लेकिन ट्रेन को इसलिए रद्द कर देना कि अगले दिन टाइम से चले तो उन पैसेंजर्स का क्या होगा, जो उस दिन ट्रेन के आने का इंतजार कर रहे हैं। उनके लिए ऑप्शनल व्यवस्था तो है नहीं।-गोविन्द, पैसेंजर कोहरे में ट्रेन को स्लो चलाने से पैसेंजर सेफ रहते हैं। ट्रेन स्लो चलेगी तो लेट होगी। एक दिन ट्रेन लेट चलवाने से अगले दिन का शेड्यूल बिगड़ जाता है। ऐसे में अगले दिन वाली ट्रेन के पैसेंजर्स को भी घंटों वेट करना पड़ता है। हमारा मकसद पैसेंजर की सुविधा और सेफ्टी दोनों हैं। हम इन्हीं दोनों फैक्टर्स को ध्यान में रखकर डिसीजन लेते हैं।-एके सिंहल, एडीआरएम, इज्जतनगर मंडल.  

Posted By: Inextlive