हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है. इस तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है. सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत निराहार और निर्जल रहकर किया जाता है.

बरेली (ब्यूरो)। हरतालिका तीज भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाई जाती है। इस तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत निराहार और निर्जल रहकर किया जाता है। हरतालिका तीज हरियाली और कजरी तीज के बाद मनाई जाती है। इस बार महावीर पंचांग के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को यह 18 सितंबर को मनाई जाएगी। इस ही दिन हस्तगौरी नामक व्रत को करने का विधान भी है, जिसको करने से संपन्नता की प्राप्ति होती है।

मेहंदी का विशेष महत्व
तीज के श्रृंगार में मेहंदी का विशेष महत्व है। वीमेन के साथ कन्याएं भी सखी सहेलियों के साथ मेहंदी लगवाती हंै। महिलाएं अपने हाथों में तरह-तरह के डिजाइन लगवाती हैं। शहरों में जगह जगह मेहंदी के स्टॉल लगते है। मेहंदी लगवाने के लिए वीमेन और गल्र्स सुबह से ही स्टाल पर मेहंदी लगवाने चली जाती है। बाजार में काफी भीड़ रहती है।

तपस्या-निष्ठा का व्रत
पंडित राजीव शर्मा कहते हैं कि लिंग पुराण के अनुसार माता पार्वती ने वन में जाकर भोलेनाथ को अपने पति के रूप में पाने के लिए अन्न और जल ग्रहण बिना किए सालों तक तप किया था। तब भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया था। पुराणों के अनुसार महिलाएं इस व्रत को तपस्या और निष्ठा के साथ करती है तो सात जन्मों तक शिव स्वरूप में पति मिलेंगे।

यह है पूजा विधि
महिलाएं सुबह संकल्प लेकर हरतालिका तीज का व्रत आरंभ करे। इस दिन महिलाओं को स्नान के बाद नए शुभ रंगों के परिधान पहनने चाहिए। उसके बाद महिलाओं को अपने हाथ पर मेंहदी रचानी चाहिए। पूरा श्रृंगार करना होता है। इसमें महिलाएं श्री गणेश की प्रतीकात्मक प्रतिमाएं बनाकर उनकी पूजा करती है। पूजन में रोली, चावल, पुष्प, बेलपत्र, नारियल, दूर्वा और मिठाई आदि से पूजन करे। इस अवसर पर भगवान शिव और पार्वती से कामना करे कि हमारा जीवन भी शिव-गौरी की तरह आपसी प्रेम से सदैव बना रहे।

सुहागिनें इसलिए रखती हैं व्रत
हरतालिका तीज पर स्त्रियां व्रत रखकर भगवान गणेश और शिव पार्वती का पूजा कर अपने सुखद दाम्पत्य जीवन और परिवार की खुशियों के लिए कामना करती है। इस व्रत को निर्जल रहकर किया जाता है। रात में भगवान शिव और पार्वती के गीतों पर डांस किया जाता है। इस अवसर पर महिलाएं और लड़कियां झूला झूलती है।

यह है शुभ मुहूर्त
साई मंदिर के सर्वराकार पंडित सुशील पाठक के अनुसार 17 सितंबर को 11 बजकर 8 मिनट से तृतीया तिथि शुरू होगी। यह 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट तक उदया तिथि के अनुसार हरितालिका तीज व्रत रखा जाएगा। मंडे को सुबह 6 बजे से रात 8 बजकर 24 मिनट तक का समय शिव और पार्वती की पूजा के लिए उपयुक्त है। इस अवसर पर शाम को प्रदोष काल के समय पूजा करना अच्छा माना जाता है।

Posted By: Inextlive