बरेली में 3000 बच्चे ऑटिज्म की गिरफ्त में
वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे पर शहर में निकली रैली
दिक्कत एक पर हर बच्चे के लिए इलाज की थेरेपी अलग BAREILLY: पैदाइश से ही बच्चों के मेंटल व फिजिकल डेवलपमेंट में रोड़ा बनी बीमारियों में ऑटिज्म की हिस्सेदारी बढ़ रही है। पूरी दुनिया में करीब म्0 लाख बच्चों को अपनी चपेट में लेने वाली इस बीमारी ने बरेली में भी फ्000 से ज्यादा मासूमों को अपना शिकार बनाया है। बच्चों को इस बीमारी से निजात दिलाने की मुहिम में थर्सडे को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे के मौके पर शहर में एक जागरुकता रैली का आयोजन किया गया। जीवनधारा रिहेबिलिटेशन एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट संस्था की ओर से ऑर्गनाइज की गई इस रैली में ऑटिज्म से पीडि़त 80 बच्चों व उनके परिजनों ने भागीदारी की। डेवलपमेंट डिसऑर्डर है ऑटिज्मऑटिज्म दरअसल एक ऐसा कॉम्लीकेटेड डेवलपमेंट डिसऑर्डर है, जिसमें बच्चे को दिमाग में मिलने वाली सूचना और उसे स्टोर करने का काम सही से नहीं कर पाता। इसके चलते बच्चे सही से देखने, सुनने, समझने, व महसूस करने में दिक्कतों का सामना करते हैं। इसके अलावा ज्यादातर लोग ऑटिज्म को बीमारी समझते हैं, जो गलत है। असल में यह जिंदगी भर रहने वाली एक कंडीशन है, जिसका कोई इलाज नहीं। लेकिन समय पर इसकी पहचान और सही थेरेपी से पीडि़त बच्चे या इंसान को राहत दी जा सकती है।
परेशानी एक पर इलाज अलग संस्था से जुड़ी एक्सपर्ट अर्चना कुमार ने बताया कि ऑटिज्म स्पेक्ट्रम से पीडि़त बच्चों की दिक्क्त व बिहेवियर भले ही एक हो, लेकिन उनके इलाज के लिए अपनाए जाने वाली थेरेपी अलग अलग होती है। एक्सपर्ट ने बताया कि हर बच्चा हर थेरेपी के लिए अलग से रिएक्शन देता है। ऐसे में कई सिटिंग्स के बाद बच्चों की केस हिस्ट्री समझकर उनके इलाज के लिए अलग से थेरेपी प्रोग्राम डेवलप किया जाता है।