रखे-रखे एक्सपायर हो गई पानी जांच की किट
- प्रधान और अधिकारियों की अनदेखी से प्रदूषित जल पी रहे ग्रामीण
- प्रधानों के पास डम्प हो गई 1 हजार से ज्यादा फील्ड टेस्ट किट प्रधान और अधिकारियों की अनदेखी से प्रदूषित जल पी रहे ग्रामीण - प्रधानों के पास डम्प हो गई क् हजार से ज्यादा फील्ड टेस्ट किट BAREILLY: BAREILLY: गांवों में पब्लिक दूषित जल पी रही है और पानी की जांच की फील्ड टेस्ट किट रखे-रखे एक्सपायर हो गई। 'खुद का पानी, खुद निगरानी' योजना के तहत ग्राम प्रधानों को किट दी गई थी। ताकि, प्रधान ग्रामवासियों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए हैंडपम्प व तालाब की जांच कर सकें। प्रधानों ने किट लेने के बाद अपनी जिम्मेदारी से तो मुंह मोड़ा ही, अधिकारियों ने भी गैर जिम्मेदाराना रवैया का परिचय दिया, जिसका नतीजा है कि किट का यूज पानी की जांच के लिए नहीं किया जा सका।बिना ट्रेनिंग के दे दिया था किट
राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन के तहत विभाग को मई ख्0क्फ् में करीब एक हजार किट्स मुहैया कराई गई थी। किट्स को जिला विकास कार्यालय और जल निगम के अधिकारियों ने चेक करने के बाद जिले के सभी ग्राम प्रधानों ने बिना किट उपयोग करने की प्रॉपर ट्रेनिंग दिए ही किट को सौंप दी। किट की एक्सपायरी डेट जुलाई ख्0क्ब् थी। साल भर गुजरने के बाद अधिकारियों ने मामले का संज्ञान लिया, जिसमें सभी गांवों के प्रधानों के घरों और कार्यालयों में किट डम्प स्थिति में पाई गई। केवल आर्सेनिक के खतरे से प्रभावित बहरोली गांव में किट का प्रयोग ि1कया गया।
पूर्व में गठित की थी टीम ग्राम प्रधानों को स्वच्छ पेयजल योजना के प्रति अवेयर करने के लिए लास्ट ईयर डीएम ने वर्कशॉप कराई थी। जिसमें जल निगम, जिला पंचायती राज अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई। उन्हें टीम बनाकर प्रधानों को स्वच्छता के प्रति जागरूक करने समेत किट के इस्तेमाल की प्रॉपर जानकारी देनी थी। ताकि प्रधान अपने से हैंडपंप के पानी की जांच कर अपने ग्राम पंचायत की रिपोर्ट बनाएं और विभाग को सौंप दें। लेकिन आदेश मात्र खानापूर्ति ही रहा। अधिकारियों की टीम तो बनी, लेकिन प्रधानों को प्रशिक्षित करने के लिए वर्कशॉप कागजों तक ही सीि1मत रही। ब्ख् नलों में से भ् में काला पानीपानी की जांच के लिए भेजी गई किट में से केवल बहरोली में ही किट उपयोग की गई। बहरोली के ब्ख् हैंडपंपों की जांच की गई तो इसमें से 7 में काला यानि प्रदूषित जल वहीं, अन्य में पीएच, क्लोराइड, फ्लोराइड, टर्बोडेटरी, नाइट्रेट की मात्रा भी मिली थी। गौरतलब है कि केवल बहरोली में ही पांच हैंडपंपों में प्रदूषित पानी मिलने की रिपोर्ट है। ऐसे में अन्य क्00म् ग्राम पंचायतों में पानी का क्या हाल होगा। ग्राम प्रधान का गांव के प्रति और योजनाओं के सुचारू क्रियान्वयन के प्रति अधिकारी कितने एक्टिव हैं यह जल की जांच में की गई अनदेखी से साफ झलक रहा है।
मिला था प्रदूषित सैंपल शहर में लास्ट ईयर स्किन कैंसर से ग्रामीणों के पीडि़त होने की सूचना मिली। स्वास्थ्य महकमा की ओर से जांच में स्किन कैंसर होने की मुख्य वजह पानी में 'आर्सेनिक' तत्व का मौजूद होना पाया गया। वहीं, इसी मामले पर संज्ञान लेते हुए प्रशासन के आलाधिकारियों ने केंद्र की योजना 'खुद का पानी खुद निगरानी' को जिले में प्रभावी रूप से अप्लाई किया। ताकि लोगों को स्वच्छ जल मिले और पानी से होने वाली तमाम बीमारियों की रोक थाम की जा सके। लेकिन विभागों के अधिकारियों और प्रधानों की लापरवाही के चलते योजना ठंडे बस्ते में पहुंच गई है। क्या है यह योजनाजीपीएससी यानि ग्राम पंचायत वॉटर सेनिटेशन 'खुद का पानी खुद निगरानी' योजना का बरेली में ख्0क्फ् में शुरू की गई। इसमें गांवों की रिपोर्ट तैयार करने के लिए सेनेटेशन कमेटी गठित की गई। जिसमें प्रधान समेत दो ग्रामीणों को किट संचालन की ट्रेनिंग दी जानी थी। ताकि एफटीके ग्राम पंचायत के लोग ही चेक करें और रिपोर्ट को रोजगार सेवकों को सौंपनी थी। ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक विभाग को रिपोर्ट सौंपने के निर्देश थे। प्रदूषित पानी पाए जाने पर पानी का सैंपल जल निगम को भेजनी थी। वह प्रदूषित पानी के सैंपल को लखनऊ भेजकर रिपोर्ट की पुष्टि करने के निर्देश थे। सभी हैंडपंपों के पानी को वर्ष में प्री मानसून और पास्ट मानसून यानि दो बार चेक किया जाना था। गौरतलब है कि जिले में करीब ब्ब् हजार हैंडपंप हैं। नलों की संख्या को देखते हुए वर्ष में दो बार विभागवार चेकिंग किया जाना नामुमकिन था। ऐसे में ग्राम प्रधानों को किट प्रयोग की विधि की जानकारी देते हुए उन्हें 'खुद का पानी खुद निगरानी' की योजना बनाई गई।
- कुछ प्रधानों ने किट का उपयोग किया है। फील्ड टेस्ट किट एक्सपायर होने की सूचना शासन को दे दी गई है। श्याम कुमार सिंह, डीडीओ