प्रतिपदा का क्षय होने से 8 दिनों की होगी नवरात्रि
- 29 को शैलपुत्री और ब्रह्माचारिणी की करनी होगी आराधना
>BAREILLY: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर बासंतीय नवरात्र 28 मार्च से शुरू होंगे। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि के एक दिन होने से 29 को शैलपुत्री और ब्रह्माचारिणी की आराधना करनी होगी। प्रतिपदा तिथि का क्षय होने से नवरात्रि 8 दिनों की होगी। मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आएंगी और अश्व पर सवार होकर गमन करेंगी। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा के अनुसार 28 मार्च को सुबह 8.27 बजे तक अमावस्या है, इसलिए अभिजीत मुहूर्त में ट्यूजडे को घट स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा। अभिजीत मुहूर्त में घ्ाट स्थापनासुबह 11.46 से 12.35 बजे तक अभिजीत मुहूर्त का योग है। इसके बाद दोपहर 2.15 बजे तक लाभ व अमृत के चौघडि़या मुहूर्त में घट स्थापना भी किया जा सकता है। इस दिन सूर्योदय से दोपहर 1.40 बजे तक सर्वार्थसिद्ध योग का भी लाभ हो रहा है, जहां प्रतिपदा तिथि क्षय नहीं हो रही है। वहीं, वेडनसडे को भी सूर्योदय के समय घट स्थापना की जा सकती है। दुर्गाष्टमी चार अप्रैल को सुबह 11.20 बजे तक और महानवमी पांच अप्रैल सुबह 10.04 बजे तक है। नवमी का हवन इस वक्त तक करना श्रेष्ठ रहेगा।
पूजन विधिइसमें चावल, सुपारी, रोली, जौ, सुगंधित पुष्प, केसर, सिंदूर, लौंग, इलायची, पान, दूध, दही, गंगाजल, बिल्व पत्र समेत मिट्टी का कलश, चौकी, लाल वस्त्र व अन्य सामग्री पास रखे। फिर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें। पूर्वमुखी होकर पूजन संबंधी सभी व्यवस्थाएं करें। कलश पर स्वास्तिक बना कर उसके गले में मौली बांध कर उसके नीचे गेहूं अथवा चावल और उस पर नारियल रखें। तेल का दीपक व शुद्ध घी का दीपक जलाएं। मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के दाने डालें।
'साधारण' होगा नवसंवत्सर, मंगल को मिला है राजा का पद नव संवत्सर में महिला सशक्तिकरण को बनेंगी कई योजनाएं BAREILLY: नवरात्रि के साथ ही नव संवतसर विक्रम संवत 2074 का आगाज हो जाएगा। 60 विक्रम संवतों में यह 44वां है, जिसे 'साधारण' नाम दिया गया है। इस वर्ष का राजा मंगल होगा जबकि मंत्री के रूप में गुरु की भूमिका रहेगी। बालाजी ज्योतिष संस्थान के पंडित राजीव शर्मा के अनुसार विक्रम संवत 2074 की लग्न कुंडली के अनुसार लग्न में मंगल और बुध की युति रहेगी। पंचम भाव में सिंह राशि में राहु, छठे भाव में गुरु, नवम भाव में धनु राशि में शनि, लाभ भाव में कुंभ राशि में केतु, द्वादश भाव में मीन राशि में सूर्य, चंद्रमा और शुक्र की युति रहेगी।फलादेश में लग्नेश मंगल
- लग्न में लग्नेश मंगल का होना उग्र स्वरूप के कारण सत्ता में काबिज लोगों के अनुकूल हैं - राजा मंगल होने के कारण तानाशाही शासकों के लिए कूटनीतिज्ञों, के लिए अच्छा रहेगा - मंगल के कई माह तक अस्त रहने से शुभ-अशुभ परिणाम वर्ष के बीच और उत्तरार्ध में होंगे - मंगल और गुरु का षष्टक योग सामंजस्य की कमी, नवम भाव में शनि धार्मिक रूचि को कम करेगा - षष्ठ भाव में गुरू व सूर्य, चंद्र एवं शुक्र के सम सप्तक योग से पॉजिटीविटी बढ़ने के संकेत हैं - पंचम भावस्थ राहु के कारण मंगल संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के भी योग बन सकते हैं - महिला सशक्तिकरण, महिलाओं की सुरक्षा संबंधी कई विशेष योजनाएं बनेंगी