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ऐसा structure है website का
यूपी पुलिस स्टेट क्राइम रिकॉर्ड मिसिंग पर्सन की वेबसाइट को ओपन करने के पीछे पुलिस का मकसद था कि मिसिंग पर्संस को ढूंढने में काफी आसानी हो। इस वेबसाइट पर मिसिंग पर्सन के रिकॉर्ड मेंटेन व रिकॉर्ड के आधार पर उनकी पहचान करने के लिए चार ऑप्शन दिए गए हैं। ये ऑप्शन गुमशुदगी रिपोर्ट करें, लापता व्यक्ति की सूचना, खोजे गए व्यक्तियों की सूचना हैं। इस वेबसाइट पर रिकॉर्ड मेंटेन करने की जिम्मेदारी डीसीआरबी की है। वर्तमान में डीसीआरबी क्राइम ब्रांच के अंडर में है। एसपी क्राइम की तरफ से सारे रिकॉर्ड बेहतर तरीके से मेंटेन करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं।
Record में कई खामियां
मिसिंग पर्संस का वेबसाइट पर रिकॉर्ड मेंटेन करने में कई खामियां देखने में आ रही हैं। वेबसाइट पर प्रॉपर रिकॉर्ड भी अपडेट नहीं किया जा रहा है। किसी में सूचना दर्ज करने की डेट नहीं दी गई, किसी में स्थान जहां वो देखा या सुना गया, नहीं लिखा है। किसी में इमेज नहीं है तो किसी में जीडी का क्रमांक नहीं लिखा है। किसी में शारीरिक बनावट नहीं है तो किसी में चेहरा ही नहीं लिखा है। यही नहीं एक मामले में थाना ही गलत लिखा हुआ है। भुता थाना को भट्टा थाना लिखा है। बरेली डिस्ट्रिक्ट ये थाना ही नहीं है।
ये कैसी mistake है
अब इसे पुलिसकर्मियों की मिस्टेक कहें या टेक्निकल मिस्टेक जो वेबसाइट के रिकॉर्ड और डीसीआरबी के रिकॉर्ड में काफी अंतर है। हद तो तब है, जब वेबसाइट के रिकॉर्ड को डीसीआरबी द्वारा ही अपडेट किया जाता है। डीसीआरबी के रिकॉर्ड के अनुसार 2005 से अब तक 42 बच्चे ही लापता रह गए हैं। इस महीने गायब 10 बच्चे वापस आ गए हैं। वहीं रिकॉर्ड के अनुसार 2007 तक ही 1-18 साल तक की उम्र के 151 लोग गायब हैं। यही नहीं अगर 1-14 साल तक की उम्र का रिकॉर्ड देखें तो भी संख्या 70 है जो 42 से काफी अधिक है। लापरवाही की हद भी देखिए जो रिकॉर्ड मिसिंग में वेबसाइट पर लोड किया गया है वही रिकॉर्ड वेबसाइट पर प्राप्ति में लिखा गया है।
क्या-क्या झेलना पड़ता है
अगर किसी का कोई अपना खो जाता है तो उसे उसकी मिसिंग दर्ज कराने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़ते हैं। पहले उसे संबंधित थाने में शिकायत करने जाना होता है। वहां उसे तमाम फॉर्मेलिटी पूरी करने के लिए कहा जाता है। जैसे फोटो का साइज बड़ा हो, कब गायब हुआ, कैसे गायब हुआ, क्यों गायब हुआ आदि तमाम सवाल किए जाते हैं। यही नहीं कई बार चक्कर लगाने के बाद मिसिंग लिख ली जाती है। यही नहीं ढूंढने के तरीकों के लिए पुलिस को अखबारों, दूरदर्शन व रेडियो पर विज्ञापन देना होता है। पंपलेट छपवाकर थानों व सार्वजनिक प्लेस पर चिपकाने होते हैं लेकिन ये सभी काम पीडि़त से ही करवाया जाता है। थानों द्वारा डिस्ट्रिक्ट के सभी थानों में हुलिया सहित सूचना देनी पड़ती है।
CBI time बरेली में
2009 में पुष्कर कुमार की किडनैपिंग के मामले की जांच के लिए सीबीआई की टीम सिटी में वेडनसडे को पहुंची। पुष्कर की किडनैपिंग प्रेमनगर में हुई थी। टीम 11 मई तक यहां रहेगी। पुलिस-प्रशासन की तरफ से टीम के ठहरने व उनके लिए गाड़ी की व्यवस्था की गई है। सीबीआई को कुछ दिनों पहले ही इस केस की जांच सौंपी गई है।
मिसिंग पर्सन की तलाश के लिए डिस्ट्रिक्ट लेवल पर मीटिंग की गई है। सभी मिसिंग के फोटो कलेक्ट कर उनकी फैमिली से बात करने व रिश्तेदारियों व संभावित स्थानों पर तलाश करने के निर्देश दिए हैं। अगर वेबसाइट पर रिकॉर्ड मेंटेन में गलती हो रही है तो उसे भी जल्द ठीक किया जाएगा।
डॉ। एसपी सिंह, एसपी क्राइम
Report by : Anil Kumar