BAREILLY: थिएटर वल्र्ड में सैटरडे को एक नया अध्याय जुड़ गया. सिटी के सिविल लाइंस में 'विंडमेयरÓ का इनॉग्रेशन किया गया. थिएटर आर्टिस्ट अरुंधती नाग पद्मश्री प्रहलाद सिंह टीपान्या और फूड एंड सप्लाई डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी दीपक त्रिवेदी इस पल के गवाह बने. इससे सिर्फ रंगकर्मियों को ही नहीं वरन कला के क्षेत्र में इंटरेस्ट रखने वालों को एक अलग मुकाम मिलेगा. असल में कला के क्षेत्र में बरेली की अमिट छाप बनने की ओर एक मजबूत कदम है. इस मौके पर डीएम अभिषेक प्रकाश एसएसपी सत्येंद्र वीर सिंह मेयर डॉ. आईएस तोमर डॉ. बृजेश्वर सिंह समेत तमाम लोग मौजूद रहे.


केक सेरेमनी के बाद इनॉग्रल शोरिबन कट करने के साथ ही 'विंडमेयरÓ का इनॉग्रेशन हुआ। इसके बाद मौजूद गेस्ट्स ने केक  काटकर सेलिब्रेशन पूरा किया। थिएटर में पहली लाइव परफार्मेंस दी प्रहलाद सिंह टीपान्या ने। जैसे ही उन्होंने तंबूरे से तान छेड़ी हॉल में मौजूद ऑडियंस मंत्रमुग्ध हो गए। इतना ही नहीं स्वरों में मन को बांधने की जो ताकत होती है उसका पूरा असर इस परफार्मेंस में नजर आया।'ये पैशन तो एक नजीर है'


'विंडमेयरÓ के इनॉग्रेशन सेरेमनी की गेस्ट ऑफ ऑनर अरुंधती नाग ने कहा आमतौर पर थिएटर आदि का निर्माण क ोई रंगकर्मी ही कराता है, पर यह तो नजीर है कि एक ऑर्थोपेडिक सर्जन ने बरेली में रंगकर्मियों और कला प्रेमियों के लिए थिएटर बनवाया है। यहां थिएटर आर्टिस्ट को खुद को निखारने के लिए हर तरह की मदद मिलेगी, वहीं सिटी के विचारक ों के लिए थियेटर में बन रहा कॉफी शॉप नए विचारों को सृजित करने के लिए सहायक होगी। यह सही है कि वह खुद भी कला के कद्रदान हैं, पर ऐसा पैशन में तो शायद पूरे देश के लिए भी नजीर ही है। उन्होंने सिटी क ो ऐसा मंच दिया है जहां से तमाम गंभीर मुद्दों पर लोग राय-मशविरा करेंगे और समाज को एक दिशा दे पाएंगे।

गैंग रेप को बताया शर्मनाक
सीनियर थिएटर आर्टिस्ट अरुंधती नाग ने हाल ही में दिल्ली में हुए गैंगरेप की घटना को शर्मनाक बताते हुए कहा कि इसके  लिए तो देश भर के मर्दों क ो एक साथ मिलकर खुद की मानसिक स्थिति पर विचार करना चाहिए। उन्हें सोचना होगा कि क्या वह भारतीयता का यही संदेश दुनिया को देना चाहते हैं। बरेली के बाजार में बसी देश की विरासतबरेली का बाजार उन्हें बहुत पसंद आया, उनके मुताबिक यहां के बाजार में अब भी शहर की ही नहीं देश की विरासत जिंदा है। नहीं तो मॉडर्नाइज होते शहरों में इस तरह के बाजार गायब ही हो गए हैं। उन्होंने बरेली के बाजार से पानदान खरीदा है। उन्होंने बताया वह जल्दी ही शेक्सपियर का एक प्ले प्रेजेंट करने बरेली आएंगी। इसके अलावा वह सांस्कृतिक एकता के लिए रंग शंकर थिएटर के तहत इजिप्ट, ब्राजील, जर्मनी के साथ कोलेबरेशन कर रहे हैं। वहीं उन्होंने कहा कि सिटी में फैले इलेक्ट्रिक वायर्स उन्हें डेथ ट्रैप के जैसे लगे। इन्हें ठीक किया जाना चाहिए।आज होगा 'रंग अभंग'

'विंडमेयरÓ में संडे शाम चार बजे रंग विनायक मंडल की ओर से 'रंग-अभंगÓ का मंचन किया जाएगा। यह प्ले आसिफ अली ने लिखा है, वहीं इसका निर्देशन एनएसडी, एलएएमडीए ग्रेजुएट गौरव शर्मा ने किया है। मंडे क ो यहां क्रि समस कै रल्स के साथ क्रिसमस ईव सेलिब्रेट की जाएगी।विंडमेयर में ये भी* स्टूडियो थिएटर* कॉफी शॉप* आर्ट गैलरी* योगा एंड मेडीटेशन सेंटर* एम्फी थिएटरयुवा पीढ़ी नहीं जानती कबीर क ोकबीर के भजनों में सभी की समस्याओं का समाधान है, यह आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने कि उनके सृजन के समय। इनमें तो हर जीवन का दर्शन छु़पा हुआ है। यह कहना है पद्मश्री प्रहलाद सिंह टीपान्या का। उनका कहना है कि हमारी युवा पीढ़ी तो कबीर को केवल किताबों में देखती है। वह उन्हें जानती नहीं है। कबीर को समझना जीवन के दर्शन क ो समझना है।  एक नजर
प्रहलाद सिंह टीपान्या उज्जैन के एक कॉलेज में प्रिंसिपल है। उन्होंने बचपन से कबीर को पढ़ा था, पर धीरे-धीरे ही उन्हें कबीर की रचनाओं का मर्म समझ में आया। 24 साल की उम्र में उन्होंने तंबूरे के साथ जब इसके स्वर छेड़े तो देश ही नहीं विदेश में भी इसकी गूंज सुनाई देने लगी। उन्हें यूएस, यूके में भी स्टेज पर परफॉर्म करने का मौका मिला। ऑल इंडिया रेडियो ने भी उनके स्वरों को संजोया। उनकी कला को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया।दर्शक डूब जाते हैं स्वरों मेंतंबूरा, करताल, मजीरा, ढोलक, हारमोनियम, टिमकी और वायलन के साथ सधी हुई साखियों के स्वर ऑडियंस के दिल तक उतर जाते हैं। शायद ही क ोई दर्शक ऐसा हो जो इन स्वरों के जादू से खुद को बचा पाया हो। पर यह क्षणिक है, आवश्यकता इस बात की है कि लोग इसके मर्म क ो समझें। इससे ही समाज बहुत सी कुरीतियां दूर हो सकती हैं, तमाम चेहरे खुशियों से खिल सकते हैं। जरूरत है कि इस दर्शन को लोगों तक पहुंचाया जाए।

Posted By: Inextlive