धूल फांक रहा स्वीमिंग पूल, कैसे बनें तैराको
बरेली(ब्यूरो)। बरेली के वे युवा जो आंखों में तैराक बनने का सपना पाले हैं। लेकिन, इसकी ट्रेनिंग पर मोटी रकम खर्च नहीं कर सकते, उनके लिए बरेली कॉलेज में बना स्विमिंग पूल उम्मीद की किरण हुआ करता था। लेकिन, तीन साल से बंद पड़े इस पूल की हालत देखरेख के अभाव में आज अत्यंत दयनीय हो चुकी है। न यहां पर ट्रेनर है, न ही अन्य व्यवस्थाएं। ऐसे में निम्न-मध्यमवर्गीय उन बच्चों के सपनों को पंख मिलने की संभावनाएं लगभग नगण्य नजर आने लगी हैं।
इंटरनेशनल लेवल पर हुआ था निर्माण
बरेली कॉलेज नगर का सबसे पुराना महाविद्यालय है। इसकी स्थापना 1837 में की गई थी। 1850 में इसे राजकीय विद्यालय का दर्जा दिया गया। इस महाविद्यालय में लगभग सभी महत्वपूर्ण कोर्सेस की सुविधा है। लोकल के अलावा आसपास के जनपदों के भी स्टूडेंट्स यहां एजुकेशन लेने आते हैं। एजुकेशन के अलावा विभिन्न प्रकार के स्पोर्ट्स की ट्रेनिंग की व्यवस्था भी यहां पर है, जिनमें से एक स्विमिंग भी है। इसके लिए लगभग 30 वर्ष पहले महाविद्यालय में स्विमिंग पूल बनवाया गया था। इंटरनेशनल लेवल पर बनवाया गया ये स्वीमिंग पूल देखरेख के अभाव में आज की तारीख में धूल फांकता नजर आता है। ऐसे में स्वीमिंग सीखकर तैराक बनने की इच्छा रखने वाले मीडियम क्लास के स्टूडेंट्स के सामने परेशानी की स्थिति पैदा हो गई है।
कॉलेज में बने स्वीमिंग पूल में स्वीमिंग सिखाने की निशुल्क व्यवस्था की गई है। यहां पर विद्यालय में पढऩे वाले स्टूडेंट्स तैराकी सीख सकते हैं। उन्हें इसके लिए अलग से कोई शुल्क नहीं देना होता। इसके अलावा यदि बाहर का कोई बच्चा स्वीमिंग सीखने का इच्छुक है तो उसे इसके लिए प्रिंसिपल से परमिशन लेनी होगी। उसकी एप्लीकेशन को प्रिंसिपल स्पोर्ट्स ऑफिसर के लिए मार्क कर फॉरवर्ड कर देते हैं। स्पोर्ट्स ऑफिसर स्वविवेक के आधार पर उसका एडमिशन लेते हैं।
पूल में जमी काई, उखडीं टाइल्स
इस पूल का निर्माण जिस तरह से करवाया गया था, उस हिसाब से इसकी देखभाल पर ध्यान नहीं दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि स्वीमिंग पूल आज की तारीख में पूरी तरह सूखा पड़ा है। वहां पर काई जमा हो गई है। पूल के अलावा चेंजिंग रूम, बाथ रूम, कॉरीडोर की हालत खस्ता हो चुकी है। इन सबमें जगह-जगह से टाइल्स उखडऩे लगी हैं। झाडिय़ां उग आई हैं। ऐसे में यह स्थान किसी भुतहा स्थान से कम नजर नहीं आता। इसके अलावा प्रशिक्षण के लिए ट्रेनर की व्यवस्था भी यहां पर नहीं है। ऐसे में प्रशिक्षुओं के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है।
कोविड पीरियड स्टार्ट होने पर वर्ष 2022 में इसे बंद किया गया था। उसके बाद से इस पर ताला लटक गया था। अब जब कोविड से राहत मिली तो अप्रैल में इसका रेनोवेशन कराने की बात कही जा रही थी। लेकिन, इसकी हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि खाली रेनोवेशन से काम नहीं चलने वाला। इस पर इसके रिकंस्ट्रक्शन का निर्णय लिया गया। लेकिन, फिलहाल वह भी ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है। इसके चलते फिलहाल इसके स्टार्ट होने के चांस नजर नहीं आ रहे। मीडियम क्लास के बच्चों को परेशानी
सिटी में इस कॉलेज में स्वीमिंग पूल के अलावा एक अन्य निजी पूल भी है। वहां पर भी स्विमिंग का प्रशिक्षण दिया जाता है। लेकिन, वहां पर इसके बदले फीस ली जाती है। ऐसे में वे बच्चे जो फीस अफॉर्ड नहीं कर सकते, उनके सामने इस पूल के बंद होने से संकट खड़ा हो गया है। उनके मन में तैराक बनने के सपने तो हैं पर इतनी सामथ्र्य नहीं कि इसके लिए बड़ी फीस पे कर सकें। ऐसे में इस पूल का जल्द स्टार्ट होना आवश्यक हो गया है।
एग्जाम के बाद होगी मीटिंग
प्रभारी क्रीड़ा अधिकारी डॉ। राजेंद्र सिंह के अनुसार मीटिंग में इसको लेकर प्रस्ताव रखा गया है। अब एग्जाम होने के बाइ इस पर काम किया जाएगा। टेंडर निकाला जाएगा। उसके बाद स्पोर्ट कमेटी की बैठक होगी। उसमें इस पर निर्णय लिया जाएगा। इसके बाद ही आगे की कार्रवाईकी जाएगी।