घातक.. मौसम की गर्मी झेलने को तैयार नहीं किए रेलवे ट्रैक!
BAREILLY: त्रिवेणी एक्सप्रेस सहित तीन ट्रेनें संडे रात से मंडे सुबह तक 12 घंटे के दौरान डिरेल हो गईं। जिसमें कई यात्री घायल हुए तो दर्जनों ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो गया। ट्रेन डिरेलमेंट के कारणों की अब तक औपचारिक तौर पर घोषणा तो नहीं हुई है, लेकिन ट्रेनों के डिरेलमेंट का कारण पटरियों का फैलकर टेढ़ा होना बताया जा रहा है। दो पटरियों के बीच गैप नहीं होने के कारण ट्रेनों के घर्षण से पटरियां फैल कर टेढ़ी हो गई हैं, जिसके कारण ट्रेनें ट्रैक से नीचे उतर रही हैं। इससे पहले ठंड में पटरियों के सिकुड़ने के कारण दर्जनों रेल हादसे के मामले सामने आ चुके हैं, जो कि रेलवे अधिकारियों की लापरवाही को दर्शाता है।
3 सेंटीमीटर कम हो गया गैपरेलवे के इंजीनियर्स की मानें तो जिस जगह पर दो पटरियों का जोड़ होता है वहां करीब ढाई से तीन सेंटीमीटर की जगह छोड़ी जाती है, जिससे गर्मी के मौसम में ट्रेन के गुजरने के दौरान पटरियों को फैलने के लिए जगह मिल सके और वह टेढ़ी न पड़ें, लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के चलते समय रहते पटरियों के गैप की जांच नहीं की गई। पटरियों के बीच का गैप पूरी तरह से खत्म हो चुका है, जिससे पटरियां तिरछी हो गई हैं। जो कि ट्रेनों के डिरेल का कारण बन रही हैं।
15 मार्च तक करना था सही जिन लाइनों के बीच में गैप नहीं है उसे गर्मी शुरू होने से पहले काट कर गैप बनाया जाता है। ताकि, समर में किसी प्रकार की प्रॉब्लम न आए। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक यह काम हर हाल में 15 मार्च तक हो जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो सका है। कई जगहों पर अभी पटरियों को सही किया जाना बाकी है। डिरेलमेंट की और भी कई वजहें पटरी की क्लिप से छेड़छाड़डिरेलमेंट यानि ट्रेनों के पटरी से उतरने की ज्यादातर दुर्घटनाओं के पीछे की वजह पटरी के किनारों पर लगाए गए क्लिप से छेड़छाड़ होती है। जमीन पर लगाए गए सीमेंट या लकड़ी के स्लीपर पर पटरी को रोकने के लिए क्लिप का इस्तेमाल किया जाता है। समय-समय पर मरम्मत के अभाव में ये क्लिप ढीले पड़ जाते हैं। बार-बार ट्रेनों के गुजरने से ये क्लिप निकल जाते हैं, तो कई बार असामाजिक तत्व इन क्लिप को चुराकर बेच डालते हैं। क्लिप निकलते ही पटरी की स्लीपर से पकड़ कमजोर हो जाती है जिससे ट्रेन हादसे की संभावना बढ़ जाती है।
इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल
कई बार आपात स्थिति में ट्रेन के चालकों को इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ता है। ट्रेन के ज्यादा स्पीड में होने की स्थिति में इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल घातक होता है। इमरजेंसी ब्रेक लगते ही ट्रेन के पहियों और पटरियों के बीच जबरदस्त घर्षण होता है। इस कारण कई बार पटरियां मुड़ जाती हैं और ट्रेन डिरेल्ड हो जाती है। ट्रेन की ज्यादा स्पीडज्यादातर रेल पटरियां काफी पुरानी हैं, जो ज्यादा स्पीड को सहने लायक नहीं बची हैं। ऐसे में तेज रफ्तार की ट्रेनें दुर्घटना का शिकार होती हैं। पटरी बदलने के दौरान चूकप्लेटफार्मो के पास या यार्ड में ले जाने के दौरान ट्रेनों को पटरी बदलनी होती है। ऐसे समय में चालक की मामूली चूक से भी डिरेलमेंट की घटनाएं होती हैं। पहिया जाम होने की वजह सेकई बार ट्रेन की किसी बोगी का पहिया तकनीकी खराबी के चलते जाम हो जाता है। पहिया जाम होने से पीछे के पहियों को बढ़ने में अवरोध पैदा हो जाता है और ट्रेन डिरेल हो जाती है। इंजन से अचानक झटका लगने परट्रेन जब खुलती है, तो अचानक एक झटका महसूस होता है। कई बार झटका ज्यादा तेज होने पर भी ट्रेन डिरेल हो जाती है।
एक नजर इस वर्ष हुए डिरेलमेंट पर- 26 मार्च 2018 मालगाड़ी विशारतगंज में डिरेल हो गई।- 25 मार्च 2018 त्रिवेणी एक्सप्रेस बरेली जंक्शन आउटर पर डिरेल हो गई।- 25 मार्च 2018 एक्सीडेंट रिलीफ ट्रेन बरेली-रोजा के बीच डिरेल।- 11 फरवरी 2018 बरेली-पीलीभीत पैसेंजर्स ट्रेन पीलीभीत स्टेशन के पास डिरेल। गर्मी शुरू होने से पहले पटरियों को काफी हद तक काट कर सही कर लिया गया है। ताकि, गर्मी में ट्रेनों के घर्षण से पटरियां तिरछी न हों।विनय सिंह, पीडब्ल्यूआई, बरेली जंक्शन