BAREILL NEWS : बदल जाएगी बोरिंग क्लासेस की सूरत, बच्चों की पढऩे में बढ़ेगी रुचि
बरेली (ब्यूरो)। शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है, जिसका उपयोग आप वल्र्ड के सिनेरियो को बदलने के लिए कर सकते हैं। क्लास एक तरह का ट्रेनिंग सेंटर होती हैं, जहां हम सोसायटी में जीने का तरीका सीखते हैं। जीवन में आगे बढऩे के तौर तरीकों को सीखने के लिए इन क्लासेज की बहुत आवश्यकता होती है। ऐसे में अगर क्लासेज बोरिंग होंगी तो सीखने में हमारा मन नहीं लग सकेगा, वहीं अगर क्लासेज स्मार्ट होंगी तो वहां से हम जो भी सीखेंगे, वह हमें भी स्मार्ट बनाएगा।
मिलती हैं सभी जानकारी
क्लास अच्छी और सकारात्मक भावनाओं से भरा एक वह रूम है, जहां आपको केवल तथ्य और डेटा ही नहीं, वह सभी आवश्यक जानकारियां प्राप्त होंगी, जो आपके बहुमुखी टेलेंट को उबारने में बहुत हेल्पफुल साबित होगी। कक्षा में साझा की गई सभी सूचनाओं पर ध्यान केंद्रित करना और समझना छात्रों द्वारा प्रभावी ढंग से नहीं किया जाता है। वे अक्सर रुचि खो देते हैं और विचलित हो जाते हैं, क्योंकि शिक्षण विधियां दोहरावदार और उबाऊ हो सकती हैं। इसीलिए स्मार्ट क्लासरूम की एक नई अवधारणा पेश की गई है। अब जिले के 468 परिषदीय स्कूलों में अब स्मार्ट क्लासेस की संख्या बढ़ाने की तैयारी चल रही है। इसके लिए स्कूल चयनित किए जा रहे हैं। विभागीय के अफसरों का कहना है कि स्मार्ट कक्षाओं की संख्या बढऩे से स्कूलों में बच्चों की संख्या और उनमें पढऩे की रुचि भी बढ़ेगी।
स्मार्ट क्लासरूम एक डिजिटल क्लासरूम है जो स्कूल का एक उन्नत रूप है, जो दक्षता में सुधार के लिए शिक्षण के विभिन्न तरीकों का पालन करता है। वे सीखने के लिए बेहतर माहौल प्रदान करने की दिशा में काम करते हैं और एक स्वस्थ कक्षा को प्राथमिकता देते हैं जहां छात्र सीखने में रुचि रखते हैं। ऐसी कक्षा अपने छात्रों को आकर्षित करने और उन्हें व्यस्त रखने के लिए वीडियो और ऑडियो जैसी डिजिटल शिक्षण विधियों का उपयोग करती है। वे प्रयोग के लिए आभासी वास्तविकता का उपयोग करने जैसे कुछ उन्नत तकनीकी तरीके भी प्रदान कर सकते हैं। ये तकनीकें छात्रों को अवधारणाओं को अच्छी तरह से समझने में मदद करती हैं और यह सीखती हैं कि उन्हें हमारे दैनिक जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है। स्मार्ट क्लासरूम के कई फायदे हैं, इसलिए पिछले कुछ वर्षों में इसे इतनी प्रसिद्धि मिली है। शिक्षा प्रणाली स्मार्ट क्लास के इस उन्नत रूप के साथ आरामदायक और प्रामाणिक शिक्षण पद्धति को बदलने की दिशा में काम कर रही है।
ये होंगी व्यवस्थाएं
विभागीय अफसरों के अनुसार अभी तक कई स्कूलों में एक तो कहीं दो स्मार्ट क्लासेस भी संचालित हो रहीं हैं। इसके लिए एलईडी स्क्रीन, प्रोजेक्टर आदि की व्यवस्थाएं मौजूद हैं। योजना के अनुसार जिन स्कूलों की एक क्लास में स्मार्ट कक्षाएं संचालित कराई जाएंगी, उनमें एलईडी स्क्रीन, प्रोजेक्टर और इंटरनेट कनेक्शन की व्यवस्था भी कराई जाएगी। विभाग का दावा है कि शतप्रतिशत परिषदीय स्कूलों में अब इन कक्षाओं का संचालन होगा।
बच्चों की पढऩे में बढ़ेगी रुचि
स्मार्ट क्लासेस से बच्चों में पढऩे में रुचि बढ़ेगी। अब अगर सभी स्कूलों में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था होगी तो अधिक से अधिक बच्चों की पढ़ाई में रुचि बढ़ेगी। टीचर्स का कहना है कि जो बच्चे पहले स्कूल नहीं आते थे, वह स्मार्ट क्लास होने से स्कूल आने लगे हैं। पढ़ाई में रुचि बढऩे से बच्चों का भविष्य जरूर संवरेगा। शिक्षा में प्रौद्योगिकी को शामिल करना किसी भी आयु वर्ग के छात्रों में सीखने की दक्षता बढ़ाने का एक उत्कृष्ट तरीका है। स्पष्ट विचार प्राप्त करने के लिए वे जो पढ़ रहे हैं उसकी कल्पना कर सकते हैं। स्कूलों में नवोन्मेषी कक्षाएं एक बेहतरीन पहल है जिसे कई संस्थान अपनाते हैं। इससे छात्रों को डेटा के लंबे, उबाऊ अनुच्छेदों को छवियों, वीडियो, ग्राफ़, चार्ट, तालिकाओं आदि से बदलने में मदद मिलती है, जो बहुत अधिक उपयोगी है। इससे छात्रों को ऐसी पेचीदा जानकारी लंबे समय तक याद रखने में मदद मिलती है क्योंकि शब्दों की तुलना में दृश्य आपके दिमाग में बेहतर तरीके से संग्रहीत होते हैं।
शबीना परवीन, प्रिंसिपल, जूनियर हाईस्कूल कांधरपुर बच्चों को स्मार्ट क्लास से शिक्षा दी जाएगी। उच्च प्राथमिक स्कूलों को स्मार्ट क्लास युक्त बनाया जाना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सरकार का एक सार्थक और प्रशंसनीय प्रयास है। स्मार्ट क्लास के संचालन से बच्चों के साथ ही टीचर्स भी तकनीकी रूप से समृद्ध होंगे। इससे बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि भी बढ़ेगी।
डॉ। विनोद कुमार शर्मा, मंडल अध्यक्ष, बरेली यूपी जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ
स्कूलों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षण सुविधाएं मुहैया कराने के लिए निरंतर प्रयास किया जा रहा है। इससे स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति और पंजीकरण भी बढऩे की उम्मीद है।
संजय सिंह, बीएसए