परिवार नियोजन का भार भी महिलाओं के कंधों पर
हिमांशु अग्निहोत्री (बरेली)। बढ़ती जनसंख्या देश की सबसे बढ़ी चिंता है और परिवार नियोजन इस चिंता के निराकरण का सबसे बढ़ा उपाय है। बच्चे दो ही अच्छे, छोटा परिवार सुखी परिवार, इस उपाय से ही संभव है। खुशहाल परिवार के लिए इस उपाय का महत्व समझना और इसे अमल में लाना हर दंपति की जिम्मेदारी है, पर इस जिम्मेदारी को निभाने में पुरुष की संकुचित मानसिकता साफ नजर आती है। हेल्थ डिपार्टमेंट के परिवार नियोजन संबंधी आंकड़े इस बात का गवाह हैं कि जिले में परिवार नियोजन का भार महिलाएं अकेले अपने कंधों पर उठाए हुए हैं।
परिवार नियोजन का लक्ष्य महिलाओं से पूरा
परिवार नियोजन को लेकर समाज में जागरूकता बढ़ाने और इसके उपायों को अपनाने के लिए लोगों को प्रेरित करने की जिम्मेदारी हेल्थ डिपार्टमेंट के पास है। शासन की ओर से विभाग को परिवार नियोजन संबंधी सामग्री भी उपलब्ध कराई जाती है और इसका लक्ष्य भी निर्धारित किया जाता है। इस लक्ष्य में महिला, पुरुष नसबंदी, गर्भनिरोधक सामग्री का वितरण आदि शामिल रहती हैं। गर्भनिरोधक उपायों को अपनाने से लेकर नंसबंदी कराने तक में पुरुष की भूमिका और भागीदारी न के बराबर रहती है। आंकड़े बताते हैं कि यह लक्ष्य अधिकांश महिलाओं की बदौलत ही पूरा होता है।
दो साल में 19 पुरुष नसबंदी
स्वास्थ्य विभाग के परिवार नियोजन संबंधी आंकड़ों के अनुसार जिले में महिलाएं नसबंदी कराने में पुरुषों से आगे हैैं। 2020-21 में 151 पुरुष नसबंदी का लक्ष्य निर्धारित था। इसके सापेक्ष पूरे साल में मात्र पांच पुरुष नसबंदी ही हो सकी। वहीं इस वर्ष में 5604 महिला नसबंदी के लक्ष्य के सापेक्ष 2435 महिला नसबंदी हुई। इस वर्ष पुरुष नसबंदी का लक्ष्य मात्र तीन प्रतिशत अचीव हुआ तो महिला नसबंदी का लक्ष्य 43 प्रतिशत पूरा हुआ। इसी तरह वर्ष 2021-22 में पुरुष नसबंदी 40 के सापेक्ष 14 हुई तो महिला नसबंदी 4500 के सापेक्ष 3936 हो सकी। पुरुष नसबंदी का लक्ष्य 35 प्रतिशत अचीव हुआ तो महिला नसबंदी का लक्ष्य 87 प्रतिशत अचीव हुआ।
नसबंदी फेल्योर पर मुआवजा
नसबंदी को परिवार नियोजन का स्थाई समाधान माना जाता है, पर इसमें भी फेल्योर के चांस रहते हैं। यही वजह है कि नसबंदी फेल्योर पर मुआवजे का प्रावधान किया गया है। नसबंदी के बाद भी गर्भवती होने पर इसकी सूचना 90 दिनों के भीतर स्वास्थ्य विभाग को देनी होती है। इसके बाद शासन स्तर से गठित एक्सपर्ट कमेटी से मामले की जांच होती हे। जांच में फेल्योर की पुष्टि होने पर ही 60 हजार रुपये तक का मुआवजा दिया जाता है।
परिवार नियोजन का लक्ष्य अधिक से अधिक अचीव करने की पूरी कोशिश की जाती है। नसबंदी कराने को लेकर पुरुषों में आज भी भ्रांतियां हैं। इसके चलते ही पुरुष नसबंदी कराने से बचते हैं। महिलाएं परिवार नियोजन को लेकर अधिक अवेयर रहती हैं। इसलिए महिला नसबंदी का लक्ष्य अधिक अचीव हो पाता है।
-डॉ। बलवीर सिंह, सीएमओ फैक्ट एंड फिगर
लक्ष्य 2020-21 लक्ष्य 2021-22
पुरुष नसबंदी 151 5 40 14
महिला नसबंदी 5604 2435 4500 3936
नियोजन में किसका ले रहे साथ 2020-21 2021-22
निरोध सीवाईपी 6777 9322
ओरल पिल्स सीवाईपी 4537 7834
चिकित्सीय गर्भ समापन 879 752
अंतरा गर्भनिरोधक इंजेक्शन 5597 8105
छाया गर्भनिरोधक गोली 22897 38044