Bareilly: आपको क्या इस बात का अंदाजा है कि स्टडी का टेंशन और एक्सेल करने का प्रेशर आपके लाडलों को किस गर्त में ढकेल रहा है. गलाकाट कॉम्पिटिशन को कम्पीट करने के चक्कर में वह नशे की दलदल में फंसता जा रहा है. भले यही यह शॉकिंग हो लेकिन रियलिटी यही है. स्टडी का बोझ उनके सिर पर इस कदर हावी है कि उसकी फिक्र में वे नशे के मकड़ जाल में गिरफ्तार हो रहे हैं. प्रॉपर गाइडेंस न होने की वजह से वे इसे ही एक इजी जरिया मान बैठे हैं. फ्रेंड्स की टोली में शौकिया रूप से शुरू हुई यह एक्टिविटी उनकी आदत में शुमार होती जा रही है. अलर्ट हो जाइए और अपने लाडलों को भी संभालिए नहीं तो बहुत देर हो जाएगी.


40 percent students हो रहे  हैं नशे का शिकारयूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स की काउंसिलिंग के लिए तैनात मंडलीय साइकोलॉजिस्ट डॉ। हरवीर सिंह ने बताया कि स्टडी का प्रेशर और बोर्ड एग्जाम में एक्सेल करने का टेंशन करीब 40 परसेंट स्टूडेंट्स को नशे की तरफ धकेल रहा है। जब उनको कुछ नहीं सूझता और लोनली फील करते हैं तो धीरे-धीरे नशे को अपना साथी बना लेते हैं। वह उनकी लाइफ का एक इंपॉर्टेंट पार्ट बन जाता है, जो उनके लिए काफी डेंजरस बन जाता है।Proper guidance नहीं है


डॉ। हरवीर सिंह ने बताया कि पेरेंट्स के पास अपने बच्चों के लिए प्रॉपर टाइम नहीं है। वे अपने बच्चों को स्कूल और कोचिंग के सहारे छोड़ देते हैं। स्कूल और कोचिंग केवल कोर्स पूरा कराने और एग्जाम में एक्सेल कराने तक ही सीमित रहते हैं। जबकि हर बच्चे की कैपेसिटी डिफरेंट होती है। वह दूसरों के साथ कम्पीट करने में अपने आपको अक्षम महसूस करता है। और इस फिक्र को मिटाने के लिए नशे की गिरफ्त में चला जाता है। उन्होंने बताया कि कभी-कभी वे एक्स्ट्रीम कदम उठा लेते हैं और डिप्रेशन में सुसाइड तक कर लेते हैं।शौकिया होती है शुरुआत

स्टूडेंट्स में नशे की लत शौकिया रूप से शुरू होती है। वे अचानक यह स्टेप नहीं उठाते। फ्रेंड्स व दूसरों की कॉपी करते हैं। मोस्टली फ्रेंड््स सर्किल में ही इसकी शुरुआत होती है। उसके बाद यह आदत बन जाती है।कैसी-कैसी लतडॉ। हरवीर सिंह ने बताया कि अमूमन नशे की शुरुआत सिगरेट से होती है। उसके बाद बियर और वाइन लेने की आदत डालने लगते हैं, जो बाद में उनकी रेग्युलर हैबिट बन जाती है। कुछ स्टूडेंट्स और एक्स्ट्रीम में चले जाते हैं और दूसरे ऑल्टरनेटिव अपनाने लगते हैं। व्हाइटनर, कोरेक्स, पेट्रोल के साथ भांग का भी सेवन करने लगते हैं।Counseling को न करें ignoreडॉ। सिंह ने बताया कि समय-समय पर स्टूडेंट्स के लिए काउंसिलिंग प्रोग्राम चलाए जाते हैं। पेरेंट्स को इन्हें इग्नोर नहीं करना चाहिए। अपने लाडलों के साथ उन्हें भी काउंसिलिंग में पार्टिसिपेट करना चाहिए। पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग को सीरियसली लेना चाहिए। जरूरत पड़े तो उन्हें स्वयं ही साइकोलॉजी सेंटर पर जाकर काउंसिलिंग कराना चाहिए।CBSE की कवायद

एग्जाम स्ट्रेस को दूर करने के लिए सीबीएसई ने भी अपनी तरफ से कवायद शुरू कर दी है। उन्होंने अपनी वेबसाइट पर एक बुकलेट और शॉर्ट फिल्म जारी की है, जो स्टूडेंट्स और पेरेंट्स के साथ-साथ टीचर्स को यह संदेश देती है कि स्ट्रेस एक नैचुरल प्रोसेस है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। उससे कुछ ईजी टिप्स के माध्यम से डील किया जा सकता है। बुकलेट में ग्रेट थिंकर और पर्सनॉलिटी के टिप्स दिए गए हैं, जो पॉजिटिव अप्रोच रखने का संदेश देते हैं। इसके साथ ही एग्जाम के पहले टाइम मैनेजमेंट, प्रिपरेशन, रिलैक्स रहने के टिप्स, लाइफ स्टाइल, स्मार्ट स्टडी के विषय पर इंफॉर्मेशन दी गई है। सीबीएसई ने इसे दी लाइफ स्किल्स एजुकेशन एंड स्कूल वेलनेस प्रोग्राम के तहत एक्सप्रेशन इंडिया के सहयोग से तैयार किया है।शुरू की helplineएग्जाम स्ट्रेस को देखते हुए सीबीएसई ने हेल्पलाइन भी शुरू की है। उसने वेबसाइट पर 18001803456 टोल फ्री नम्बर जारी किया है। इस पर कोई भी स्टूडेंट्स और पेरेंट्स कॉल करके एग्जाम फोबिया को कुछ आसान टिप्स से दूर कर सकता है। यह हेल्पलाइन स्टार्ट हो चुकी है, जो 16 अप्रैल तक जारी रहेगी। मॉर्निंग में 8 बजे से मिडनाइट 12 बजे तक यह हेल्पलाइन ओपन रहेगी। Alert होने की जरूरत
डॉ। हरवीर सिंह के मुताबिक, स्टूडेंट्स को इस ट्रैक पर जाने से रोकने में पेरेंट्स की अहम भूमिका होती है। चाहे वे कितने भी बिजी क्यों न हों लेकिन अपने बच्चों पर वॉच जरूर रखें। टाइम-टाइम पर उनके बारे में इंफॉर्मेशन जुटाते रहें। फ्रेंड्स, पड़ोसी और टीचर्स से बच्चों के बारे में जानकारी हासिल करें। उनके बिहेवियर को नजदीक से वॉच करते रहें। उनके साथ फेंड्स जैसा बर्ताव करें।Important tips-टाइम टेबल बनाकर स्टडी करने की आदत डालें।-इसके लिए टीचर्स और पेरेंट्स की हेल्प जरूर लें।-पेरेंट्स को चाहिए कि वह बेवजह प्रेशर न डालें बल्कि उसे कंफर्ट फील कराएं।-मील स्किप न करें। हेल्दी प्रॉपर डाइट लें।-कंपलीट 8 घंटे की नाइट स्लीप जरूर लें।-लेट नाइट न पढ़ें और अर्ली मॉर्निंग में स्टडी की आदत डालें।-लिखकर याद और समझने की आदत डालें।-हार्ड टॉपिक्स में अपना टाइम वेस्ट न करें और टेंशन न पालें।-थिंक पॉजिटिव एंड बी रिलैक्स।-जो पढ़ा है उसपर फ्रेंड्स सर्किल के बीच डिसकशन जरूर करें।-रिफ्रेश होने के लिए इंडोर एक्टिविटीज जैसे टीवी, गेम्स, सांग और मूवीज का सहारा लें।-कभी-कभी फ्रेंडस के साथ पढ़ाई के अलावा भी लाइट मोमेंट बिताएं।-लाइट एक्सरसाइज जरूर करें।-हर एक घंटा या 45 मिनट्स की पढ़ाई के बाद 15 या 30 मिनट का ब्रेक जरूर लें।-ब्रेक के बाद सब्जेक्ट या टॉपिक्स चेंज जरूर करें।

Report by: Abhoshek Singh

Posted By: Inextlive