अन्नदाता को राहत देने के लिए शिक्षक उठा रहे अनूठे कदम
मूल्यांकन में मिलने वाला रुपया किसानों के राहत के लिए करेंगे दान
फेसबुक पर साथी शिक्षकों को साथ आने के लिए प्रेरित कर रहे गिरजेश मूल्यांकन में मिलने वाला रुपया किसानों के राहत के लिए करेंगे दान फेसबुक पर साथी शिक्षकों को साथ आने के लिए प्रेरित कर रहे गिरजेश BAREILLY: BAREILLY:बीते फ्0 मार्च से जहां बरेली समेत पूरे प्रदेश के शिक्षक यूपी बोर्ड की कॉपियां जांचने के भारी विरोध में लगे थे। तो वहीं उस दौरान शिक्षकों का एक गुट ऐसा भी था जिसने इस बहिष्कार का विरोध देश के अन्नदाता के हित में करने की गुजारिश की। असल में इन टीचर्स की मुहिम है कि इस बार वे जितनी कॉपियां जांचे, उस पर मिलने वाले रुपये को वे प्रकृति के कहर से आत्महत्या करने को मजबूर हुए किसानों की सहायता के लिए दान दें। ज्यादा से ज्यादा कॉपियां जांची जाये, और ज्यादा टीचर्स इस मुहिम में अपना योगदान दें, इसके लिए इन टीचर्स ने सोशल मीडिया के जरिए ये ईमानदार पहल की।
और कारवां बढ़ता गयाइस्लामियां इंटर कॉलेज में कॉपी जांच रहें गिरजेश त्रिपाठी ने अपने फेसबुक अकाउंट से इस मुहिम की शुरुआत की। कदम बढ़े और कारवां बढ़ता गया। अब इनकी इस मुहिम में इनके दूसरे शिक्षक दोस्त साथ आ चुके है। मूल्यांकन पारिश्रमिक दान करने का आइडिया जब इन्होंने इस्लामिया के मूल्यांकन कक्ष में दोस्त बने साथी एग्जामिनर से शेयर किया तो वह भी इनके साथ आ गए। ये एग्जामिनर अनिल कुमार हैं। इसके साथ ही इनके लखीमपुर डिस्ट्रिक्ट के साथी शिक्षक भी अपने एरिया में इस मुहिम के लिए लोगों को जोड़ने का काम कर रहे हैं।
दान के लिए नहीं करेंगे पारिश्रमिक का इंतजार गिरजेश का कहना है कि किसानों के देश में किसान को आत्महत्या करनी पड़ रही है, ये बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। टीचर्स को दो साल से मूल्यांकन का रुपया नहीं मिला है, ऐसे में हम दान करने के लिए इस साल मिलने वाले रुपये का इंतजार नहीं करेंगे, बल्कि इसे अपनी जेब से ही देंगे। अब तक इनकी मुहिम में भ्0 से ज्यादा टीचर्स जुड़ चुके हैं, इन्होंने बताया कि ये रुपया स्टेट गवर्नमेंट के राहत कोष में किसानों की सहायता के लिए जमा कराया जाएगा।टीचर्स को अपनी परेशानी भूल इस वक्त मर रहे किसानों की सहायता के बारे में कदम उठाना चाहिए। मैंने एक छोटी सी शुरुआत की है, अगर दूसरे शिक्षक बंधु साथ आयें तो शायद ये किसानों के लिए एक बड़ी राहत का काम कर सकती है।
- गिरजेश त्रिपाठी, टीचर