BAREILLY: 'दामिनीÓ के साथ हुई घटना से सबक लेते हुए यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन यूजीसी ने भी ठोस कदम उठाने की कवायद शुरू कर दी है. यूजीसी ने अपने स्तर से टास्क फोर्स का गठन किया है. ये फोर्स यूनिवर्सिटी में पढ़ रहीं गल्र्स और उनके ऑफिसेज में काम रहीं वूमेंस की सिक्योरिटी का गहन अध्ययन करेगी. व्यवस्था में जो भी कमियां होंगी टास्क फोर्स न केवल उन्हें उजागर करेगी बल्कि स्थिति बेहतर करने के लिए सजेशन भी देगी. यूनिवर्सिटीज और एफिलिएटेड कॉलेजेज को इन्हें इंप्लीमेंट भी करना होगा.


व्यवस्थाओं में करें बदलावयूजीसी ने टास्क फोर्स गठित करने का डिसीजन दामिनी गैंगरेप के बाद ही उठाया। यूजीसी के चेयरमैन वेद प्रकाश के अनुसार, देश की राजधानी में हुई दहला देने वाली घटनाओं के बाद से यह जरूरी हो गया है। कैंपस में पढऩे वाली गल्र्स और काम करने वाली महिलाओं की सेफ्टी, सिक्योरिटी और स्वतंत्रता देने की व्यवस्थाओं की नए सिरे समीक्षा और बदलाव किया जाए। यूजीसी की मंशा है कि यह मैसेज पूरे समाज तक पहुंचे।10 मेंबर्स की टास्क फोर्स गठित


यूजीसी ने प्रो। मीनाक्षी गोपीनाथ की अध्यक्षता में 10 मेंबर्स की टास्क फोर्स गठित की है। इसमें प्रो। मैरी जॉन सह अध्यक्षा और प्रो। योगेंद्र यादव, प्रो। उमा चक्रवर्ती, प्रो। गोपाल गुरु, प्रो। वसबीर हुसैन, डॉ। संजय श्रीवास्तव, प्रो। सूसी थारू व डॉ। कुलविंदर कौर मेंबर के रूप में शामिल हैं। वहीं डॉ। अर्चना ठाकुर कोऑर्डिनेटर हैं। ये टास्क फोर्स देश की सभी यूनिवर्सिटीज के कैंपस की व्यवस्था की स्टडी करेगी। यूजीसी इसके लिए नोटिफिकेशन जारी करेगी। इसे जारी करने के दो महीने के अंदर ही टास्क फोर्स को अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।स्टूडेंट्स लीडर्स की लेंगी हेल्प

कैंपस में गल्र्स व वूमेंस के प्रति 'जीरो टॉलरेंस ऑन हैरेसमेंटÓ की स्थिति बनाने की यूजीसी की मंशा है। इसके लिए यूजीसी कैंपस के लीडर्स की भी हेल्प लेगा। चाहे वह स्टूडेंट्स लीडर्स हों या फिर टीचर्स व कर्मचारियों की यूनियन। कैंपस में सेफ्टी और सिक्योरिटी मेंटेन करने में इन यूनियंस के लीडर्स का यूजीसी विशेष रूप से योगदान लेगा। इन सबकी हेल्प से कैंपस में रेस्पॉन्सिव मैकेनिज्म तैयार करने की योजना है। जो न केवल सुपरवाइज करेगा बल्कि काउंसलिंग और प्रॉब्लम्स का निराकरण भी करेगा। इन बातों को परखेगी टास्क फोर्स*    यह पता लगाना कि कैंपस में गल्र्स और वूमेंस की सेफ्टी के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं।*    कैंपस में मौजूद कमियों का पता लगाना और व्यवस्था में सुधार के लिए सजेशन देना।*    ग्रिवेंस रिड्रेसल मैकेनिज्म की समीक्षा करना व उसे और मजबूत बनाने के लिए सुझाव देना।*    सोसाइटी की सोच को बदलने के लिए एकेडमिक मेजर्स और एक्शन प्रोग्राम इम्प्लीमेंट कराना, जिससे पब्लिक में जेंडर इक्वैलिटी के फंडामेंटल राइट की तरफ पॉजिटिव सोच उत्पन्न हो।*    यूनिवर्सिटी के करिकुलम में जेंडर एजुकेशन और उसके प्रति संवेदनशीलता को शामिल करने के लिए सुझाव पेश करना।*    जेंडर सेंसिटिव के प्रति अवेयरनेस के लिए सुझाव देना।Report By Abhishek Singh

Posted By: Inextlive