मेन सब्जेक्ट्स पर ही स्टूडेंट्स ने रखा अपना फोकस
- टॉपर्स ने कहा-सिस्टम की खामियों को दूर करेंगे
- कोई इंजीनियर तो कोई आईएएस बनना चाहता - मैथ्स व साइंस सब्जेक्ट पर ज्यादा टाइम दियाBAREILLY: रिजल्ट में बेहतर परफॉर्म करने वाले स्टूडेंट्स या तो इंजीनियर बनना चाहते हैं या फिर मेडिकल प्रोफेशन में अपना करियर संवारना चाहते हैं। इनमें से कुछ साइंटिस्ट बनकर देश को बुलंदियों के शिखर पर पहुंचाना चाहते हैं। वहीं कुछ सिस्टम की खामियों को दूर करने के लिए सिविल सर्विसेज में जाना चाहते हैं। ऐसे सभी स्टूडेंट्स ने अपने मेन सब्जेक्ट्स पर ही फोकस किया है, जिसका नतीजा यह रहा कि लैंग्वेज में उनके मार्क्स बाकी सब्जेक्ट्स के मुकाबले काफी कम आए हैं। स्टूडेंट्स ने भी इस बात को साफ तौर पर स्वीकार किया है कि उन्होंने शुरुआत में इंग्लिश और हिंदी सब्जेक्ट को ज्यादा टाइम नहीं दिया। बस एग्जाम से दो-तीन महीने पहले ही लैंग्वेज सब्जेक्ट पर थोड़ा फोकस किया। वह भी केवल कोर्स कवर करने के लिए। इसमें एक्सेल करने का तो उनकी कोई मंशा ही नहीं थी। स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्होंने मैथ्स और साइंस के सभी सब्जेक्ट्स की कोचिंग की। अपना सारा टाइम इन सब्जेक्ट्स पर ही फोकस किया। रिविजन भी सबसे ज्यादा इन्हीं सब्जेक्ट्स का किया।
हिंदी मीडियम में इंग्लिश का ग्राफ सुधराआमतौर पर यूपी बोर्ड के स्टूडेंट्स इंग्लिश में काफी कमजोर माने जाते हैं। यही वजह है कि हिंदी के मुकाबले उनके इंग्लिश में काफी कम मार्क्स आते हैं, लेकिन इस बार अधिकांश स्टूडेंट्स की परफॉर्मेस हिंदी में कम मार्क्स आने की वजह से बिगड़ी है। हिंदी के मुकाबले उनके इंग्लिश में काफी बेहतर मार्क्स आए हैं। स्टूडेंट्स ने इसके पीछे स्ट्रिक्ट मार्किंग का कारण बताया है। स्टूडेंट्स और एक्सपर्ट्स की मानें तो इंग्लिश सब्जेक्ट की मार्किंग में टीचर्स ज्यादा लीनिएंट दिखे। डिस्ट्रिक्ट टॉपर दीपिका यादव ने बताया कि उसे ंिहंदी में और मार्क्स आने की उम्मीद थी। उनके हिंदी में 9भ् और इंग्लिश में 9म् मार्क्स आए हैं। वहीं अमन गंगवार के इंग्लिश नें 9म् तो हिंदी में क्0 नम्बर कम 8म् मार्क्स स्कोर किया है। अमन ब्वॉयज कैटेगरी में डिस्ट्रिक्ट में टॉप और डिस्ट्रिक्ट मेरिट में सेकेंड पोजिश्न पर हैं। सेकेंड पोजिशन पर काबिज काजल गंगवार के इंग्लिश में 9फ् तो हिंदी में 88 मार्क्स स्कोर किया है।
कम्प्यूटर साइंस का रहा मलालइंटर में हिंदी सभी के लिए कंपलसरी है, जबकि इंग्लिश और कम्प्यूटर साइंस में च्वाइस है। बावजूद इसके स्टूडेंट्स ने इंग्लिश ही सिलेक्ट किया। अब रिजल्ट आने के बाद स्टूडेंट्स को मलाल है कि उन्होंने कम्प्यूटर साइंस क्यों नहीं चूज किया। स्टूडेंट्स का मानना है कि कम्प्यूटर साइंस लिया होता तो और बेहतर मार्क्स स्कोर किया होता।