वैक्सीन भी स्वाइन फ्लू की चपेट में
-स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए मार्केट में वैक्सीन की हुई शॉर्टेज
-कंपनियों से नहीं हुई नए स्टॉक की सप्लाई, बढ़े दाम पर बिक्री BAREILLY: देश भर में हजारों लोगों को अपना शिकार बना चुकी जानलेवा बीमारी स्वाइन फ्लू की चपेट में इससे बचाव के लिए यूज होने वाली वैक्सीन भी आ चुकी है। बरेली में इस बीमारी से बचाव के लिए ऐहतियातन लगाए जाने वाली वैक्सीन वैक्सीग्रिप भी एच1एन1 वायरस के आगे बेबस साबित हो रही। दरअसल बीमारी से बचने के लिए लगवाए जाने वाली इस वैक्सीन की शहर में जबरदस्त कमी हो गई है। वैक्सीन की कमी ने एक ओर जहां लोगों में इस बीमारी की चपेट में अने की दहशत बढ़ा दी है। वहीं सप्लाई के मुकाबले मांग ज्यादा होने से इस वैक्सीन की बिक्री में भी मुनाफाखोरी का खेल सामने आ रहा है। कंपनियों से नहीं हुई सप्लाईस्वाइन फ्लू से बचाव को बेहतर मानी जाने वाली इस वैक्सीन की दरअसल नई सप्लाई ही नहीं हो सकी है। बाजार के जानकारों ने बताया कि साल 2013 में इस वैक्सीन की भारी भरकम सप्लाई इस बीमारी में यूज न होने पर एक्सपायरी हो गई। जिसके चलते पिछले साल कंपनीज ने इस वैक्सीन की नई सप्लाई बेहद कम की। जो सप्लाई हुई उसकी एक्सपायरी अप्रैल 2015 में खत्म हो रही। बीमारी के महामारी का रूप लेते ही सिचुएशन बिगड़ने लगी। इस पर भी नई सप्लाई को तक तक बाजार में नहीं उतारा गया। जब तक बाजार से पुराना स्टॉक खत्म नहीं होता तब तक कंपनीज से नई सप्लाई नहीं हो रही।
दहशत ने बढ़ाई खपत इस वैक्सीन को एच1एन1 वायरस से बचाव के लिए बेहतर माना जाता है। इस भरोसे के चलते ही लोगों ने बीमारी के डर से आनन फानन में यह वैक्सीन लगवानी शुरू कर दी। इससे कुछ ही दिनों में वैक्सीन का स्टॉक न के बराबर रह गया। इसी का फायदा उठाकर 750 रुपए में बिकने वाली इस वैक्सीन को एमआरपी से ज्यादा रेट पर बेचने की भी शिकायतें आने लगी। हालांकि वैक्सीन लगवाने के बाद भी इसका बीमारी के खिलाफ 100 फीसदी असर नहीं रहता। यह वैक्सीन लगवाने के 21 दिन में शरीर को वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी देता है। इसमें भी इसका असर 80 फीसदी तक ही रहता है। ऐसे में इन 21 दिनों के दौरान अगर वायरस की चपेट में आ गए तो बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। -शहर के मेडिकल स्टोर में वैक्सग्रिप वैक्सीन का स्टॉक न के बराबर रह गया है। कंपनीज ने पिछले दफा हुए नुकसान के चलते इस बार नई सप्लाई ही नहीं भेजी। जो लोग एमआरपी से ज्यादा रेट पर वैक्सीन बेच रहे, उनके खिलाफ कार्रवाई हो। लोग डरे नहीं। - दुर्गेश खटवानी, प्रेसीडेंट, महानगर बरेली केमिस्ट एसोसिएशन
----------------------------------- स्वाइन फ्लू और निमोनिया ने फिर ली दो जान नगर निगम के पर्यावरण इंजीनियर भी बीमारी के खतरे में BAREILLY: शहर में मंडे को भी स्वाइन फ्लू और निमोनिया की चपेट में आकर दो लोगों की मौत हो गई। स्वाइन फ्लू से हुई मौत शहर के एक निजी हॉस्पिटल में हुई। चौपुला स्थित इस हॉस्पिटल में ख्भ् फरवरी से शाहजहांपुर की मीनाक्षी का इलाज चल रहा था। मीनाक्षी की स्वाइन फ्लू जांच रिपोर्ट पॉजिटीव आई थी। मंडे को इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। वहीं सीबीगंज में भी निमोनिया से पीडि़त भ्8 साल के मरीज रमेश शर्मा की मंडे को मौत हो गई। मरीज की स्वाइन फ्लू की जांच नहीं कराई जा सकी थी। वहीं नगर निगम के पर्यावरण इंजीनियर उत्तम कुमार वर्मा भी स्वाइन फ्लू की दहशत के बीच बीमार पड़ गए हैं। पर्यावरण इंजीनियर को उनके सहयोगी मंडे को डिस्टिक्ट हॉस्पिटल लेकर आए। जहां उन्हें पूर्व नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ। आरएन गिरी की निगरानी में इलाज दिया गया।हाई िरस्क मरीजों को अलर्ट
मंडे को भी बरेली से 9 लोगों के सैंपल, स्वाइन फ्लू की जांच के लिए पीजीआई भेजी गई। इस तरह मंडे तक बरेली से भेजे गए सैंपल का आंकड़ा म्8 और कंफर्म मरीजों की तादाद क्8 तक पहुंच चुकी है। वहीं एपिडमेलॉजिस्ट डॉ। मीसम अब्बास ने टीबी, अस्थमा, हार्ट पेशेंट्स, किडनी या अन्य बीमारी के पुरानी मरीजों के लिए अलर्ट जारी कराया है। डॉ। मीसम ने ऐसे हाई रिस्क वाले मरीजों को भीड़-भाड़ या पार्टी वाली जगहों पर जाने से साफ मना किया है। वजह बरेली से जितने भी क्8 मरीज वायरस के कंफर्म पाए गए, वह सभी हाई रिस्क थे।