सुपरवाइजरों की मनमानी पड़ रही भारी
-निर्धारित सीटों पर पीएचडी कराने को नहीं तैयार
-काउंसलिंग से पहले नहीं मिल रहे सुपरवाईजर बरेली : आरयू में चार साल बाद शुरू हो सके पीएचडी प्रवेश पर अब सुपरवाइजर की मनमानी का साया मंडराने लगा है। आरयू ने यह आवश्यक कर दिया है कि काउंसलिंग से पहले अभ्यर्थी सुपरवाइजर जरूर तय कर ले, लेकिन सुपरवाइजर सीट देने के बजाए अपना फायदा ढूंढ रहे हैं। यही कारण है कि अब तक हो चुकी आधा दर्जन से अधिक विषयों की पीएचडी काउंसलिंग में महज 30-35 प्रतिशत अभ्यर्थी ही शामिल हुए। रीडर-प्रोफेसर क सीटें हुईं कमयूजीसी ने इस बार प्रोफेसर और रीडर के अंडर होने वाली पीएचडी की सीटों की संख्या घटाई है। अब प्रोफेसर आठ की जगह छह और रीडर छह की जगह चार अभ्यर्थियों को ही पीएचडी करा सकता है। सीटों कम होने सुपरवाइजर अभ्यर्थियों के चुनाव में मनमानी बरत रहें। कई मामले ऐसे सामने आए, जिसमें सिफारिश के बाद शिक्षकों ने पीएचडी कराने की हामी भरी। विज्ञान व अन्य कुछ विषयों की हुई काउंसलिंग में सुपरवाइजर न मिलने से कई अभ्यर्थियों ने काउंसलिंग ही नहीं कराई
मांगे एक लाख रुपयेपीएचडी कराने के नाम पर अभ्यर्थियों से मोटी रकम भी मांगी जा रही है। इस प्रकार के कई मामले भी सामने आए। एक यह भी कारण है कि अधिकतर शिक्षकों से अभ्यर्थियों ने संपर्क नहीं किया। मुरादाबाद के एक अभ्यर्थी का कहना था कि पीएचडी के लिए उससे एक लाख रुपये मांगे गए पैसे न होने के कारण उसको एडमिशन लेने से अपना मन बदलना पड़ा।
खतरे में फेलोशिप यूजीसी से फेलोशिप प्राप्त अभ्यर्थियों पर सुपरवाइजर की मनमानी तो भारी पड़ ही रही है। साथ ही आरयू की लापरवाही भी रातों की नींद उठाए हुए है। पंद्रह दिसंबर तक उनकी पीएचडी काउंसलिंग होकर डाटा यूजीसी नहीं जाता है तो उनकी फेलोशिप समाप्त हो जाएगी। प्रवेश परीक्षा और नए आवेदन मिलाकर संख्या दो हजार के पार पहुंचती है। इसमें करीब सात सौ को ही प्रवेश का मौका मिल सकेगा। चयनित अभ्यर्थियों में से करीब सौ अभ्यर्थी यूजीसी से फेलोशिप प्राप्त हैं। कला, कॉमर्स और मैनेजमेंट विभाग के एक भी विषय की काउंसलिंग नहीं हो सकी है। अब ये अभ्यर्थी विश्वविद्यालय प्रशासन को इसका दोषी मान रहे हैं। वर्जन-----काफी प्रयास किया कि काउंसलिंग समय से समाप्त करा दें लेकिन ऐसा नहीं हो सका। सुपरवाइजर की सूची तैयार न होने से ही यह दिक्कत पेश आई। इसलिए ही पंद्रह दिसंबर से पहले काउंसलिंग करा रहे हैं ताकि कुछ की फेलोशिप बचाई जा सके।
-प्रोफेसर वीपी सिंह, कोआर्डिनेटर पीएचडी काउंसलिंग