हेल्दी नहीं रही शहर की आबोहवा
- समर में बढ़ जाता है एयर पॉल्यूशन का परसेंटेज
- पिछले साल के मुकाबले इस साल आरएसपीएम 50 प्वॉइंट बढ़ा BAREILLY : शहर की आबोहवा स्वास्थ्य के लिए मुफीद नहीं है, क्योंकि हवा में पाल्यूशन का लेवल दिनों-दिन बढ़ता जा रहा है। खासतौर पर समर के सीजन में रिस्पाइरेबल सस्पेक्टेड पार्टीकुलेट मैटर 'आरएसपीएम' की मात्रा काफी बढ़ जाती है। चिंता की बात यह है कि पिछले तीन वर्षो में इसकी मात्रा में काफी इजाफा हुआ है, जो बीमार करने के लिए बहुत है। वैसे अब तक इसकी जद में आकर बहुत लोग सांस जनित बीमारियां बढ़ी हैं। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है। समर में और बढ़ जाता है एयर पॉल्यूशनइन दिनों हवाओं का रुख तेज होने से एयर पॉल्यूशन के परसेंट में कई गुना इजाफा हो जाता है। गेहूं की मढ़ाई और सामान्य दिनों की अपेक्षा शोरूम से निकलकर वाहन भी रोड पर काफी संख्या में आते है। लिहाजा दम घोंटू हवाएं लोगों को जीना मुहाल कर देती है। बीते मार्च व अप्रैल के आंकड़ों पर गौर फरमाएंगे तो और चौंक जाएंगे। बीसीबी के एंवॉयरंमेंट डिपार्टमेंट द्वारा दर्ज किए गए आंकड़ों की बात करें तो, रिस्पायरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मेटर (आरएसपीएम) का परसेंट मार्च में सिर्फ ख्0ख् माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब था। जो कि, अप्रैल में ख्क् परसेंट बढ़कर ख्ख्फ् पर आ गया। एक्सपर्ट जून तक इस आंकड़े में और इजाफा होने की उम्मीद जता
रहे है। बॉक्स वायु प्रदूषण से - नजला। - दमा। - गले में खरास होना। - एलर्जिक सम्बंधी बीमारी। - आंख की बीमारी। उपाय - हैंकी या मॉस का यूज करना चाहिए। - गंदा पानी बहाव के लिए बंद नाली का प्रयोग करे। - अपने आस - पास साफ सफाई रखे। एयर पॉल्यूशन का स्टैंडर्ड - आरएसपीएम - क्00 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब। ईयर - आरएसपीएम परसेंटेज ख्0क्फ् - क्क्ख्-क्फ्0 ख्0क्ब् - क्ब्0-क्70 ख्0क्भ् - ख्0ख्-ख्ख्फ् धूएं का स्टैंडर्ड मानक (कार्बन मोनो आक्साइड) निम्न परसेंट तक होना चाहिए। - सीएनजी वाहन - 0.क् से 0.ख्0 तक - पेट्रोल वाहन टू व्हीलर - फ् परसेंट। - फोर व्हीलर - ब्.भ् परसेंट। एयर पॉल्यूशन जांच सेंटर - राजेंद्र नगर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड - प्रभा टॉकिज के पास - आईवीआरआईगर्मी के मौसम में आमतौर पर आरएसपीएम बढ़ जाता है।
आरके त्यागी, आरओ पीसीबी हर साल पॉल्यूशन में इजाफा हो रहा है। इस मार्च अप्रैल की ही बात करें तो, क्0 परसेंट से अधिक का ग्राफ बढ़ा है। जोकि, एक गंभीर समस्या है। एंवॉयरमेंट के प्रति लोगों को अवेयर होने की जरूरत है। डॉ। डीके सक्सेना, प्रोफेसर बॉटनी बीसीबी