'शहर बीमार हुआ तो हम उससे ज्यादा बीमार हुए'
दवा संग दुआ भी चाहिएऐसा लगता है कि अमन पसंद शहर को किसी की नजर लग गई है। यह जैसे ही खड़ा होने की कोशिश करता है टूटी हुई साख का दर्द इसे खड़ा ही नहीं होने देता है। अब तो दवा के साथ शहर को दुआ की भी जरूरत है। ताकि तकलीफ कहीं नासूर न बन जाए। जरूरत है कि हम भाईचारे की तरफ कदम बढ़ाएं और शहर की फिजा खराब करने वालों को मुंह तोड़ जवाब दें। सबको सद्बुद्धि दे खुदा
शहर को नजर तो लगी ही है। हमेशा खुशनुमा रहने वाले इस शहर को पता नहीं क्या हो गया है जो हर रोज यहां कुछ नया बवाल हो जाता है। छोटी-छोटी बातों पर हम आमने-सामने आ जाते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं और हिंदू-मुस्लिम बन जाते हैं। किसी भी शहर के लिए इससे खराब बात नहीं हो सकती है। मेरा शहरवासियों से यही अनुरोध है कि शहर की शांति बनाए रखें। किसी को भी इस माहौल में सियाशी रोटियां सेंकने का मौका न दें।- डॉ। आईएस तोमर, मेयर