Guys! sky is the limit
इनकी मेहनत ने बदला शहर का मिजाज'खुदी को कर बुलंद इतना किहर तकदीर से पहले खुदा बंदे से ये पूछे बता तेरी रजा क्या हैÓ ये मशहूर और इंसपायरिंग लाइनें बरेली के यूथ पर एकदम फिट बैठती हैं। होटल से लेकर एजुकेशन तक की फील्ड में इन्होंने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। हालांकि इनमें से कुछ को अपना काम विरासत में मिला है मगर जवां बुलंद इरादों और नई सोच के साथ इन्होंने उस बिजनेस को और चमका दिया। जिम्मेदारियों को अपने कंधों पर लेकर हर कदम पर कुछ नया करने की कोशिश की। आई नेक्स्ट ने ऐसे ही कुछ यूथ आइकंस से जानी उनकी सक्सेज स्टोरी।स्टाफ का लीडर बन पाना बड़ा चैलेंज था
25 साल की उम्र से आशुतोष शर्मा अपने बूते पर सोयाबीन प्रोसेस्ड फूड का बिजनेस संभाल रहे हैं। विरासत में मिले बिजनेस को नए आयाम देने के लिए उन्होंने एक्सपेरीमेंट्स का सहारा भी लिया। बिजनेस की स्टार्टिंग में बतौर लीडर पहचान हासिल करने के लिए वह बताते हैं, गद्दी तो मुझे मिल गई लेकिन स्टाफ में खुद को बतौर लीडर स्थापित करना बड़ा चैलेंज था। इसका एक ही तरीका था कि बिजनेस एक्सपोजर बढ़ाया जाए। इसलिए फैजाबाद में राशि इंटरप्राइजेज के नाम से फर्म स्टेब्लिश की। इस फर्म को स्टेब्लिश करना थोड़ा मुश्किल इसलिए भी था क्योंकि फर्म को संभालने का मेरा तजुर्बा कम था। आखिरकार फर्म ओपन हुई. इस सक्सेस के बाद बॉस की नेम प्लेट वाकई में स्टेब्लिश हुई। आशुतोष ने महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की डिग्री ली है। यूथ के लिए बिजनेस सेक्टर में चांसेज के लिए कहते हैं कि मनी को प्वॉइंट समझा जाता है लेकिन सच्चाई ये है कि यूथ को सिर्फ अपने इंटे्रस्ट की फील्ड में वर्क करना चाहिए। पैसा तो खुद ब खुद आ जाता है। - आशुतोष शर्मा, ओनर प्रोटेनगेट सोयाबीन इंडस्ट्री लक्ष्य पाने के लिए पेशेंस जरूरी
महज 15 हजार रुपए से करियर शुरू करने वाले आदित्य मूर्ति आज शहर के सबसे पहले और बड़े मेडिकल कॉलेज के डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन हैं। बिजनेस टाइकून और यूथ आइकॉन आदित्य अपनी निजी जिंदगी में परिवार की परंपराओं को बहुत महत्व देते हैं। उन्होंने यूके की वेल्स यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की। 2001 में उन्होंने हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज के मैनेजमेंट में कदम रखा। आदित्य कहते हैं कि किसी भी मेडिकल कॉलेज में पहले 10 साल बहुत चैलेंजिंग होते हैं। खर्चे, लॉसेज के साथ बहुत धैर्य से बिजनेस रन करना पड़ता है। आदित्य आज 4,000 से ज्यादा लोगों को गवर्न करते हैं। बरेली की इंड्रस्टी के लिए गुरु मंत्र देते हुए कहते हैं कि यहां स्कोप बहुत है। जरूरत है मैनेज्ड वे में आइडिया एग्जीक्यूट करने की। - आदित्य मूर्ति, डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशनलगन हो तो मंजिल दूर नहीं देहरादून से स्कूलिंग पूरी करने वाली स्नेह लता के करियर की स्टार्टिंग बतौर टीचर हुई। शादी के बाद उनकी खुद का बिजनेस करने की ललक का नतीजा था कि उन्होंने अपने हसबैंड के साथ डिस्ट्रीब्यूटरशिप की स्टार्टिंग की। वोडाफोन, एयरसेल, पेप्सी, पारले जी जैसी कंपनियों की डिस्ट्रीब्यूटरशिप आज स्नेह के पास है। बिजनेस से रिलेटेड चैलेंजेज के बारे में बताती हैं कि महिलाओं के लिए बिजनेस में उतरना जरा मुश्किल होता है। मैरीड वूमन के लिए ये मुश्किलें जस्ट डबल हो जाती हैं। अगर परिवार का सपोर्ट मिल जाए तो काम आसान हो जाते हैं। यूथ को मैसेज देते हुए कहती हैं कि अगर लगन से काम किया जाए तो मंजिल खुद ब खुद पास आ जाती है, लेकिन काम वहीं करें जिसमें आपका इंट्रेस्ट हो।- स्नेह लता, डिस्ट्रीब्यूटर बच्चा समझकर ट्रीट करते थे सब लोग
खंडेलवाल कॉलेज के एग्जीक्यूटीव डायरेक्टर विनय खंडेलवाल ने फैमिली बिजनेस से हटकर एजुकेशन सेक्टर में पहचान हासिल की। इसके पीछे वह अपने पिता की दिली तमन्ना को कारण मानते हैं। सिर्फ 20 साल की उम्र में खंडेलवाल कॉलेज शुरू किया। कॉलेज की शुरुआत में नित नए चैलेंजेज से जूझने वाले विनय बताते हैं कि उन दिनों जब मान्यता या दूसरे कामों के लिए सरकारी डिपार्टमेंट में जाता था तो अधिकारी बच्चा समझकर ट्रीट करते थे। बरेली में सबसे पहले बीएसई होम साइंस, बीकॉम ऑनर्स, बीटीसी कोर्स और एमएड जैसे कोर्स एजुकेशन इंट्रीड्यूज करने का श्रेय उन्हीं के कॉलेज के नाम है। हाल में हुए नैक दौरे में कॉलेज को 'बी प्लसÓ ग्रेड दिलाने के लिए पूरे स्टाफ के साथ खासी मेहनत करनी पड़ी। वह यूथ से कहते हैं कि सक्सेस का कोई शॉर्ट कट नहीं होता है। कड़ी मेहनत के आगे ऐज मैटर नहीं करती है। - विनय खंडेलवाल, एग्जीक्यूटीव डायरेक्टर खंडेलवाल कॉलेजपहचान बनाने के लिए लीक से हटकर सोचा
होटल इंडस्ट्री में अपना नाम और अलग मुकाम हासिल करने की ख्वाहिश अंकुर में 11 साल की उम्र में ही उपज गई थी। जिसे पूरा करने के लिए उन्हें खासी मेहनत करनी पड़ी। अपने सपने को सच करने में उन्हें 10 साल लग गए। 22 वर्ष की उम्र में वह शहर के नामचीन होटल पंचम के जीएम बन गए थे। सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, होटल मैनेजमेंट का कोर्स करके उन्होंने अपने बिजनेस को नए आयाम दिए। 10 वर्ष से होटल का बिजनेस संभाल रहे अंकुर चैलेंजेज के बारे में कहते हैं कि लाइफ हर दिन कुछ नया सिखाती है। पिछले साल राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के आने पर लगभग 1100 लोगों का एक साथ खाने का कॉन्ट्रेक्ट उन्हें मिला। एक साथ अरेंज करना बड़ा टास्क था। मगर सक्सेजफुल तरीके से टारगेट अचीव कर लिया, जिसके बाद त्रिशूल एयरबेस की तरफ से उन्हें स्पेशल प्राइज से नवाजा भी गया। वह होटल बिजनेस में 40 लोगों के स्टाफ को गवर्न करते हैं। बरेली के इंड्रस्ट्री और यूथ के लिए अंकुर की राय है कि पहचान बनाने के लिए लीक से हटकर सोचना और काम करना पड़ता है। होटल इंडस्ट्री में उनका होटल पहला था, जिसने परिसर में वाई-फाई इंटरनेट जैसी फैसिलिटी की शुरुआत 2002 में कर दी थी। वह मानते हैं कि शहर में 70 परसेंट लोग किसी न किसी रूप में व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। शहर में बिजनेस का फ्यूचर ब्राइट है. - अंकुर विग, जीएम होटल पंचम हमेशा अपने आप से कॉम्पिटीशन रखासिर्फ 23 वर्ष की उम्र से बिजनेस में बड़े-बड़ों के कान काटने वाले अभिनव ने बिजनेस में मुनाफे को ही अपना टारगेट नहीं बनाया बल्कि बरेली में पहली बार वेस्ट मैनेजमेंट को इंट्रेड्यूस किया। एनर्जी एफिशिएंट फर्म को खास तवज्जो देने वाले अभिनव ने उड़ीसा के राउरकेला के एनआईटी से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। कैम्पस प्लेसमेंट के जरिए पूना में इंफोसिस को ज्वॉइन किया। पहली सैलरी 25 हजार रुपए मिली थी। बिजनेस करने की चाह उन्हें बरेली खींच लाई। आज वह 80 लोगों के स्टाफ को हैंडल करते हैं। बरेली के पेपर प्रोडक्शन बिजनेस में उनकी फर्म का बड़ा नाम है। सक्सेस स्टोरी के बारे में बताते हैं कि यह बरेली में अपनी तरह की पहली फर्म थी, जिसको ऑपरेट करने में शुरुआती दौर मुश्किलों से भरा था। लेकिन कड़ी मेहनत से धीरे-धीरे मुश्किलें कम होती चली गई। यूथ के लिए मैसेज देते हुए कहते हैं कि सबसे बड़ा चैलेंज खुद को सैटिसफाइ करना होता है। इसलिए कॉम्पिटीशन हमेशा खुद से रखनी चाहिए। बिजनेस लाइफ हो या पर्सनल लाइफ हर बात आसान हो जाती है। - अभिनव अग्रवाल, रामा श्यामा पेपर मिल्स