हिंदी को हल्के में लेने की न करें भूल, व्याकरण का रखें ख्याल
BAREILLY:
बोर्ड एग्जाम में अक्सर स्टूडेंटस दूसरे सब्जेक्टस की प्रिपरेशन के चलते हिंदी की तैयारी को वरीयता नहीं देते, जिसका असर उनके रिजल्ट पर पड़ता है। इसलिए इस विषय की तैयारी में कोताही न बरतें, इसकी तैयारी में किन बातों को खास ध्यान रखें और किन टॉपिक्स को ध्यान से पढ़ें, इसकी जानकारी हम आपको दे रहे हैं। तीनों भागों पर दें बराबर ध्यानसत्तर नंबर के पेपर में संस्कृत, गद्य और काव्य से लगभग बराबर अनुपात में प्रश्न पूछे जाते हैं। संस्कृत भाग में काव्य एवं गद्य के अवतरण का संदर्भ सहित हिंदी अनुवाद पूछा जाता है, इसलिए पाठों को ध्यान से पढ़कर समझें। इन पाठों से प्रश्न भी पूछे जाते है। पाठ्यक्रम से संस्कृत श्लोक जरूर याद करें, ये दो नंबर मे पूछा जाता है। संस्कृत व्याकरण को समझकर याद करें, इस भाग से संधि, समास, वाक्यों का संस्कृत अनुवाद, शब्द रूप, धातु रूप, प्रत्यय और उपसर्ग, तत्सम व तद्भव, पर्यायवाची शब्द, रस, छंद और अलंकार पर आधारित प्रश्न पूछे जाते हैं। गद्य भाग की बात करें तो इसमें गद्य साहित्य का इतिहास याद करें, जिसमें विशेषकर शुक्ल व शुक्लोत्तर युग से लेखक व इनकी रचनाएं पूछी जाती है। इसके अलावा एक गद्य अवतरण की संदर्भ सहित व्याख्या और लेखक के जीवन परिचय पर आधारित प्रश्नों के लिए तैयारी करें। खंडकाव्य 'मेवाड़ मुकुट' के सर्ग का सारांश व इसके मुख्य पात्रों का चरित्र चित्रण याद करें।
वर्तनी की अशुद्धियों से बचें हिंदी के पेपर में हिंदी व्याकरण का खास ध्यान रखें, वर्तनी और हलंत की गलतियों से सबसे ज्यादा मार्क्स काटते है। किसी अवतरण का अनुवाद या व्याख्या में संदर्भ और प्रंसग जरूर लिखें, काव्य अवतरण में काव्य सौंदर्य जरूर दें। व्याकरण में रूप, समास, आदि लिखकर याद करें, ताकि हलंत की गलती से बचा जा सकें। निंबध लिखने से पहले रूपरेखा बना लें। हिंदी को व्याख्या का विषय मानना गलत धारणा है, अनावश्यक व्याख्या कर समय बर्बाद न करें, आंसर टू द प्वांइट ही लिखें। पाठ्यक्रम में दिए गए खंडकाव्य पर ही उत्तर लिखें, प्रश्नपत्र में दिए दूसरे खंडकाव्य के प्रश्नों को अटेंप्ट न करें, केवल पाठ्यक्रम वाले ही खंडकाव्य पर अंक दिए जाते हैं। स्टूडेंट्स हिंदी विषय को हल्के में लेने की गलती न करें। छात्र सबसे ज्यादा व्याकरण संबंधी गलतियां करते है। गलतियों से बचने के लिए लिखकर तैयारी करें। - स्मिता, हिंदी-टीचर, आरएनटी इंटर कालेज