प्रिपेरेशन में रहें कूल ताकि रिजल्ट आए फुल
BAREILLY:
केस : कॉमर्स स्ट्रीम से क्ख्वीं की पढ़ाई कर रहीं प्राची को एग्जाम के चंद दिन पहले ही बुखार ने जकड़ लिया है। ये स्टूडेंट एग्जाम फोबिया के चलते इस बीमारी की गिरफ्त में आ गई है, जिससे अब लास्ट मूमेंट में इनकी एग्जाम प्रिपेरेशन पर बुरा असर पड़ रहा है। ये दिक्कत बोर्ड एग्जाम की टेंशन फेस कर रही सिर्फ अकेले प्राची की नहीं है। बल्कि बोर्ड एग्जाम स्टूडेंटस के लिए हमेशा से हौव्वा बनें रहे हैं। लास्ट मूमेंट प्रिपेरेशन में ये एग्जाम फोबिया हमेशा स्टूडेंट का नुकसान पहुंचाने का काम करता है। इसी बात को ध्यान में रखकर हम आपके लिए लाये है, टेंशन फ्री एग्जाम प्रिपेरेशन के कुछ टिप्स। हमारी एक्सपर्ट हेमा खन्ना की बातचीत पर आधारित कुछ खास बातें पेरेंट्स के लिए भी होंगी हेल्पफुल याद रखें बोर्ड एग्जाम हौव्वा नहीं है।बोर्ड एग्जाम को लेकर सालों पहले जो डर लोगों के दिमाग में बैठाया गया था, वह नई जनरेशन के स्टूडेंटस में भी बदस्तूर जारी है। इसकी जद में आकर स्टूडेंटस अक्सर अपना कंसंट्रेशन खो बैठते हैं। इसलिए जरूरी है कि इन एग्जाम्स को दूसरे होम एग्जाम्स की तरह ही ट्रीट करते हुए ही कंटीन्यूअस स्टडी की जाये। स्टूडेंटस एग्जाम्स को फॉर ग्राटेंड लेने की गलती न करें। साथ ही ध्यान रखें कि अगर तैयारी अच्छी नहीं हुई है, तो रिजल्ट आपके कॅरियर के रास्ते भले मुश्किल कर दें, लेकिन इन्हें खत्म नहीं कर सकता।
बोर्ड और एंट्रेस एग्जाम का डबल प्रेशर है सिरदर्द बोर्ड एग्जाम मार्च में शुरू हो रहे हैं, अप्रैल लास्ट तक चलने वाले इन एग्जाम के दौरान ही एंट्रेस एग्जाम भी होंगे, इसलिए स्टूडेंटस पर तैयारी का डबल प्रेशर होता है। क्ख्वीं का एग्जाम देने वाला अमूमन हर स्टूडेंट एंट्रेंस एग्जाम के लिए भी अपियर होता है। ऐसे में स्टडी का डबल प्रेशर मुश्किलें पैदा करता है। दोनों ही एग्जाम में बेहतर करने के साइकोलॉजिकल प्रेशर से बाहर आने के लिए जरूरी है कि स्टूडेंट कॉम्प्रोमाइज करके चले। जीरो ईयर में एंट्रेस एग्जाम क्रैक करने के लिए तैयारी करना अच्छी बात है, लेकिन अपने आपको एक और मौके के लिए साइकोलॉजिकली तैयार रखें। पेरेंट्स इस बात का ज्यादा ध्यान रखें। डूज एंड डोंट्स फॉर पेरेंट्स पेरेंट्स ध्यान रखें कि अपनी अपेक्षाओं को बच्चों के सामने कभी न बोलें, ये प्रेशर का काम करता है। हमेशा अपने बच्चें को उसकी क्षमताओं का अहसास कराकर मोटिवेट करते रहें, घर का माहौल हमेशा टेंशन फ्री रखें।कई बच्चे सिर्फ पेरेंट्स की डर की वजह से ही पढ़ाई करते हैं, ऐसे बच्चे की एक्टिविटीज पर ध्यान दें। कही आपका बच्चा घबराहट, बेहोशी आदि के बहाने तो नहीं बना रहा।
अमूमन पेरेंट्स टीवी और दूसरे एंटरटेनमेंट सोर्सेज पर एग्जाम के दौरान बैन लगा देते हैं, ऐसा न करें, बच्चें को पढ़ाई के साथ मनोरंजन का भी मौका दें। पेरेंट्स अपने बच्चे का किसी दूसरे से कंम्प्रीजन न करें, उसे पढ़ाई के प्रति मोटिवेट करने के लिए उसकी क्षमताओं को ही उसे बताएं। डूज एंड डोंट्स फॉर स्टूडेंटस एग्जाम की स्टडी करते समय अपना एक रूटीन बना लें, तैयारी और दूसरे कामों के लिए एक प्रॉपर टाइम देंगे तो आप स्लीपिंग डिसआर्डर से दूर रहेंगे। मॉर्निग टाइम में हमेशा उस टॉपिक को पढ़ें जो टफ लगते हो, फ्रेश माइंड होने से उस समय आसानी से उसे तैयार किया जा सकेगा। अगर आपको नींद नही आ रही, चिढ़चिढ़ाहट, घबराहट हो रही है, साथ में सारा सिलेबस कवर करने की टेंशन है, तो समझिए आप अवसाद से परेशान है। अपने दिन को तीन सेक्शन में बांटे, जिसके डेढ़ हिस्से में स्टडी करें और बाकी का टाइम दूसरे कामों के लिए रखें। इससे रिफ्रेश रहेंगे।ऐन मूमेंट पर जो पढ़ा है उसे ही रिवाइज करें, कोई नया टॉपिक पढ़ने से बचें।
एग्जामिनेशन सेंटर पर पेपर टाइमिंग से बहुत पहले और बहुत बाद में न पहुंचें। दोनों ही सिचुएशंस में आपको नर्वसनेस होगी, जिसका असर एग्जाम पर पड़ेगा। स्टूडेंटस एग्जाम के लिए अपने रेग्युलर रूटीन के साथ प्रैक्टिस करें, हमेशा पॉजिटिव रहें। पेरेंट्स को यही एडवाइस करूं गी कि कभी भी अपनी अपेक्षाओं को बच्चों पर बोझ न बननें दें। - डा। हेमा खन्ना, साइकोलॉजिस्ट