Bareilly: लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों के अनुसार पहली बार होने वाले स्टूडेंट यूनियन इलेक्शन का असर रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के कैंपस में साफ दिखाई दे रहा है. पूर्व में जो इलेक्शंस हुए हैं उसकी तुलना में कैंपस के एनवायरमेंट में काफी पॉजिटिव चेंज देखने को मिल रहा है. यही कारण है कि पहली बार वोट कास्ट करने वाले स्टूडेंट्स में इंट्रेस्ट तो बढ़ा ही है साथ ही आयोग के डंडे की भी वकालत कर रहे हैं.

कैंपस में कम हुई अराजकता
हालांकि स्टूडेंट्स को लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों की खास जानकारी नहीं है लेकिन यह जरूर जानते हैं कि स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन के लिए स्ट्रिक्ट कोड ऑफ कंडक्ट जारी हुए हैं। स्टूडेंट्स इसे कंपल्सरी भी मानते हैं। उनका मानना है कि इससे हेल्दी कॉम्पिटीशन की भावना पैदा होगी। वह कैंपस में कम हुई अराजकता के लिए कमेटी की सिफारिशों को ही जिम्मेदार मानते हैं।

छात्रनेता अपने बीच का हो

स्टूडेंट्स की यह प्राइम डिमांड है कि स्टूडेंट लीडर्स उन्हीं के बीच में से हों। इलेक्शन में पॉलीटिकल इंटरफियरेंस नहीं होना चाहिए। जो लीडर चुन कर आए वह स्टूडेंट्स की प्रॉब्लम जानता हो और उन्हें सॉल्व करने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन से डिमांड कर सके।

Discipline जरूरी

स्टूडेंट्स का यह मानना है कि स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन पर भी जनरल इलेक्शन की तरह लगाम लगनी जरूरी है। डिसिप्लिन मेंटेन करना इम्पॉर्टेंट है। इससे कैंपस का माहौल स्टूडेंट फ्रेंडली रहेगा। साथ ही इलेक्शन के दौरान क्लासेज पर भी कोई इफेक्ट नहीं पड़ेगा। अगर कोई कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करता है तो उससे विरूद्ध डिसिप्लिनरी एक्शंस भी लेना जरूरी है। एक बारगी नजर डाली जाए तो स्टूडेंट्स लिंगदोह कमेटी की सभी सिफारिशों को सपोर्ट करते हैं।
लिंगदोह कमेटी की प्रमुख बातें
*    स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शन में केवल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में पढऩे वाले स्टूडेंट्स ही पार्टिसिपेट कर सकते हैं।
*    मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन करने पर कैंडीडेट को चुनाव प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाए।
*    नामांकन भरने की डेट से लेकर रिजल्ट डिक्लेयर करने तक  की पूरी प्रक्रिया अधिकतम 10 दिनों के अंदर खत्म कर ली जाए।
*    एकेडमिक सेशन स्टार्ट होने की डेट से दो महीने के भीतर इलेक्शन प्रक्रिया समाप्त कर ली जाए।
*    इलेक्शन लडऩे वाले यूजी के स्टूडेंट्स की एज 17 से 22 वर्ष, पीजी के स्टूडेंट्स की एज 25 वर्ष और पीएचडी स्टूडेंट्स के लिए अधिकतम 28 वर्ष तक होनी चाहिए।
*    कैंडीडेट्स यूनिवर्सिटी व कॉलेजेज के रेगुलर स्टूडेंट्स होने चाहिए और उनपर कोई आपराधिक मुकदमा भी दर्ज नहीं होना चाहिए। स्कूल और यूनिवर्सिटी द्वारा भी पूर्व में उनपर कोई अनुशासनिक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
*    कंपेनिंग के लिए खर्च की सीमा अधिकतम 5,000 रुपए है।
*    कैंडीडेट कंपेनिंग के लिए व्हीकल, लाउडस्पीकर और एनिमल्स का यूज नहीं कर सकता।
*    कंपेनिंग के लिए किसी भी प्रकार के प्रिंटेड मैटेरियल का यूज नहीं किया जाएगा। केवल हैंड मेड बिल्स व पोस्टर ही यूज करने के निर्देश हैं।
*    कैंडीडेट की अटेंडेंस जो  यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज ने निर्धारित की हो वह पूरी होनी चाहिए।

 

इलेक्शन पर जो लगाम लगाई जा रही है वह सही है। स्टूडेंट्स और कैंपस के बीच साफ-सुथरा माहौल रहेगा। स्टूडेंट इलेक्शन में अराजक तत्वों की एंट्री बंद हो जाएगी।
- नीलम, स्टूडेंट, आरयू
लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें स्टूडेंट की भलाई के लिए हैं। इसकी निगरानी में इलेक्शन हुए तो कैंपस और स्टूडेंट्स को साफ-सुथरे छवि के छात्रनेता मिलेंगे।
- नवीन कुमार, स्टूडेंट, आरयू
यूनियन इलेक्शंस पर भी स्ट्रिक्टनेस होना बहुत जरूरी है। लिंगदोह कमेटी ने जो गाइड लाइंस जारी किए हैं वह सही हैं। इससे हमारी क्लासेज इफेक्ट नहीं होंगी और कैंपस में अराजकता भी नहीं फैलेगी।
- नुपूर वर्मा, स्टूडेंट, आरयू
लिंगदोह कमेटी की सिफारिशें स्टूडेंट्स और सोसाइटी दोनों के लिए फायदेमंद हैं। कैंपस में गुंडागर्दी का खात्मा होगा और सोसाइटी को भी साफ-सुथरे भावी नेता मिल सकेंगे। मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट जरूरी हैं।
- अमित कुमार, स्टूडेंट
मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होने से स्टूडेंट्स को उन्हीं के बीच का नेता मिलेगा, जो उनकी समस्या को समझेगा, सॉल्व करेगा और राजनीति नहीं करेगा।
- कुमार सचिन, स्टूडेंट, आरयू
स्टूडेंट फ्रेंडली एनवायरमेंट मेंटेन करने के लिए स्टूडेंट्स यूनियन इलेक्शंस पर भी मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू होना जरूरी है। मैं लिंगदोह कमेटी की सिफारिशों का स्वागत करती हूं।
- प्रीती गंगवार, स्टूडेंट, आरयू

Posted By: Inextlive