एसआरएमएस के प्रेरणा स्त्रोत स्वार्गीय राममूर्ति की 112वीं जयंती पर रिद्धिमा में आयोजित हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम



(बरेली ब्यूरो)। हारमोनियम के सुर, तबले की थाप के साथ जब संतूर और वायलन के स्वर मिलकर मंत्रमुग्ध करने वाली धुन छेड़ रहे थे, ऐसा लग रहा था जैसे यह धुन अनवरत सुनाई देती रहे। शास्त्रीय संगीत की इस महफिल से जैसे कोई उठना ही नहीं चाह रहा था। यह बानगी थी एसआरएमएस ट्रस्ट के रिद्धिमा के पहले स्थापना दिवस और एसआरएमएस ट्रस्ट के प्रेरणा स्रोत स्वतंत्रता सेनानी स्वार्गीय राममूर्ति के 112वें जन्मदिवस पर रिद्धिमा रंगमंच की। इस अवसर पर मंगलवार को यहां सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

एसआरएमएस ट्रस्ट चेयरमैन देव मूर्ति ने स्वतंत्रता सेनानी राम मूर्ति के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि उनके पिता सांस्कृतिक विरासत को समाज के विकास के लिए महत्वपूर्ण मानते थे। भारतीय संगीत में उनकी खासी रुचि थी। उन्हीं की स्मृति स्वरूप रिद्धिमा की स्थापना की गई, जिसे मंगलवार को एक वर्ष हो गया है। इसका उद्देश्य बरेली और आसपास के होनहारच्बच्चों को एक मंच प्रदान करना था। इसके बाद सजी सुरों की महफिल में पहली प्रस्तुति वाद्य यंत्रों से हुई, जिसमें राम मूर्ति ट्रस्ट के गीत को गुरु शिवांगी मिश्रा और स्नेह आशीष दुबे ने अपनी आवाज देकर सभागार में मौजूद लोगों की खूब तालियां बटोरीं। विनायक श्रीवास्तव ने स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय राममूर्ति के सरल स्वभाव और उनकी जीवन यात्रा का नाट््य रूपांतरण पेश किया। गायन गुरु शिवंगी मिश्रा द्वारा गजल दयार-ए-दिल की रात में चराग सा जला गया की प्रस्तुति से सभागार का माहौल खुशनुमा बना दिया। इसी कड़ी में 13 रागों से सजी खूबसूरत रागमाला को स्नेह आशीष दुबे ने पेश किया। अंत में कथक और भरतनाट््यम का मिश्रण देखने को मिला। आशा मूर्ति, ट्रस्ट सचिव आदित्य मूर्ति, ऋचा मूर्ति, रजनी अग्रवाल, जेसी पालीवाल, सुभाष मेहरा, गुरु मेहरोत्रा, सुरेश सुंदरानी, डा। एसबी गुप्ता, डा। आरपी ङ्क्षसह, ङ्क्षरटू चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive