टैक्स वसूली की राह के बड़े 'रोड़े'
करदाताओं को होर्डिग्स के जरिए टैक्स के लिए मोटिवेट करने की कवायद ठंडी
स्टाफ की कमी और टैक्स बिलों में गड़बडि़यों के चलते भी लोगों ने बनाई दूरी BAREILLY: नगर निगम इस बार शासन से मिले टैक्स वसूली के टारगेट का आधा पड़ाव भी पार नहीं करता दिख रहा है। शासन से ख्0क्ब्-क्भ् के लिए बरेली नगर निगम को ब्9 करोड़ रुपए टैक्स वसूली का टारगेट मिला है, लेकिन आधिकारिक जानकारी के मुताबिक निगम जनवरी ख्0क्भ् तक तय टारगेट का करीब ब्ख् फीसदी टैक्स ही वसूल सका है। ऐसे में टैक्स के खिलाफ जनता के रुख को देखते हुए मार्च खत्म होने से पहले भ्0 फीसदी टारगेट भी पूरा हो पाना भी आसान नहीं लग रहा। यह हालत सिर्फ बढ़े टैक्स की दरों से नहीं बल्कि निगम की अंदरूनी खामियों के चलते भी है। निगम की टैक्स वसूली की राह में कुछ और भी रोड़े हैं। मोटिवेशनल होर्डिग्स गायबनगर निगम की ओर से करदाताओं को टैक्स अदायगी के लिए मोटिवेट करने की कोई भी कवायद इस बार भी शुरू नहीं की गई। निगम की ओर से करदाताओं को समय पर अपना टैक्स देने को मोटिवेट करने के लिए शहर के बड़े व प्रमुख चौराहों पर होर्डिग्स लगाने की कवायद की जाती थी। जिससे लोगों को जिम्मेदार नागरिक होने का अहसास कराते हुए टैक्स अदा करने की अपील की जा सके। ऐसी पहल निगम के टैक्स खजाने को बढ़ाने में काफी मददगार होती रही। लेकिन पिछले दो साल से निगम की ओर से शहर में एक भी मोटिवेशनल होर्डिग नहीं लगवाई गई।
सफल नहीं रही कैम्प वसूली जब लोगों ने निगम में आकर टैक्स अदा करने में रुचि नहीं ली तो शासन का टारगेट पूरा करने को निगम की ओर से शहर में वसूली के लिए कैम्प लगवाए गए। मकसद था जोन वाइस करदाताओं से उनके ही एरिया में टैक्स वसूली की प्रक्रिया को आसान बनाया जाए। लेकिन निगम के यह वसूली कैम्प उम्मीदों के मुताबिक सफल नहीं रहे। जानकारों के मुताबिक एस्टीमेटेड टैक्स रिकवरी के आंकड़ों के मुकाबले वसूली गई रकम बेहद कम रही। कई कैम्प वसूली के नाम पर सिर्फ औपचारिकता भर रहे। सोर्सेज के मुताबिक इन कैम्प में मौजूद अधिकारी व कर्मचारी घर घर जाकर लोगों से वसूली करने के बजाए करदाताओं के कैम्प तक आने की राह देखने भर की मेहनत कर रहे। स्टाफ की जबरदस्त कमीनगर निगम के टैक्स खजाने में कमी आने की एक बड़ी वजह टैक्स व रेंट विभाग में अधिकारियों की जबरदस्त कमी भी है। वसूली के लिए निगम में टैक्स व रेंट इंस्पेक्टर्स के कुल क्8 पद हैं, लेकिन इनमें से एक भी पद पर इंस्पेक्टर्स तैनात नहीं है। पिछले डेढ़ साल से निगम के पास एक भी रेवेन्यू इंस्पेक्टर्स नहीं है। इन खाली पदों पर तैनाती के लिए कई बार अपील किए जाने के बावजूद शासन की ओर से नए इंस्पेक्टर्स की तैनाती नहीं की गई। इसके चलते वसूली का जिम्मा सिर्फ टैक्स सुपरिंटेंडेंट व टैक्स कलेक्टर पर ही आ पड़ा। जिनकी कम तादाद शहर के पुराने करदाताओं से टैक्स वसूल कर पाने में नाकाम रही।
गलत बिलों पर सुनवाई नहींटैक्स के बिलों में बड़ी गड़बडि़यों ने भी करदाताओं के मन से अपना टैक्स अदा करने का मोह भंग किया है। टैक्स विभाग की ओर से कई करदाताओं के बिलों में जबरदस्त बढ़ोत्तरी किए जाने के चलते विवाद हुए। परेशान करदाता निगम के चक्कर काटते रहे लेकिन अधिकारियों ने उनकी नहीं सुनी। मेयर हाउस में ऐसे परेशान करदाताओं की करीब सवा सौ अप्लीकेशन आई, जिनमें सुनवाई किए जाने और टैक्स गड़बड़ी का निस्तारण करने की अपील की गई। कई मामलों में तो कई साल लग गए लेकिन गड़बड़ी का निस्तारण न हो सका और कुछ मामले कोर्ट में लंबित रहे। ऐसे करदाताओं ने भी हर साल निभाई जाने वाली टैक्स अदायगी की रस्म छोड़ दी।
--------------------- निगम की ओर से टैक्स वसूली के लिए कैम्प लगवाए गए हैं। स्टाफ पूरी मेहनत कर रहा है वसूली में। लेकिन कम स्टाफ की दिक्कत आड़े आ रही। समय रहते शासन का टारगेट पूरा करने की कोशिश की जा रही। - शीलधर सिंह यादव, नगर आयुक्त टैक्स वसूली में होने वाली कमी के पीछे अधिकारियों की लापरवाही भी एक बड़ी वजह है। टैक्स बिलों में गड़बडि़यों की शिकायत को सुना नहीं जाता। ऐसे में जो थोड़े बहुत करदाता हैं वह भी टैक्स देने से कतराने लगे। बुनियादी मशीनरी को ही सुधारने की जरूरत है। - डॉ। आईएस तोमर, मेयर