सिटी के थानों में बन गए कबाड़खानों जैसे हालात, आखिर इस कबाड़ की दवा क्या है!
बरेली (ब्यूरो)। शहर के थानों में हजारों की संख्या में कंडम वाहन खड़े है। इस वजह से थाने कबाड़खाना बन गए है। इन कबाड़ वाहनो की वजह से थानों की सूरत बिगडऩे के साथ ही पुलिसकर्मियों की भी सेहत बिगड़ रही है। कबाड़ और लावारिस वाहनों में गंदा पानी जमा होने से मच्छर के साथ ही और भी बीमारियां फैल रहीं हैं। करीब तीन साल पहले थानों की सूरत सुधारने के लिए कबाड़ वाहनों से कैंट शिफ्ट करने की तैयारी शुरू की गई थी, जिस पर अमल नहीं हो सका।
वाहनों का जमावड़ा
शहर के कोतवाली थाने में निर्माण चल रहा है। कोतवाली में महिला पुलिसकर्मियों के लिए कक्ष बनाए जा रहे हैं। इन निर्माणाधीन कक्षों के तीन ओर कबाड़ वाहनों का जमावड़ा लगा हुआ है, जिस वजह से थाना कबाड़खाना जैसा दिखाई देता है। इसके साथ ही बारादरी थाने में भी सैकड़ों की संख्या में कबाड़ और लावारिस वाहन खड़े हुए हैं। थाने में दाखिल होने से लेकर बिल्डिंग तक काफी संख्या में कबाड़ वाहन खड़े हुए हैं। यह ही नहीं, बारादरी थाने की रुहेलखंड पुलिस चौकी का भी कुछ ऐसा ही हाल है। चौकी में सैकड़ों दोपहिया और चार पहिया वाहन कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। हालत यह है कि चौकी में खड़े इन वाहनों पर मिट्टी की परत जमा हो गई, जिस पर पौधे तक उग आए हैं। प्रेमनगर में भी वाहनों का यह ही हाल है। थाने में खड़े वाहन पूरी तरह से कंडम हो चुके हैं। थाने के बाहर खड़े ट्रक का तो सारा सामान ही गायब हो गया है। सिर्फ चेचिस ही रह गया है। वहीं कैंट थाने का भी यह ही हाल है। यहां पर थाने के अलावा ठिरिया रोड पर प्राथमिक विद्यालय बालिका के सामने खड़े ट्रक पर जमी मिट्टी परत पर पेड़ उग आए हैं, जबकि इज्जतनगर थाने में कार्यालय के पीछे खड़े कबाड़ वाहन अब गलने लगे हैं।
कबाड़ हो चुके लावारिस वाहनों और सीज किए गए वाहनों की वजह से थानों में जगह नहीं बची है। इस वजह से वाहनों को थाने के बाहर खड़ा करना पड़ता है। इस दौरान थानों के बाहर खड़े वाहनों से चोर सामान चोरी कर ले जाते हैं।
कैंट में तलाशी जमीन
पूर्व में तैनात रहे एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने शहर भर के थानों में कबाड़ और कंडम वाहनों को एक जगह पर रखवाने के लिए कैंट में जमीन को चिह्नित किया था। जमीन चिह्नित होने के बाद यहां पर ही सभी थानों के कबाड़ वाहनों को रखा जाना था। इसके लिए कई एकड़ में बैरिकेडिंग, थोड़ी-थोड़ी दूर पर वॉचिंग टॉवर बनाने के साथ ही सीसीटीवी कैमरे और रखवाली के लिए फोर्स लगाना थी। इसमें कई लाख रुपए का खर्च आ रहा था। इसको लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा गया था, लेकिन इसके पास न होने से मामला ही फंस गया।
-मुकेश प्रताप सिंह, एसपी क्राइम