जनाब! ये रास्ते हैं अतिक्रमण के
पैदल 10 मिनट, गाड़ी से 30 मिनटश्यामगंज चौराहा से शाहदाना की दूरी करीब 300 मीटर है। पैदल आप इस दूरी को 10 मिनट में तय कर सकते हैं। मगर गाड़ी से आपको 30 मिनट से कम नहीं लगेंगे। रोड पर खड़े बेतरतीब वाहन, फुटपाथ पर एनक्रोचमेंट, रास्ते में रोड़ा डालने को तैयार मिलेंगे। सभी बाजारों का कमोबेश यही हाल है। पुराने शहर में कंडीशन सबसे अधिक खराब हैं। बड़े बाजार तो ज्यादा परेशानीशहर के बीच तीन मेजर व्यवसायिक एरियाज बड़ा बाजार, कुतुबखाना और श्यामगंज के मार्केट में जमकर अतिक्रमण है। नतीजतन पूरा मार्केट जाम से हर वक्त जकड़ा रहता है। अभियान खत्म और मार्केट चालू
पूर्व अपर नगर आयुक्त डीके सिन्हा की अगुवाई में मार्च मंथ में टेम्प्रोरी एनक्रोचमेंट हटाने के लिए अभियान चलाया गया था। 14 दिन के अभियान के शेड्यूल में एंटी एनक्रोचमेंट अभियान सिर्फ 3 दिन ही चल सका। इसके बाद एडमिनिस्ट्रेटिव सपोर्ट न मिलने की बात कहकर अभियान पोस्टपोन कर दिया गया। इसके पीछे कमाई का गणित
एक्चुअली एनक्रोचमेंट होने के पीछे कमाई का भी गणित है। मेन मार्केट से लेकर पॉश कॉलोनियों के शॉप कीपर तक से निगम के कर्मचारियों की साठ-गांठ रहती है। सोर्सेज के मुताबिक मेन मार्केट, फेरी वाले, फण वालों से बकायदा निगम कर्मचारी रेग्युलर दुकान लगाने का पैसा वसूलते हंै। वसूली की बंदरबांट कई स्तर पर होती है। मसलन डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बाहर लगने वाले पटरी दुकानदारों की बात करें तो फुटपाथ पर अवैध रूप से बाजार लगता है। इस बाजार में 50 से 60 पटरी दुकानदार होते हंै। अगर यहां के कलेक्शन पर गौर करें तो पटरी दुकानदारों से कर्मचारियों का 5 रुपए बंधा होता है। इस फि क्स स्पॉट की वसूली मंथली 250 रुपए होती है। महीने का हिसाब करीब 7,500 रुपए जाता है। कारोबारी भी कम जिम्मेदार नहींव्यवसायी भी अतिक्रमण की समस्या के लिए बराबर के साझीदार हैं। दरअसल, बंदी के दिन शॉप के बाहर अस्थाई दुकान लगाने के लिए पैसा वसूलते हैं। शॉपकीपर को पैसा देकर अवैध रूप से पटरी दुकानें चलती हैं। फुटपाथ तो खत्म ही हो गएबड़ा बाजार, आलमगीरी गंज, कुतुबखाना, श्यामगंज जैसे बाजारों में राहगीरों के चलने के लिए फुटपाथ नहीं बचे हैं। श्यामगंज की कंडीशन तो ऐसी है कि रोड के बीच में ही ढेले और रिक्शे की कतार डिवाइडर की तरह हर वक्त खड़े रहते है। शाहदाना की पोजीशन भी इससे जुदा नहीं है। सिटी बसों पर भी ब्रेक
परिवहन विभाग की महत्वाकांक्षी योजना थी कि सिटी में मिनी बसें चलाई जाएं। प्रपोजल के बाद सुलभ यातायात की उम्मीदें जाग गई। मगर प्रपोजल में संकरी रोड्स आड़े आ गईं। समस्याएं पनपती हैं कई एनक्रोचमेंट से सिटी की तस्वीर तो बदरंग होती ही है। कई समस्याएं भी आती है। रेजिडेंट्स को जाम से जूझना पड़ता है। राहगीरों के चलने के लिए फुटपाथ न होने से वह रोड पर ही चलते है। फुटपाथ पर पटरी दुकान लगाने से फुटपाथ तो अवैध कब्जे का शिकार होता ही है खरीददारों की वजह से लगी भीड़ में चोरियों की घटनाएं भी हो जाती है। नहीं चला कोई बड़ा अभियान एडमिनिस्ट्रेशन के डायरेक्शन के बाद मार्च में पूर्व अपर नगर आयुक्त डीके सिंहा की अगुवाई में एंटी एनक्रोचमेंट अभियान चलाया गया। ये नगर निगम तरफ से चलने वाला अंतिम एंटी एनक्रोचमेंट अभियान था। अगर परमानेंट एनक्रोचमेंट की बात करें तो पिछले 11 मंथ में एक भी ऐसा बड़ा अभियान नहीं चलाया गया है। अवेयर होना पड़ेगा एनक्रोचमेंट हटाने के दो ही रास्ते है या तो शॉप को तोड़कर की रोड्स चौड़ी कर दी जाए या सिटी में ओवरब्रिज बनाए जाए। मगर सिटीजन दोनों की कवायदों से होने वाली प्राब्लम््स से बच सकते है। अगर सिर्फ रेजिडेंट्स अवेयर हो जाए। तो प्राब्लम खत्म हो जाएगी।
- आई.एस तोमर, मेयर हम चलाएंगे अभियानहम ज्यादा अतिक्रमण वाले एरिया चिन्हित कर रहे है। एंटी एनक्रोचमेंट अभियान चलाने के दो दिन पहले चूना डाल कर एनाउंस करवा दिया जाएगा. इन अभियान के दौरान पूरी पारदर्शिता रखी जाएगी। - उमेश प्रताप सिंह, नगर आयुक्त श्यामगंज में रोड इतनी संकरी नहीं है। मगर ट्रैफिक का दबाव और एनक्रोचमेंट के चलते लगभग हर समय यहां जाम लगा रहता है। व्यवसायियों को इससे काफी प्रॉब्लम होती है। - मोहन लाल अहूजा, व्यवसायी स्टेशन रोड पर एंटी एनक्रोचमेंट अभियान चलाया गया। मगर अभियान के खत्म होते ही ये अवैध कब्जे दोबारा बना लिए गए। इसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है। - अनिल भाटिया, व्यवसायी सिटी की मेजर प्राब्लम है। एनक्रोचमेंट की कंडीशन ये है कि रोड्स पर फुटपाथ का अता-पता नहीं है। एनक्रोचमेंट का साइड इफेक्ट जाम के रूप में सामने आता है। - राजीव सक्सेना, राजेन्द्र नगर डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के बाहर ही फुटपाथ पर दोनों तरफ पटरी दुकानें अवैध रूप से लगती हैं। नगर निगम और पुलिस प्रशासन के संयुक्त प्रयास से ही स्थिति में सुधार हो सकता है। - हरीश चंद्रा राठौर, ग्रीन पार्क
एनक्रोचमेंट की प्राब्लम किसी खास स्पॉट की नहीं है पूरी सिटी की है। नालियों और नालों पर भी एनक्रोचमेंट हो गया है। इससे जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है। - गौरव, कुवरपुर सिविल लाइंस सिटी का सबसे पॉश मार्केट है। रोड्स भी चौड़ी है। मगर जाम लग जाता है। कारण सिम्पल सा है। रेजिडेंट्स शॉप्स के बाहर बेतरतीब गाडिय़ां खड़ी कर देते हंै। - महेन्द्र सिंह, व्यवसायी सिटी के कई हिस्सों में एनक्रोचमेंट जमकर है। श्यामगंज और कुतुबखाना की स्थिति सबसे खराब है। रेजिडेंट्स का इस एरिया से निकलना मुश्किल है। - सचिन, कांकड़टोला एंटी एनक्रोचमेंट अभियान चलाकर रोड्स को खाली करवाना चाहिए। इसके बाद ही बरेली जाम मुक्त हो सकता है। ये प्राब्लम रेजिडेंट्स की अवेयरनेस से भी दूर होगी। - मोंटी, सुभाषनगर