फ्लैग : आठ माह की बच्ची बोल नहीं सकती, पर बिलख-बिलख कर उसने सुना दिया अपना दर्द

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BAREILLY: मैं आइमा। मुझे दुनिया में आए अभी आठ माह ही तो हुए हैं। अपने अम्मी-अब्बू के अलावा मैं किसी को नहीं पहचाती। वे ही मेरी दुनिया हैं। लेकिन, मेरे आसपास कुछ ऐसा है जो मुझे रोज चौंकाता है। वो एक आवाज है, जो मेरे छोटे-छोटे कानों के पर्दो को चीर देती है। इससे मैं गहरी नींद से हड़बड़ा कर उठ जाती हूं। मेरा नन्हा सा दिल डर से कांप जाता है। फिर जोरों से धड़कने भी लगता है। मेरे अंदर एक दहशत घर कर जाती है। फिर रो-रोकर मैं पूरा घर सर पर उठा लेती हूं। मुझे चुप कराने के लिए अम्मी-अब्बू ना जाने क्या-क्या जतन करते हैं। सीने से लगा मेरी पीठ थपथपाते हैं। लोरी सुनाते हैं। खिलौने हाथ में देकर बहलाते हैं। पापा कभी भालू तो कभी बंदर बन जाते हैं। पर मैं मासूम कुछ नहीं समझती। मुझे चुप कराते-कराते दोनों घर के बाहर से गुजरने वाली बाइक्स को ना जाने कितनी लानते देते हैं। फिर उनमें लगे मॉडिफाइड साइलेंसर से निकलने वाली तेज आवाज को भी कोसते हैं। कहते हैं-यही आवाज मेरी छोटी सी आइमा को सोने नहीं देती। मैं टुकुर-टुकुर उनकी ओर देखते हुए सोचती हूं कि आखिर ये बाइक क्या बला है। ये मॉडिफाइड साइलेंसर क्या चीज है, जिसने मेरा हंसना-खेलना और सोना सब मुहाल कर दिया है। इस आवाज ने मेरे अम्मी-अब्बू को भी इस आवाज ने डरा दिया है। मुझ छोटी सी जान के साथ यह रोज हो रहा है और न जाने कब तक मुझे इस दर्द को झेलना पड़ेगा। और ना जाने मुझ जैसी कितनी आइमा होंगी, जो इस कानफाड़ू आवाज से सो नहीं पाती होंगी। अब्बू अक्सर कहते हैं पुलिस आखिर उन लोगों को क्यों नहीं पकड़ती, जिन्होंने अपनी बाइक में मॉडिफाइड साइलेंसर लगवा रखे हैं। पुलिस अंकल मेरे अब्बू ने आपसे इन मॉडिफाइड साइलेंसर पर रोक लगाने की गुजारिश की है। अंकल कुछ करिए ताकि मैं सुकून से अपनी नींद पूरी कर सकूं। करेंगे ना

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डेढ़ घंटे लगते हैं बेटी को चुपाने में

बारादरी के चकमहमूद निवासी आइमा के पिता चंगेज खां ने यूपी पुलिस के ट्विटर अकाउंट पर शिकायत कर बाइक्स में लगे मॉडिफाइड साइलेंसर के शोर को बंद कराने की मांग की है। इसके बाद बरेली पुलिस को एक्शन लेने के निर्देश दिए गए हैं। चंगेज खां ने बताया कि रात में 10 से 12 बजे के बीच में मॉडीफाइड साइलेंसर लगी बाइक्स पटाखों से भी तेज आवाज करते हुए उनके घर के बाहर से निकल जाती हैं। इससे उनकी बच्ची जगकर रोने लगती है। उसे चुप कराने में करीब एक से डेढ़ घंटे तक लग जाता है। बच्ची का दर्द देखा नहीं गया तो उन्होंने पुलिस से शिकायत की ताकि इन बाइकर्स पर रोक लग सके।

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बॉक्स : क्या होता है मॉडीफाइड साइलेंसर

मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, वाहनों में तय सीमा तक आवाज वाले साइलेंसर लगाए जा सकते हैं। इसलिए कंपनियां वैसे ही साइलेंसर लगाकर देती है। लेकिन लोग इसे मॉडीफाई करवाकर तेज आवाज वाले साइलेंसर लगावा लेते हैं।

पहुंचाते हैं नुकसान

ये सस्ते मॉडीफाइड साइलेंसर एग्जॉस्ट फ्री फ्लो वाले और कैटेलिक कन्वर्टर वाले रहते हैं। ये मोटरसाइकिल से निकलने वाले खतरनाक उत्सर्जन से पर्यावरण को नुकसान भी पहुंचाते हैं।

क्या कहता है एक्ट

मोटर व्हीकल के एक्ट के अनुसार वाहनों में 93 डेसीबल से 112 डेसीबल तक के ही हॉर्न लगाए जा सकते हैं ताकि इसकी आवाज 7 वर्ग मीटर तक रहे।

सामान्य स्तर से ज्यादा है ध्वनि प्रदूषण

पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के सुनील कुमार ने बताया कि ध्वनि प्रदूषण का लेवल 75 डेसिबल से अधिक होना खतरनाक है। जबकि शहर में अभी ध्वनि प्रदूषण का लेवल 80 डिसेबिल तक है।

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डॉक्टर बोले

- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ। एलके सक्सेना का कहना है कि अधिक तेज आवाज से बच्चों को हियरिंग प्रॉब्लम हो सकती है।

- बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। राजेश अग्रवाल का कहना है कि बाइक से निकलने वाली तेज आवाज से बच्ची को शॉक लग सकता है और यह सीधे नर्वस सिस्टम पर इफेक्ट करेगा। नींद पूरी न होने पर उसके शारीरिक और मानसिक विकास पर एडवर्स इफेक्ट पड़ेगा।

Posted By: Inextlive