Bareilly : अपने बच्चे के लिए खिलौने लेने जा रहे हैं तो जरा सावधान रहिएगा. किड्स को अट्रैक्ट कर रहे कलरफुल ट्वॉयज बच्चों को बीमार कर रहे हैं. दरअसल चाइनीज ट्वॉयज में रेडियोएक्टिव एलिमेंट यूज किए जाते हैं जो हेल्थ के लिए हार्मफुल साबित हो रहे हैं. स्पेशली ट्वॉयज में यूज होने वाले ब्राइट कलर की असलियत डार्क है. डॉक्टर्स के अकॉर्डिंग तमाम ऐसे केसेज पहुंच रहे हैं जिनमें घटिया खिलौनों के चलते बच्चे बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.


मुंह का अल्सर भी यही नहीं लेड से हीमोग्लोबिन, मर्करी से सांस की बीमारी और केमिकल से स्किन व आंखों की प्रॉब्लम हो सकती है। अगर बॉडी के अंदर किसी भी माध्यम से खिलौनों में यूज होने वाला मर्करी, लेड और टिन का अंश जाता है तो लांग टर्म में जाकर बच्चे को कैंसर तक होने का डर बना रहता है। मुंह का अल्सर भी हो सकता है। बढ़ रही संख्यापीडियाट्रीशियन के पास ऐसे केसेज की संख्या बढ़ती जा रही है। एवरेज एक पीडियाट्रीशियन के पास हर महीने 10-12 बच्चे ऐसे आ रहे हैं, जो खिलौनों में यूज होने वाले हार्मफुल केमिकल व हैवी मेटल की वजह से डिफरेंट डिजीज की चपेट में आ जाते हैं।रुक सकती है बच्चे की growth
ट्वॉयज को अट्रैक्टिव बनाने के लिए उसमें यूज होने वाला कलर, लेड, पेंट, हैवी मेटल(कॉपर, कोबाल्ट) ह्यूमन बॉडी के लिए डेंजरस होते हैं। डॉक्टर्स भी इस तरह के खिलौनों से बचने की सलाह देते हैं। पीडियाट्रीशियन रवि खन्ना का कहना है कि कलरफुल व हैवी मेटल से तैयार होने वाले खिलौनों से बच्चे की ग्रोथ तक रुक सकती है। ट्वॉयज में यूज होने वाला कलर व पेंट बॉडी के अंदर जाकर बोंस की ग्रोथ प्लेट पर जम जाता है। इससे ग्रोथ रुक जाती है। बच्चे की एज के हिसाब से लंबाई नहीं बढ़ती है। इतना ही नहीं बॉडी में लैड की वजह से ब्लड भी नहीं बनता है। वह देर से चलना शुरू कर पाता है।सावधानी जरूरीबच्चे के लिए कोई भी खिलौना खरीदने से पहले पेरेंट्स को पूरी तरह से सावधानी बरतनी चाहिए। ट्वॉयज को लेकर पेरेंट्स की लापरवाही और इग्नोरेंस बच्चों के लिए काफी हार्मफुल साबित हो रही है। उन्हें लॉन्ग टर्म में जानलेवा बीमारी तक हो सकती हैं। इससे बचने के लिए ध्यान रखेंपेरेंट्स को चाहिए कि बच्चों के लिए फूड ग्रेड कलर्स से तैयार खिलौने ही खरीदें। जिन खिलौनों में हैवी मेटल यूज किया गया है उसे खरीदने से बचना चाहिए। ब्रांडेड खिलौने ही खरीदें क्योंकि उनमें हार्मफुल केमिकल कम होते हैं।महीने में ऐसे कई केस आ जाते हैं। एक राजेंद्र नगर का केस था लैड की वजह से बच्चे के अंदर ब्लड ही नहीं बन रहा था। बहुत दिन ट्रीटमेंट होने के बाद बच्चा सही हो सका।डॉ। धर्मेंद्र नाथ, पीडियाट्रीशियन

Posted By: Inextlive