बचपन से ही मिली बदनसीबी
मैं हूं शिशु उद्यान, मॉडल टाउन पार्क
40 साल से बदहाली से निजात नहीं न जनता ने पूछा, न निगम ने जाना हालBAREILLY: रिफ्यूजी कॉलोनी को डेवलप किए जाने के साथ ही मेरे होने की जरूरत पर चर्चा हुई। ठीक से तो याद नहीं पर शायद ब्0 साल हो गए हैं। जब मैंने आंखे खोली। लोगों ने खुशी जताई कि कॉलोनी में मेरे होने से छोटे बच्चों को खेलने के लिए बेहतर जगह मिली। मुझे भी यह जान राहत मिली और अपनी अहमियत पर खुशी भी। उम्मीद भी हुई कि अपना बचपन बच्चों के साथ बिताने का मौका मिला, लेकिन जो सोचा वह हुआ नहीं। समय बीतने के साथ मेरी काया में खूबसूरती परवान नहीं चढ़ी। उसकी जगह गंदगी, झाडि़यों और इससे पैदा हुई मोहल्ले वालों की बेरुखी ने ले ली। मेरी हालत पर वक्त ने भी जैसे करवट लेने से इंकार कर दिया हो। सूरत तो न संवरी हां चेहरे और शरीर पर बदनुमा दाग बढ़ते चले गए। अपने बचपन से अब तक इस बेबसी को सहने वाला मैं मॉडल टाउन का शिशु उद्यान हूं।
हरियाली के नाम पर झाडि़यांयूं तो मेरा आंगन सूखा नहीं है। मेरे अंदर हरियाली है मगर इसमें पौधे नहीं और न ही फूल हैं। यह तो झाडि़यों की हरियाली है जो हर ओर से मुझे हिफाजत में रखने वाली चारों दीवारों की तरफ उगी हुई है। न कभी नगर निगम को मुझ तक पहुंचने की याद रही और न ही कॉलोनी के लोग मेरी हालत पर कुछ कर पाएं। हां अफसोस जाहिर किया और कई बार निगम के यहां न पहुंचने और सफाई न करने की उनकी शिकायतें कानों पर सुनाई पड़ जातीं।
बंद रहते हैं दरवाजे वक्त ने मेरी सूरत बिगाड़नी क्या शुरू की मेरे करीबियों ने भी मेरा साथ छोड़ना शुरू कर दिया। जिन झूलों पर बच्चे अपना बचपन गुजारते वह सूने पड़ गए। जब बच्चों का साथ न रहा तो बड़ों ने भी जैसे मुंह फेर लिया। सूने झूलों पर जंग की परते चढ़ने लगीं। दीवारें बदरंग हो गईं। झाडि़यों के डर से लोगों ने आना तो बंद किया ही गेट भी बंद कर दिए, जिन्हे कभी मेरी बदहाली देखने की दिलचस्पी जगती भी, वह भी बंद गेट देख राह बदल लेते हैं। निर्माण दे रहा चोटनिगम की अनदेखी और अपने करीबियों की लाचारी के अलावा कॉलोनी में अपना नया आशियाना बना रहे भी मुझे चोट दे रहे हैं। मेरे बगल में एक शानदार मकान की शक्ल ले रहा निर्माण अपने ईट मलबे की सौगात मुझे दे रहा है। सरिया, पाइप, ईट और मलबे मेरे दामन पर ही सजा दिए गए हैं। इसने पार्क की मेरी बची खुची सूरत को भी कबाड़ की शक्ल दे दी। कॉलोनी के लोगों को मेरे साथ हमदर्दी तो है लेकिन मुझे बचाने के लिए शायद जज्बा नहीं।