कहीं कागजों में ही ना सिमट जाए सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग
यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेजेज में पढ़ने वाली स्टूडेंट्स को दी जाएगी सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग
शासन के आदेश पर रीजनल हायर एजूकेशन ऑफिसर ने सभी कॉलेजेज और यूनिवर्सिटीज को जारी किया निर्देश BAREILLY: यूनिवर्सिटी और डिग्री कॉलेजेज में पढ़ने वाली छात्राओं को अब अनिवार्य रूप से सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग दी जाएगी। शासन के आदेश पर रीजनल हायर एजूकेशन ऑफिसर ने सभी कॉलेजेज और यूनिवर्सिटी को इसका निर्देश भी जारी कर दिया है। नेक्स्ट सेशन से इसे कंपलसरी रूप से फॉलो कराया जाना है, लेकिन इसके क्रियान्वयन पर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं। ये कैसे होगा, मॉनीटरिंग कौन करेगा, कौन ट्रेनिंग देगा, समेत ऐसे कई सवाल उठ खड़े हुए हैं, जिसको लेकर किसी भी तरह की गाइडलाइंस जारी नहीं हुई है। ऐसे में कोई दोराय नहीं कि बाकी आदेशों की तरह ही यह आदेश भी कागजों में सिमट कर ना रह जाए।बदलते परिवेश का दिया हवाला
छात्राओं को सेल्फ डिफेंस जैसे मार्शल आर्ट की कंपलसरी ट्रेनिंग देने के पीछे शासन ने बदलते सामाजिक परिवेश का हवाला दिया है। प्रमुख सचिव, यूपी शासन नीरज कुमार गुप्ता द्वारा जारी आदेश में साफ लिखा है कि यह डिसीजन छात्राओं को सुरक्षात्मक दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने और बदलते सामाजिक परिवेश में उन्हें शारीरिक रूप से और अधिक सशक्त बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। ताकि वे आवश्यकता के अनुसार आत्मरक्षा कर सकें और दूसरों को भी सुरक्षा प्रदान कर सकें। यहां बदलते सामाजिक परिवेश के जरिए प्रदेश में घटित हो रहे छेड़खानी और रेप की घटनाओं की ओर इशारा किया गया है। सरकार का मानना है कि इस तरह की ट्रेनिंग से लड़कियों के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा में काफी हद तक कमी आएगी।
सिलेबस के रूप के अपनाने के निर्देश शासन की तरफ से जारी किए गए जीओ में इसे एक सिलेबस के रूप में लागू करने के निर्देश दिए गए हैं। यूनिवर्सिटी और कॉलेजेज को कहा गया है कि वे नेक्स्ट सेशन से इसके लिए सिलेबस और टाइम टेबल निर्धारित करें। टाइम टेबल ऐसा हो जिसके अनुसार ट्रेनिंग लेने के लिए छात्राओं को सुविधा हो। उन्हें किसी प्रकार की रुकावट ना हो। यहां गौर करने वाली बात यह है कि ना केवल हायर एजूकेशन बल्कि स्कूल लेवल पर भी इसे लागू करने के आदेश हुए हैं। पहले भी जारी हुआ था निर्देशकॉलेजेज और यूनिवर्सिटी कैंपस के आसपास ईव टीजिंग की घटनाएं ज्यादा होती हैं। ऐसे में छात्राओं को सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग देने की बातें पहले भी होती आई हैं, लेकिन आज तक इस पर अमल नहीं किया गया। लास्ट ईयर ही बीसीबी के प्रिंसिपल डॉ। आरपी सिंह ने कैंपस में छात्राओं को ताइक्वांडों की ट्रेनिंग देने के निर्देश जारी किए थे। इसके लिए उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट पर ताइक्वांडो ट्रेनर रखने की बात कही थी, लेकिन वह निर्देश भी 'रात गई बात गई' जैसा साबित हुआ।
एक अदद महिला गार्ड तक नहीं कैंपस में छात्राओं को सुविधाएं पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं, लेकिन हकीकत इससे एकदम अलग है। लापरवाही का आलम यह है कि कैंपस में ही गर्ल्स की सिक्योरिटी के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। ना तो महिला पुलिस तैनात होती है और ना ही एक अदद महिला गार्ड हैं। आरयू और बीसीबी के गर्ल्स हॉस्टल्स की रखवाली पुरुष गार्ड्स ही करते हैं। इनएक्टिव है महिला सेल आरयू में महिला सेल तक इनएक्टिव है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस पर महिला सेल गठित करने के निर्देश हैं। आरयू में यह कागजों पर एक्टिव है। कहने को यहां पर महिला प्रॉक्टर नियुक्त की गई है। कभी-कभार छात्राएं इनके पास कंप्लेन लेकर पहुंचती हैं, लेकिन गंभीर मामलों में महिला सेल से प्राइमरी जांच कराने के निर्देश हैं। ऐसी स्थिति में आरयू असहाय हो जाती है।शासन का आदेश मिलते ही मैने इसे सभी कॉलेजेज को भेज दिया है। इसे लागू कैसे किया जाएगा, इसके बारे में कोई गाइडलान जारी नहीं की गई हैं। कौन इसे मॉनीटर करेगा इसकी भी अभी इंफॉर्मेशन नहीं आई है।
- एके गोयल, रीजनल हायर एजूकेशन ऑफिसर