चादर के जुलूस से भर गई गलियां
बरेली: हजरत शाह शराफत मियां रहमतुल्ला अलैह के उर्स का आगाज फज्र के बाद कुरानख्वानी से हुआ। उसके बाद फातिहा हुई। दिनभर चादर के जुलूस आने का सिलसिला चलता रहा। अकीदतमंद हाजिरी देकर दुआएं मांगते रहे। लंगर भी शुरु कर दिया गया।
सुबह होते ही दरगाह पर रौनक दिखाई दी, जो धूप निकलने के साथ ही बढ़ती चली गई। बाकरगंज, मलूकपुर, घेर शेख मिट्ठू, बानखाना, भूड़, खन्नू मुहल्ला से चादर के जुलूस दरगाह पहुंचे। जगह-जगह इस्तकबाल हुआ। फूल बरसाये गए। जुलूस चमन सकलैनी, अतीक, इंतजार, शाहिद, पिंटू, महताब, वाहिद, शकील, सदाकत, सरदार, नूर और सलमान सकलैनी की की देखरेख में दरगाह लाए गए। बदायूं रोड के गांव कैमुआ से अकीदतमंद चादर का जुलूस लेकर पैदल आए। इसी के साथ लंगर भी चालू हो गया। मेहमानखाने के अलावा आसपास भी लोगों ने जायरीन के लिए लंगर का इंतजाम किया है। दरगाह पर लंगर 24 घंटे चालू रहेगा। इसका इंतजाम पीरो मुर्शिद शाह मुहम्मद सकलैन मियां की तरफ से किया जाता है। सर्दी को देखते हुए चाय की सबील भी लगाई गईं। दिन भर चादरपोशी के बाद ईशा की नमाज के बाद मेहमानखाने में तरही नातिया मुशायरे की महफिल सजी। बाहर से आए उलमा ने कलाम के जरिये शाह शराफत मियां को नजराना-ए-अकीदत पेश किया। कार्यक्रम में सज्जादानशीन की सरपरस्ती रही। उन्होंने अमन, चैन, भाईचारा, तरक्की और खुशहाली के लिए दुआएं मांगी। मुशायरे में देर रात तक कलाम पढ़े जाते रहे। भीषण सर्दी के बावजूद जायरीन नातिया कलाम का लुत्फ लेते रहे।
आज के कार्यक्रम फज्र के बाद कुरानख्वानी सुबह 8 बजे : फातेहा ख्वानी शाम 4 बजे : मुंबई का कारवां शाम 6 बजे : झांसी का कारवां शाम 8 बजे : तकरीर की महफिल