- स्कूल्स और टीचर्स के बीच सिक्योरिटी को लेकर शुरू हो गया मंथन

- पैरेंट्स और बच्चों में सिक्योरिटी को लेकर पैदा हो गया डर

BAREILLY:

पाकिस्तान के पेशावर में तालिबानी आतंकवादियों के वहशीपन कारनामे के बाद शहर के बाशिंदे भी खौफजदा हैं। आतंकवादियों ने एक स्कूल के क्फ्ख् बच्चों को गोलियों से भूान डाला। इस हृदयविदारक घटना से न केवल हर कोई सकते में है बल्कि सुरक्षा को लेकर सभी के मन में डर भी बैठ गया है। खासकर बच्चों की सुरक्षा को लेकर। क्योंकि कोई भी शरारती तत्व इन बच्चों को अपना आसानी से शिकार बना लेता है। भले ही यह घटना पड़ोसी देश में घटी है, लेकिन इसने शहरवासियों को एकबार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वे और उनके बच्चे मौजूदा समय में कितने सुरक्षित हैं। शिक्षा के मंदिरों की सुरक्षा व्यवस्था पर शायद ही इतनी शिद्दत से सोचने की जरूरत महसूस की गई।

दावे तो बहुत हैं

शहर के अधिकांश स्कूल्स महज एक सिक्योरिटी गार्ड के भरोसे सुरक्षित हैं। हालांकि स्कूल्स मैनेजमेंट इसी के बल पर व सीसीटीवी कैमरे के भरोसे अपनी पुख्ता सिक्योरिटी का दावा करता है। लेकिन हकीकत यही है कि किसी भी तरह के आतंकवादी घटनाओं के आगे यह सुरक्षा व्यवस्था कहीं भी नहीं ठहरती है। पाकिस्तान में हुई खौफनाक घटना के बाद पैरेंट्स, बच्चे यहां तक कि टीचर्स के लिए भी सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन गई है।

दहशत में हैं पैरेंट्स और बच्चे

मासूमों के साथ ही दर्दनाक घटना के बाद शहर के पैरेंट्स और बच्चे दहशत में हैं। पैरेंट्स को अपने लाडलों की चिंता इसलिए सता रही है कि आधे दिन वे उनके नजरों से दूर रहते हैं। वह भी दूसरों की सिक्योरिटी के भरोसे। जबकि बच्चे यह सोच कर डरे हुए हैं कि कहीं उनके यहां पर भी इसी तरह की वारदात हो जाए तो अपने आप को कैसे सुरक्षित रख पाएंगे। इन मासूमों के मन में अभी से पढ़ाई से ज्यादा सुरक्षा की चिंता सताने लगी है। पैरेंट्स का मानना है कि सिक्योरिटी के लिए एडमिनिस्ट्रेशन और स्कूल मैनेजमेंट को साथ बैठकर पुख्ता योजना बनानी चाहिए।

एहतियात बढ़े ताकि महफूज रहें हमारे बच्चे

इस हृदयविदारक घटना के बाद स्कूल्स मैनेजमेंट और टीचर्स के बीच सिक्योरिटी को कंसर्न दिखने लगा है। हर तरफ इसी को लेकर चर्चा और इन घटनाओं पर कैसे लगाम लगाई जा सके और कैसे बचा जाए, उनके मन केवल ये ही बातें कौंध रही हैं। ऐसी घटनाओं के बाद बच्चों में पैदा होती इंसिक्योरिटी को ये टीचर बेहतर समझते है, इसीलिए अपनी बात कहते हुए इनमें एक अतिरिक्त जिम्मेदारी दिखी कि वो बच्चों में इन घटनाओं के बाद पैदा हुई निगेटिविटी को खत्म कर उन्हें अहिंसा का पाठ पढ़ायेंगे। साथ ही स्कूल्स ने ऐसी वर्कशॉप और ड्रिल कराने की जरूरत पर बल दिया, जिससे इन अचानक होने वाली घटनाओं में अपनी सुरक्षा के लिए बच्चें खुद को तैयार कर सकें।

पेशावर की घटना के बाद तो मन में गुस्सा और भर गया है, अल्लाह कभी माफ नही करेगा इन आतंकियों को। कई बार तो लगता है कि हम से ज्यादा सुरक्षित तो जानवर और पंछी है। गोली की आवाज के बाद वो उड़ तो सकते है, हमें तो उन आवाजों के साथ उन गोलियों को भी सहना पड़ता है।

- मोहम्मद यासीन, पेरेंट

बच्चों की सुरक्षा को लेकर हर वक्त चिंता बनी रहती है। स्कूल मैनेंजमेंट बच्चों को घर छोड़ने की जिम्मेदारी से भी ये कहकर अपनी जान छुड़ाने की कोशिश करता है, कि ये पेरेंट्स और ट्रांसपोर्टर्स के बीच का मामला है। स्कूलों का काम सिर्फ पढ़ाना नही, बच्चा घर के बाद सबसे ज्यादा समय स्कूल में बिताता है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा के बारे में स्कूल को सबसे ज्यादा सोचने की जरूरत है।

मैं उस स्कूल में होती तो उन टेरेस्टि से फाइटिंग करती। ये बहुत बुरा है कि टेरेस्टि्स ने छोटे-छोटे बच्चों को टारगेट बनाया। आज हमने असेंबली में उनके लिए प्रे की।

-अंजलि, स्टूडेंट

स्कूल में टेरेस्टि ने जिस तरह से वहां पढ़ रहे स्टूडेंटस पर गोलियां चलायी, ये बहुत डरावना है। इस तरह से मार काट करके इन लोंगों को क्या मिलेगा। बच्चों से कैसा बदला

- श्रेया, स्टूडेंट

बदला लेने, मारने से आखिर क्या मिलेगा इन लोगों को, मैंने टीवी पर सब देखा, डर लगा लेकिन गुस्सा भी आया, लेकिन स्कूल आकर टीचर ने समझाया कि हमें प्यार से सब को जीतना है।

- धनंजय, स्टूडेंट

डिजास्टर मैंनेजमेंट के तरीके, चंद मिनट में इकटठा होकर कैसे एमरजेंसी गेट से बाहर निकला जा सके जैसी तमाम जरूरी जानकारियों से भरे वर्कशॉप और रेग्यूलर बेसेस पर ड्रिल प्रोग्राम स्कूलों में कराए जाने की जरूरत है। सभी स्कूलों को इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। पेशावर की घटना दिल दहला देने वाली है। ऐसी स्थितियों से निवटने के लिए लोकल लेवल पर प्रशासन, पुलिस, स्कूल और पेरेंट्स को एक साथ आकर काम करने की जरूरत है।

- रजनी सिंह, प्रिंसिपल

हम कितने भी इंतजामों को बढ़ाने की बात कर लें लेकिन अगर कोई आत्मघाती हमले का मकसद ले गोलिया बरसा रहा हो, तो हर सुरक्षा का इंतजाम बौना हो जाता है। इस घटना को महसूस करते ही सिहरन होती है, हमारे बच्चे हमेशा अच्छी राह पर आगे बढ़े, बस इन्ही सोच के साथ उन्हे नानवायलेंस का पाठ पढ़ाने की जरूरत है।

- ज्योत्सना, टीचर

बदला लेने के लिए बच्चों को टारगेट करना इन आंतकियों की कायरता है। इस इंसीडेंट के बाद हम टीचर्स की जिम्मेदारी और बढ़ गई है, क्योंकि बच्चों के मन में ऐसी घटनाओं के बाद रिवेंज लेने जैसी भावनाएं पैदा होने लगती है। उन्हे समझाने की जरूर है कि प्यार और अहिंसा ही हर समस्या से निजात दिला सकते है।

- परवीन कौर, टीचर

आज इंडिया में स्कूलों की संख्या पचास हजार के पार है, लेकिन न तो हमारे पास इनकी सुरक्षा के लिए सफीसियेंट फोर्स है, और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर। ऐसी घटनाओं से निवटनें के लिए प्रशासन, मीडिया, स्कूल, और अभिभावक तक को अपनी अपनी जिम्मेदारियां पूरी ईमानदारी से निभाने की जरूरत है।

- श्यामली टंडन, टीचर

बहुत ही दर्दनाक है ये सोचना है कि कैसे वो मासूम एकाएक मौत के मूंह में जा पहुंचे, मैं फिर भी कहूंगी कि हमें अहिंसा की ताकत समझतें हुए मॉरल वेल्यूज को वेल्यू देने की जरूरत है। छोटे बच्चे इन घटनाओं का बहुत असर लेते है, उन्हे विश्वास दिलाने की जरूरत है कि वो हर जगह सुरक्षित है और रहेगे।

- श्वेता, टीचर

इस घटना के बाद लोकल लेवल पर अपना एनालिसिस करने की भी जरूरत है। प्रशासन को और एक्टिव और स्कूल मेनेजमेंट और पेरेंट्स को और अलर्ट होने की जरूरत है। आतंकियों का बच्चों को टारगेट बनाना शर्मनाक है।

- विनीता, टीचर

लॉ एंड आर्डर अगर पुख्ता हो जाये तो बहुत सारी समस्याएं अपने आप ही सुलझ सकती है। हर किसी को प्रापर चेकिंग प्रोसेस से गुजरना चाहिए, जिसमें ओहदे वाले लोगों व मीडिया पूरा सपोर्ट दे। इसके साथ ही डिजास्टर मैनेजमेंट में इस नए उदाहरण को जोड़ते हुए इससे निवटने के तरीके निकालने की जरूरत है। पूरे विश्व के लिए एक बेहद चुनौती पूर्ण दौर है लेकिन मेरा विश्वास है कि इंडिया में ऐसी क्रूरता नही हो सकती।

- राजीव डींगरा, इंडीपेंडेंट स्कूल एसोसिएशन

- बृजेश कुमार, पेरेंट

पाक ने जो बोया आज उसकी अगली पीढ़ी को वो भुगतना पड़ रहा है। आंतकवादी घटनाओं से हमारा देश भी अछूता नही है, सुबह बच्चे को स्कूल भेजने के बाद वो सुरक्षित घर वापस आ जाये तो लगता है कि आज दिन अच्छा रहा। प्राइवेट स्कूलों में तो थोड़ी बहुत सिक्योरिटी है, लेकिन प्राइमरी स्कूलों में तो ये कोशिशें सिफर है।

- जगदीश प्रसाद मौर्य, पेरेंट

स्कूलों मे गार्ड की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। स्कूल कैंपस बड़ा होने के बाद भी मात्र एक गार्ड को स्कूल के मेन गेट पर लगा दिया जाता है। अब एक गार्ड पूरे कैंपस में कहां-कहां अपनी नजर रखेगा। इसके साथ ही स्कूल की बाउंड्री वॉल भी ऊंची हो।

- उमेश शर्मा, पेरेंट

पाक अपने किये का नतीजा भुगतना पड़ रहा है, हिंदुस्तान महफूज है लेकिन हमें अलर्ट रहने की जरूरत है। बच्चों की सुरक्षा को लेकर इस घटना के बाद चिंता थोड़ी ज्यादा बढ़ गई है। हर किसी को अपनी जिम्मेदारी निभाने की जरूरत है।

- यूसुफ इब्राहिमस, पेरेंट

Posted By: Inextlive