Fun & fitness के hot spot बने camps
Swimming में ज्यादा interest
स्पोट्र्स के समर कैंप में सबसे ज्यादा इंट्रेस्ट स्वीमिंग को लेकर ही दिख रहा है। 1 मई से शुरू हुई स्वीमिंग की कोचिंग में अब तक 30 एडमीशन हो चुके हैं। इसके अलावा दिनोंदिन यह संख्या बढ़ती जा रही है। स्वीमिंग सीख रहे अधिकतर बच्चों का मानना है कि समर्स के दौरान ही टाइम मिल पाता है और फिटनेस के लिए स्वीमिंग से बढ़कर शायद ही कोई और स्पोट्र्स हो सकता है और बच्चों की सुविधा को देखते हुए यहां टाइमिंग भी अलग-अलग रखी गई है। पूल में पानी के बीच प्रैक्टिस कर रहे बच्चों का उत्साह देखते ही बनता है। कोच राकेश यादव ने बताया कि फिलहाल स्वीमिंग की यह ट्रेनिंग 5 बैचेज में दी जा रही है। इनमें से 3 बैच मॉर्निंग में और 2 ईवनिंग में चलाए जा रहे हैं। अभी स्कूल खुले होने की वजह से स्टूडेंट्स का क्राउड तो ईवनिंग बैचेज में ही कलेक्ट हो रहा है। सितंबर तक चलने वाली इस ट्रेनिंग में पर्टिसिपेंट्स को बेसिक टे्रनिंग दी जाती है। इनमें डिप, फ्लोटिंग, लेग एक्शन, आर्म एक्शन और ब्रीदिंग इंपॉर्टेंट हैं। इसकी मंथली फीस मेजर्स के लिए 500 और माइनर्स के लिए 200 रुपए है। बच्चों की सिक्योरिटी को यहां प्रियॉरिटी पर रखा जा रहा है। एक-एक बच्चे पर इंस्ट्रक्टर की नजर रहती है। इसलिए पेरेंट्स को चिंता करने की कोई बात नहीं है।Cricket is all time favouriteयह सही है कि स्पोट्र्स स्टेडियम में डिफरेंट गेम्स के समर कैंप्स जारी हैं, पर ब्वॉयज में जो क्रेज क्रिकेट का है, वह किसी और का नहीं है। कोच ओपी क ोहली ने बताया कि समर्स में क्रि केट की पिच पर सबसे ज्यादा पर्टिसिपेंट्स मौजूद रहते हैं। इस समय भी बच्चों से लेकर अंडर-19 तक के लोग यहां क्रि केट की प्रैक्टिस कर रहे हैं। समर कैंप के लिए इस समय तकरीबन 50 पार्टिसिपेंट्स तो आ ही चुके हैं। क्रिकेट कैंप के लिए ईयरली 110 रुपए का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। बेहद डिसीप्लिन लग रहे बच्चों के नैचुरल टैलेंट को बस सही दिशा मिल जाए तो वे किसी भी लेवल पर नाम कमा सकते हैं। वहीं ग्राउंड पर ही फुटबॉल का समर कैंप भी शुरू किया गया है पर इसको लेकर पार्टिसिपेंट्स में उत्सुकता नहीं दिख रही है। फिलहाल, फुटबॉल के समर कैंप के नाम पर अभी तक किसी ने भी एडमीशन नहीं लिया है। रेग्युलर प्लेयर्स ही फुटबॉल खेलते दिखाई दे रहे हैं।Girls like कर रहीं Badminton
स्टेडियम में डिस्ट्रिक्ट बैडमिंटन एसोसिएशन की ओर से ही बैडमिंटन की टे्रनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग दे रहे कोच जेडए खान ने बताया कि फिलहाल बैडमिंटन की प्रैक्टिस ईवनिंग में कराई जा रही है। फिलहाल 22 पर्टिसिपेंट्स आ रहे हैं। इनमें से ज्यादातर गल्र्स हैं। ब्वॉयज में तो आमतौर पर क्रिकेट का ही क्रेज दिखाई दे रहा है। यहां अंडर-14 ग्रुप के प्लेयर्स को ही ट्रेनिंग दी जा रही है। ट्रेनिंग के लिए आने वाली वैशाली ने बताया कि मम्मी के कहने पर वह बैडमिंटन की प्रैक्टिस के लिए आती हैं, अब उन्हें यह काफी अच्छा लगता है।किसी के भी होश उड़ा सकते हैं ये नन्हें जिमनास्ट
स्टेडियम के जिमनास्टिक हॉल का नजारा बहुत सरप्राइजिंग था। तीन से लेकर 10 साल की उम्र के करीब 20 बच्चे प्रैक्टिस के लिए मैटे्रस लगाने के लिए कोचिंग स्टाफ की मदद करने में लगे थे। जिमनास्टिक हॉल में चारों तरफ नजर दौड़ाई तो कहीं भी वेंटीलेशन के लिए एक भी एग्जहॉस्ट फैन नहीं दिखा। वहां 10 मिनट से ज्यादा खड़े होना मुश्किल लग रहा था लेकिन उन छोटे-छोटे बच्चों में जिमनास्टिक के लिए जो उत्साह था, उसे अगर सही कोचिंग और दिशा मिल जाए तो वे इंटरनेशनल लेवल पर नाम कमा सकते हैं। कोचेज का मानना है कि जिमनास्टिक में छोटी उम्र के बच्चों के लिए बेहतर पॉसिबिलिटीज हैं। इस उम्र में बच्चों की बॉडी फ्लेक्सिबल होती है और उसे कैसे भी ढाला जा सकता है।Moms आती हैं साथ मेंशाम होते ही स्टेडियम का नजारा एकदम बदला बदला नजर आता है। कैंप में पहुंचने वाले अधिकतर बच्चों को मॉम्स ही लेकर आती हैं। मॉम्स का कहना है कि आजकल बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ एकस्ट्रा एक्टिविटीज में आगे रहना चाहिए क्योंकि इससे कॉन्फिडेंस बढ़ता है और स्पोट्र्स में पार्टिसिपेट करने से बच्चों की फिटनेस बरकरार रहती है।देखकर होती है हैरानी
जिमनास्ट सीखने वाली तीन साल की आद्या को देखकर हैरानी होती है लेकिन ट्रेनिंग के दौरान टे्रनर की ओर से दिए सभी इंस्ट्रक्शन को वह सीरियसली फॉलो करती है। इसके अलावा क्लास सेकेंड का स्टूडेंट सार्थक पिछले एक साल से जिमनास्टिक सीख रहा है। मैट्रेस पर उसकी बॉडी का लचीलापन किसी के भी होश उड़ा दे। इसी तरह बिशप कोनराड में क्लास सेंकेड का स्टूडेंट गौरव यहां से पिछले एक साल से ट्रेनिंग ले रहा है। इसी तरह सेंट फ्रांसिस स्कूल की अदिति भी जिम्नास्ट की एक बेहतरीन प्लेयर है। वह पूना तक खेलने जा चुकी है। उसका कहना है कि समर्स में स्कूल से थोड़ा ज्यादा टाइम मिल जाता है। इस कारण ट्रेनिंग करने में आसानी होती है। इस तरह यहां आने वाली नंदिनी भी उभरती हुई जिमनास्ट है और पूना में खेल चुकी है। इसके अलावा फिजा भी यहां ट्रेनिंग ले रही है।