-शिक्षा विभाग के सामने अभियान चलाना बड़ी चुनौती

-आज से शुरू हो रहा अभियान, होंगी गई एक्टिविटीज

>BAREILLY: इस बार बिना गुरुजन ही स्कूल चलो अभियान शुरू होने जा रहा है। पहली मार्च को संडे होने के अभियान की शुरुआत मंडे से होनी है। विलेज लेवल पर मीटिंग्स और डोर-टू-डोर अवेयरनेस कैंपेन चलाने का जिम्मा टीचर्स के हाथ में ही होता है, लेकिन इन दिनों प्राइमरी टीचर्स की ड्यूटी बोर्ड एग्जाम में लगी है। ऐसे में स्कूल चलो अभियान कितना कामयाब हो पाएगा। इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं

दाखिलों पर पड़ सकता है असर

स्कूल चलो अभियान के दौरान आधे टीचर्स नदारद रहेंगे, जिसका पूरा असर नए बच्चों के दाखिलों पर भी पड़ना तय है। जिले में ब्0फ्9 प्राइमरी टीचर्स हैं, जिसमें से ख्000 टीचर्स इस समय बोर्ड एग्जाम में ड्यूटी कर रहे हैं। इंटरमीडिएट के एग्जाम ख्क् मार्च तक चलेंगे। ऐसे में आधे महीने से ज्यादा टीचर्स एग्जाम में ही व्यस्त रहेंगे। अब प्रधानाध्यापक और शिक्षामित्रों के सहारे ही ये अभियान चल सकेगा। आधे टीचर्स के साथ इस अभियान को सफल बना पाना विभाग के लिए एक चुनौती है। बता दें कि पहली बार प्राइमरी एजुकेशन का नया सेशन क् अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। इसलिए मार्च में स्कूल चलो अभियान के तहत पूरे देश में म्-क्ब् साल के बच्चों को पढ़ाई के लिए जागरूक कर इनका दाखिला प्राइमरी स्कूल में कराया जाता है।

डोर टू डोर चलना है कैंपेन

प्राइमरी टीचर्स ख्क् मार्च के बाद खाली हो पायेंगे, लेकिन इस अभियान का जो एक्शन प्लान आया है, उसमें मार्च के पहले ख्0 दिन में बहुत इंर्पोटेंट एक्टिविटीज की जानी है। जिसमें प्राइमरी स्कूलों के प्रधानाचार्य और टीचर्स को स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के साथ बैठक कर इस अभियान को लोकल लेवल पर इंप्लीमेंट करने की रणनीति बनानी है। आंगनबाड़ी कार्यकत्री से साथ मिलकर पांच साल के बच्चों को स्कूल में पंजीकरण कराना, ग्राम प्रधान के साथ मिलकर डोर टू डोर जाकर पेरेंट्स से संपर्क करना है।

टीचर्स कम होने का असर अभियान पर नहीं पड़ेगा। हमारा टारगेट सौ फीसदी बच्चों का दाखिला कराना है। शुरुआती एक्टिविटीज में प्रधानाध्यापकों को भाग लेना है, जिनकी ड्यूटी बोर्ड एग्जाम में नही लगायी गई है।

- विशू गव्र्याल, प्रभारी बीएसए

Posted By: Inextlive