BAREILLY: दूषित पर्यावरण को बचाने के लिए भी अब ज्यादा से ज्यादा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना होगा। देश विकास की रहा पर तेजी से अग्रसर हो रहा है। ऐसे में पर्यावरण को भी बड़ा खतरा मंडरा है। जिस तरह से टेक्नोलॉजी के समावेश से विकास किया जा रहा है उसी तरह टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से ही हम पर्यावरण का बचाव कर सकते हैं। पर्यावरण के मुद्दे पर यह बातें गढ़वाल यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी व देहरादून स्थित एफआरआई के प्रो। एसपी सिंह ने कही। वे बीसीबी में बॉटनी विभाग की तरफ से वेडनसडे से शुरू हुए एनवायरमेंटल इश्यूज फॉर सोशियोइकोलॉजिकल डेवलपमेंट टॉपिक पर नेशनल सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता उपस्ि1थत रहे।

प्रति व्यक्ति केवल फ् वृक्ष

इस दो दिवसीय सेमिनार में डीआईजी आरकेएस राठौर भी उपस्थित थे। उन्होंने स्वंय को संयमित रहने की सीख दी। उन्होंने कहा कि संवदेनशील होंगे तभी इस धरा की जीवंतता को बनाए रखेंगे। आरयू के प्रो वीसी वीपी सिंह ने सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए कहा कि रिसर्च को लैब से बाहर निकालकर आम जनजीवन तक ले जाना पड़ेगा। तभी हम समाज और पर्यावरण का सतत विकास कर पाएंगे। सेमिनार के दूसरे सत्र में सरस्वती सम्मान से सम्मानित अवध यूनिवर्सिटी के प्रो। जीसी पांडेय ने पर्यावरण के कुछ आंकड़ों के साथ बताते हुए कहा कि प्रति व्यक्ति 80 वृक्ष होने चाहिए। लेकिन मौजूदा समय में केवल तीन ही हैं। यह पर्यावरण के साथ मानव के लिए भी घातक है। इस ऑकेजन पर बोर्ड ऑफ कंट्रोल के सचिव देवमूर्ति, प्रिंसिपल डॉ। सोमेश यादव, डॉ। जोगा सिंह, डॉ। नेहा खान ने भी व्याख्यान दिया। सेमिनार में डॉ। सीमा कुदेसिया, डॉ। संगीता, डॉ। क्षमा, डीके गुप्ता, डॉ। अनुपम आनंद, डॉ। राजेंद्र सिंह, डॉ। आलोक खरे समेत कई टीचर्स मौजूद रहे।

Posted By: Inextlive