बच्चों की जिद नहीं, जिंदगी की करें परवाह
यह भी जानें
-46 बच्चों की जान साल 2020 में हादसों में गई -1093 हादसे साल 2019 में हुए - 534 लोगों की मौत -696 लोगों को गंभीर चोटें -680 सड़क हादसे साल 2020 में हुए - 396 व्यक्तियों की मौत -425 व्यक्ति गंभीर घायल - नाबालिग बच्चों को पेरेंट्स दे रहे बाइक, हादसों में जा रही जान - शहर में डेली हो रहे दो हादसे, एक हो रही मौतबरेली : शहर की प्रमुख सड़कें हो या फिर गली मोहल्ले में आपको नाबालिग वाहनों से फर्राटा भरते नजर आ जाएंगे, लेकिन सही मायने में यह जानलेवा साबित हुआ है। बच्चों को दुलार देना अच्छी बात है लेकिन यही प्यार उनके लिए जानलेवा साबित हो जाए तो इस गलती का बड़ा खामियाजा नाबालिग के परिवार को भुगतना पड़ सकता है। पिछले दो सालों के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2019 में कुल 1093 सड़क हादसे हुए जिसमें 534 लोगों की मौत वहीं 696 लोगों को गंभीर चोटें आई, इसी प्रकार वर्ष 2020 में कुल 680 सड़क हादसे हुए, जिसमें 396 व्यक्तियों की मौत हुई और 425 व्यक्ति घायल हुए।
जनवरी में अब तक 37 की मौतवर्ष 2021 की बात करें तो जनवरी माह में अब तक 70 सड़क हादसे हो चुके हैं जिसमें 37 लोग अपनी जान गवां चुके हैं, वहीं 41 लोग गंभीर रुप से घायल हुए है, इस रेश्यो से जहन में सवाल उठना लाजमी है कि हर रोज दो एक्सीडेंट हो रहे हैं। वहीं माह के हर दिन एक सड़क हादसे में एक व्यक्ति अपनी जान गंवा रहा है।
नाबालिग के हाथ में बाइक का हैंडल घर में बड़ों को देखकर अक्सर बच्चे बाइक चलाने की जिद करते हैं, वहीं मना करने पर स्कूल न जाना, गुमशुम रहना और घर के सदस्यों से बात न करना यह चेतावनी भी देते हैं। लेकिन पेरेंट्स को समझना पड़ेगा कि बच्चों को शांतिपूर्वक ढंग से समझाएं न कि उनके जिद के आगे हारकर उनके हाथ में बाइक का हैंडिल थमा दें, ऐसा करना पेरेंट्स के लिए काफी खतरनाक और बच्चे के लिए जानलेवा साबित हो सकता है। शौक जो बन सकता है मौत अक्सर स्कूल के बाहर अन्य दोस्तों को देखा देखी में बच्चे सड़कों पर बाइक से स्टंट करते नजर आते हैं, ऐसे में कई बार वाहन स्लीप हो जाने से गंभीर चोटें भी आती है इसी दौरान अगर पेरेंट्स बच्चों से वाहन ले लें भविष्य में बड़े हादसों से बचाव किया जा सकता है।कागजों में सड़क सुरक्षा सप्ताह
शहर में ट्रैफिक नियमों का पाठ पढ़ाने की जिम्मेदारी ट्रैफिक महकमें की है लेकिन महज प्रमुख सड़कों पर गिनती के चालान काटने के बाद अवेयरनेस के नाम पर कोरम पूरा किया जा रहा है। कई बार तो विभागीय कर्मचारी सुविधा शुल्क लेकर भी नियमों की धज्जियां उड़ाने वालों के खिलाफ बिना चालान काटे ही छोड़ दिया जा रहा है।