-आखिरी दिन सुधांशु जी महाराज ने करीब 15 सौ से अधिक शिष्यों को मंत्रदीक्षा दी

BAREILLY: 'जिन्दगी में तीन चीजें अमूल्य हैं। उनकी कीमत लोगों को नहीं मालूम हैं, लेकिन जब यह चीजें हाथों से फिसल जाती हैं तब हमें उसकी कीमत का पता चलता है। ये तीन चीजें हैं समय, सेहत और रिश्ते'। इन्हीं अमृत तुल्य वचनों के साथ संडे को परमपूज्य सुधांशु जी महाराज ने श्रद्धालुओं पर कथावर्षा की। विश्व जागृति मिशन की ओर से त्रिवटीनाथ मंदिर कथास्थल में आयोजित सत्संग महोत्सव के आखिरी दिन सुधांशु जी महाराज ने करीब क्भ् सौ से अधिक शिष्यों को मंत्रदीक्षा दी। साथ ही मौजूद लोगों से प्रेम, भाईचारे के साथ जीवन में समय, अनुशासन और रिश्तों की अहमियत को बरकरार रखने की सलाह दी। इस मौके पर चीफ गेस्ट डीआईजी आरकेएस राठौर, सपा जिलाध्यक्ष वीरपाल सिंह समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

गुरु सिखाता है जीवन जीने की कला

सत्संग में संडे को परमपूज्य गुरुदेव सुधांशु जी महाराज ने श्रोताओं को ज्ञान समेत ईश्वर की प्राप्ति में गुरु की भूमिका के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गुरु जीवन में रंग भरने का काम करते हैं। गुरु हर प्रकार की मनोकांक्षा को पूर्ण करने में सहायक होते हैं। जो परमात्मा का रास्ता भूले हैं और सत्य से भटके हैं, उन्हें परमात्मा का साक्षात्कार गुरु ही कराते हैं। व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु 'मैं' है, लेकिन जब यह मैं खत्म हो जाएगा तो जीवन में परिवर्तन आना प्रारंभ हो जाएगा। लोग भौतिकता में पड़कर सत्य से दूर हो चले हैं। ऐसे में याद रखने की जरूरत है कि 'जिन्दगी से चीजें जुड़ी हैं, चीजों से जिंदगी नहीं। इन्हीं आशीर्वचनों के साथ गुरु सुधांशु जी महाराज ने तीन दिनों से चल रही कथा का समापन किया।

Posted By: Inextlive