भगवान विष्णु के योग निद्रा का काल चातुर्मास 23 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पूरा हो जाएगा. यही तिथि देवउठनी एकादशी कहलाती है. सनातन समाज में इस तिथि से मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाते हैं. इस बार 23 नवंबर के बाद से 21 दिनों में विवाह के कुल 19 मुहूर्त हैं. इनमें 14 शुभ मुहूर्त हैं.

बरेली (ब्यूरो)। भगवान विष्णु के योग निद्रा का काल चातुर्मास 23 नवंबर को कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पूरा हो जाएगा। यही तिथि देवउठनी एकादशी कहलाती है। सनातन समाज में इस तिथि से मांगलिक कार्य फिर शुरू हो जाते हैं। इस बार 23 नवंबर के बाद से 21 दिनों में विवाह के कुल 19 मुहूर्त हैं। इनमें 14 शुभ मुहूर्त हैं। सहालग के इन दिनों में शहर में बारातों की धूम रहेगी। यह इसलिए कहा जा रहा है कि शहर के 50 मैरिज लॉन्स में अब तक 500 विवाहों की बुकिंग हो चुकी है। इस सहालग में करीब 7000 जोड़े सात फेरों के बंधन में बधेंगे।

देवउठानी तिथि को विवाह योग नहीं
पंडित राजीव शर्मा के अनुसार सनातन धर्म में विवाह समारोह मुहूर्त और तिथि के अनुसार ही तय होते हैं। मान्यता है कि अगर शुभ मुहूर्त या तिथि में विवाह संपन्न होते हैं तो वर-वधु को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है। विवाह की शुभ तिथि और मुहूर्त का सीधा संबंध भगवान विष्णु से माना जाता है। यही वजह है कि चातुर्मास में जब भगवान विष्णु शयन करते हैं तो मांगलिक कार्य रुक जाते हैं। 23 नवंबर को देवउठानी एकादशी पर शुक्र और गुरु का उदय जाएगा। परंतु पंचांग के अनुसार इस दिन विवाह मुहूर्त शास्त्र सम्मत नहीं है। भगवान श्रीहरि और माता तुलसी के विवाह के बाद ही अन्य वैवाहिक कार्य शुरू होंगे।

पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त
पंडित राजीव शर्मा ने बताया कि विवाह के लिए शुक्र, गुरु और राशि के अनुसार नक्षत्र का शुभ होना जरूरी होता है। पंचांग के अनुसार इस साल देवउठनी एकादशी के बाद, नवंबर में 24, 27, 28, और 29 तारीख विवाह के लिए शुभ रहेंगी। वहीं दिसंबर में 3,4, 5,6,7,8,9, 13,14 और 15 तारीख मांगलिक कार्यों के लिए शुभ हैं।

मेन्यू का बदला ट्रेंड
बीते चार सालों में विवाह समारोह का मैन्यू भी बदल गया है। पहले इसमें दस से पंद्रह आइटम शामिल रहते थे, पर अब 30 और इससे भी ज्यादा आइटम्स मेन्यू का हिस्सा हैं। अब लोग देश के अलग-अलग जगहों पर प्रचलित डिश को भी इस मैन्यू में शामिल करवाना चाहते हैं।

अधिकमास से हुआ विलंब
इस साल दो सावन और अधिकमास के कारण सभी तरह के पर्व-त्योहार और शादी विवाह की तिथियों में खासा विलंब हुआ है। देवशयनी एकादशी के साथ ही सभी तरह के मांगलिक कार्य बंद हो गए थे। वहीं कार्तिक माह की देवउठनी एकादशी से फिर शहनाई बजने की शुरुआत होगी।

16 दिसंबर से खरमास
पंडित राजीव शर्मा के मुताबिक 16 दिसंबर को सूर्य देव शाम 4.10 बजे धनु राशि में प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही खरमास शुरू हो जाएगा। यह 15 जनवरी तक रहेगा। इस दौरान मांगलिक कार्य पर विराम रहेगा। खरमास में धनु राशि यानी अग्नि भाव में सूर्य होते हैं। इसके चलते ही शुभ कार्य निषेध माने गए हैं।

Posted By: Inextlive